व्यक्ति नहीं विचारधारा का नाम है कर्पूरी ठाकुर

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कर्पूरी ठाकुर व्यक्ति नहीं एक विचारधारा का नाम है। अपने जुझारू, कर्मठ नेतृत्व से उन्होंने सामाजिक बदलाव की ऐसी बड़ी लकीर खींची कि बिहार की राजनीति कई दशकों से इनके इर्द-गिर्द घूमती है। आज बिहार की तमाम पार्टियों में उनके नाम की होड़ है। जयंती का अवसर 24 जनवरी (वास्तविक तिथि अज्ञात) पर छोटे-बड़े हजारों आयोजनों में जन-जन के नायक को याद किया जाता है। उनके चित्र पर माला चढ़ाकर नेतागण अपनी तस्वीर खिंचवाते हैं। पर इनके आदर्शों पर चलने वाले सच्चे अनुयाई एक भी नहीं है। भीड़ में अकेला आया और आज भी वह अकेला विचारधारा के रूप में लाखों के दिलों में रचे-बसे हैं।
सामाजिक गैर बराबरी, अन्याय उत्पीड़न, जातिवाद, वंशवाद , पूंजीवाद, भ्रष्टाचार, गरीबी के खिलाफ कर्पूरी ठाकुर आजीवन लड़े। विचार, कर्म, व्यवहार से जितना सहज थे, उसके निष्पादन में उतना ही सख्त। केंद्र सरकार से हमारी पुरजोर गुजारिश है कि गुदरी के लाल, सामाजिक न्याय के पुरोधा, जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत देश रत्न की उपाधि दी जाए।

-अमरनाथ शर्मा, संयोजक, बढ़ई विश्वकर्मा सामाजिक संगठन, पटना

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