एक दूसरे पर दोषारोपण का शिकार है विश्वकर्मा समाज

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कहने को तो विश्वकर्मा समाज के हजारों संगठन, हजारों राष्ट्रीय अध्यक्ष और राजनीतिक पार्टियों को वोट दिलाने वाले ठेकेदार हैं। मंचों पर बड़े—बड़े भाषण देना और स्वयं को सबसे बड़ा हितैषी साबित करने की होड़ लगी रहती है। सभी बात करते हैं कि हम समाज को एक कर रहे हैं, परन्तु बात जब समाज के लोगों पर हो रहे उत्पीड़न और अत्याचार के ​विरूद्ध लड़ाई की आती है तो ज्यादातर लोग सोशल मीडिया को ढाल बनाकर अपनी खानापूर्ति कर लेते हैं। इतना ही नहीं, सबसे बड़ा सवाल होता है कि कहां गये फलां????? समाज के ही एक दूसरे नेताओं और अन्य सामाजिक लोगों पर कीचड़ उछालना प्रथा बनती जा रही है जो बेहद शर्मनाक है। अपने कर्तव्यों को कोई दोष नहीं देता। स्वयं क्या किया है या क्या कर रहा है इसका कोई हिसाब नहीं।
ताजा उदाहरण सहारनपुर की घटना का है, जहां विश्वकर्मा समाज के दो युवकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना बहुत ही दु:खद है। घटना के और भी दु:खद होने का पहलू यह कि दोनों युवकों की हत्या के बाद कुल का चिराग कोई नहीं। अब बात आती है घटना से पनपे आक्रोश और विश्वकर्मा समाज के नेताओं की भूमिका के बारे में। घटना के बाद से ही लोगों की पोस्ट—दर—पोस्ट से सोशल मीडिया कराह रहा है। लोग अपने—अपने बुद्धि—विवेक से टिप्पणी भी कर रहे हैं। साथ ही राजनीतिक पार्टी से जुड़े लोग दूसरी पार्टी के नेताओं का नाड़ा खोलने में भी जरा सा नहीं हिचक रहे हैं। यहां तक कि ढाई साल पहले तक जो लोग विश्वकर्मा समाज पर हो रहे अत्याचार के बावत बौने बने रहते थे वह आज सोशल मीडिया पर करंट मार रहे हैं। सत्तापक्ष से जुड़े लोग तो हमेशा असहज स्थिति में होते हैं। चाहे बसपा की सरकार रही हो या सपा की या फिर आज भाजपा की सरकार है। सभी पार्टियों में विश्वकर्मा समाज से जुड़े लोग हैं। यह सच है कि जो लोग सत्तापक्ष से जुड़े होते हैं वह ​चाहकर भी विरोध नहीं कर पाते परन्तु जो विपक्ष में होते हैे उनके बांह तो खुले ही होते हैं।
मुझे याद है बसपा सरकार में सीतापुर, फतेहपुर और शाहजहांपुर की घटना, मुझे याद है सपा सरकार में ज्योति और उन्नति हत्याकाण्ड। मुझे सपा सरकार के दौरान बनारस की वह घटना भी याद है जब एक दरोगा ने विश्वकर्मा समाज के युवक की पीटकर हत्या कर दी थी। बहुत बवाल हुआ, परन्तु सत्तापक्ष के एक बड़े नेता ने पोस्टमार्टम के बाद युवक का शव तक घर नहीं लाने दिया और पुलिस पर दबाव बनाकर शहर में ही दाह संस्कार करवा दिया। मुझे वर्तमान भाजपा सरकार में भी विश्वकर्मा समाज के ऊपर हो रहे अत्याचार दिख रहे हैं। मुझे तो सब याद है। कौन कितना सही, कितना गलत है वह भी याद है और दिख भी रहा है। यदि किसी को याद नहीं, किसी को दिख नहीं रहा तो वह हैं सत्ता के लालची बेशर्म नेता। अपनी नेतागिरी चमकाने के लिये अपने ही लोगों की बुराई करना, टांग पकड़कर खीचना इनकी सर्वश्रेष्ठ कला का प्रदर्शन है। यदि मैं किसी नेता से यह पूंछ लूं कि किसी सामाजिक नेता की क्या गलती है????? शायद कोई कुछ नहीं बता पायेगा सिवाय इसके कि वह अमुक राजनीतिक दल में हैं। ऐसा भी नहीं कि समाज के नेताओं को कुछ दिखता नहीं या समाज के प्रति उनके अन्दर पीड़ा नहीं। सभी के अन्दर समाज की पीड़ा है और सभी भरसक समाजहित में प्रयास करते हैं, वह किसी भी पार्टी के हों। बस उनकी मजबूरी होती है उनकी अपनी राजनीतिक पार्टी। यदि उनकी पार्टी की सरकार है तो वह खुलकर बोल नहीं पाते।
मेरा समाज के सभी नेताओं और सामाजिक लोगों से विनम्र अनुरोध है कि अपने ही लोगों पर राजनीतिक विद्वेष में कीचड़ उछालना बन्द करिये और समाजहित में आपसी संवाद स्थापित करते हुये आगे बढ़ने का प्रयास करिये।

