22वें वसंत की दहलीज पर “विश्वकर्मा किरण”
विगत 21 वर्षों से सामाजिक सरोकारों, शिक्षा के प्रति जागरूकता, प्रतिभाओं का मनोबल बढ़ाने, राजनीतिक
सम्पादकीय
विगत 21 वर्षों से सामाजिक सरोकारों, शिक्षा के प्रति जागरूकता, प्रतिभाओं का मनोबल बढ़ाने, राजनीतिक
यूं तो भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि रचयिता, देवलोक का इंजीनियर, आदि अभियंता आदि-आदि शब्दों से
पूरा देश आज़ादी की 74वीं वर्षगांठ यानी स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। प्रतिवर्ष जैसे ही
जी हां, यह बात कड़वी जरूर है पर सच है। देश में बने लोहार और
कहने को तो विश्वकर्मा समाज के हजारों संगठन, हजारों राष्ट्रीय अध्यक्ष और राजनीतिक पार्टियों को
भारत भूति संतों, ऋषियों, मुनियों की तपोस्थली रही है। यहां एक से बढ़कर एक संत
व्यक्ति रहे न रहे, यदि उसके कर्म अच्छे हैं तो वह हमेशा अमर रहेगा। ऐसे
जिसे देखिये वही संगठन की बात करता है। संगठन क्या है और इसके क्या मायने
विश्वकर्मावंशीय समाज के बीच पत्रिका के रूप में जब भी ”विश्वकर्मा किरण” का नाम आता
जल, थल, नभ की सारी संरचना भगवान विश्वकर्मा की देन है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि