22वें वसंत की दहलीज पर “विश्वकर्मा किरण”

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विगत 21 वर्षों से सामाजिक सरोकारों, शिक्षा के प्रति जागरूकता, प्रतिभाओं का मनोबल बढ़ाने, राजनीतिक जागरूकता, लेखकों के विचार आदि प्रकाशित करने वाली सामाजिक पत्रिका “विश्वकर्मा किरण” अपने प्रकाशन के 21 वर्ष पूर्ण कर 22वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। तमाम सामाजिक संगठनों के दावों को माना जाय तो भारत के अंदर करीब 14 करोड़ विश्वकर्मावंशीय हैं। इतनी बड़ी आबादी को छू पाना बहुत कठिन है, फिर भी विश्वकर्मा किरण अपने डिजिटल प्रकाशन और पोर्टल के माध्यम से प्रयासरत है। देश के अंदर सैकड़ों टाइटिल से जाने जा रहे विश्वकर्मा समाज को एकता के सूत्र में पिरोना, उनके सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक स्तर को ऊंचा उठाना और सरकारी सेवाओं में पूर्ण भागीदारी के लिये मार्गदर्शन स्वरूप लेखकों के विचार प्रकाशित करना पहली प्राथमिकता है।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक गांव से 6 दिसम्बर 1999 को 4 पेज के छोटे साइज के समाचार पत्र के रूप में शुरू हुआ सफर प्रदेश की राजधानी लखनऊ होते हुये देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई तक पहुंच चुकी है। प्रकाशन के प्रारम्भ काल से ही शुभचिन्तक व्यक्तित्व के धनी प्रेमधनी विश्वकर्मा ने जौनपुर शहर में प्रकाशन कार्यालय के लिये जगह उपलब्ध कराई ही, साथ ही मुम्बई में भी कार्यालय हेतु जगह प्रदान किया। तमाम शुभचिन्तकों के सहयोग से लखनऊ में भी प्रसार कार्यालय स्थापित कर प्रकाशन को गति प्रदान की जा रही है। डिजिटल प्रकाशन में विजय कुमार शर्मा और धीरज विश्वकर्मा जैसे युवा निःस्वार्थ सेवा प्रदान कर विश्वकर्मा किरण को समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
“विश्वकर्मा किरण” सिर्फ एक पत्रिका नहीं बल्कि समाज का ऐसा दर्पण है जिसका उद्देश्य सामाजिक बुराईयों को सम्मुख लाकर उसका निवारण करते हुये सभी को एकता के सूत्र में पिरोना है। समाज के लोग शिक्षित हों, संस्कारी हों, नैतिक गुणों से पूर्ण हों, समाज और देश के विकास में योगदान दें ऐसी विचारधारा से ओतप्रोत प्रकाशन के लिये सदैव लोगों के विचार आमन्त्रित किये जाते हैं। कोई भी समाज हो, भ्रांतियां हर तरफ विराजमान होती हैं। विश्वकर्मा समाज भी भ्रांतियों का शिकार है। लोग अपनों से ज्यादा दूसरों को महत्व देते हैं जो एकता में भी बाधा है। खुद की मेहनत से तो लोग आगे बढ़ जाते हैं लेकिन समाज के प्रयास से कौन आगे बढ़ा शायद ही इसका कोई उदाहरण मिलता हो। जिस दिन समाज के प्रयास से लोग आगे बढ़ेंगे उस दिन विश्वकर्मा समाज हर क्षेत्र में परचम लहरायेगा और एकता का दीप भी प्रकाशमान होगा। विश्वकर्मा किरण ऐसी ही विचारधारा लोगों में समाहित करने के लिये संकल्पित है।

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