—कमलेश प्रताप विश्वकर्मा

5 thoughts on “एक दूसरे पर दोषारोपण का शिकार है विश्वकर्मा समाज

  1. बहुत सही कहा कमलेश जी——-
    आज कल यही हो रहा है।सब एक
    दूसरे की टांग खींचने में लगे हैं।
    इन लोगों को समाज के दुःख दर्द
    से कुछ लेना देना नहीं———

  2. भाई कमलेश विश्वकर्मा जी जय विश्वकर्मा की आपके द्वारा किया हुआ समाज के प्रति कार्य निश्चित ही सराहनीय है जितनी भी तारीफ की जाए वह कम ही होगा बंधुवर हमारे समाज की विडंबना है कि करेंगे कुछ नहीं लेकिन गलत प्रतिक्रिया जरूर देंगे जिसके वजह से आज हमारा समाज कहां पहुंच रहा है यह सोच कर कि बड़ा दुख होता है कि आने वाली पीढ़ी को हम क्या जवाब देंगे हम अपने सभी सामाजिक बंधुओं से अपील करते हैं कि आइए गिले-शिकवे भूलकर एक साथ एक मंच पर खड़े होकर के समाज को समाज को नई दशा और दिशा देने का काम करें
    देवब्रत शर्मा

  3. भाई कमलेश जी जय विश्वकर्मा जी आपके द्वारा समाज के प्रति किया हुआ कार्य निश्चित ही सराहनीय है जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम होगी बंधुवर हमारे समाज की विडंबना रही है करेंगे कुछ नहीं लेकिन गलत प्रतिक्रिया जरूर देंगे जो किसी भी समाज या राष्ट्र के लिए शुभ संकेत नहीं होता है हम अपने सभी सामाजिक बंधुओं से अपील करते हैं कि वर्चस्व की लड़ाई को tyag करके आइए एक मंच पर अपने अपने विचार को साझा करते हुए समाज को एक नई दशा और दिशा देने का काम करें
    देवब्रत शर्मा

  4. भाई जी आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैंबहुत2 धन्यवाद हमारे समाज मे एकता का अभाव है।यहाँ तक की अपने परिवार में भी एक जुट नही है।।सब एक दूसरे की टांग खिंचने में लगे हुए है।कहने को तो हम इंजीनियर की संतान है लेकिन आज के दौर में हमारा समाज बहुत पीछे है।न हमारा राजनीतिक, आर्थिक अस्तित्व है।अभी बहुत सुधार की आवश्यकता है।अतः हम अपने समाज के प्रबुद्ध लोगो से आग्रह करता हूं कि समाज के लिए आगे आये और समाज की भलाई में योगदान दे।।
    जय हिंद जय भारत जय विश्वकर्मा समाज

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