गरीबों और शोषितों की लड़ाई लड़ने वाले संघर्षशील नेता थे ज्ञानी जैल सिंह- रामआसरे विश्वकर्मा

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प्रयागराज (शिव प्रकाश विश्वकर्मा)। देश के सातवें राष्ट्रपति विश्वकर्मा समाज के गौरव ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि पर फूलपुर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। पुण्यतिथि समारोह के मुख्य अतिथि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव व अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्वमन्त्री राम आसरे विश्वकर्मा ने आयोजित विश्वकर्मा सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए ज्ञानी जैल सिंह को याद किया। उन्होंने कहा कि ज्ञानी जैल सिंह पंजाब के एक गरीब बढ़ई परिवार में पैदा होकर पंजाब के मुख्यमंत्री देश के गृहमंत्री तथा भारत के राष्ट्रपति भी बने। उन्होंने रास्ता दिखाया कि व्यक्ति में अगर संघर्ष क्षमता और दृढ़ संकल्प हो तो अभावों में भी संघर्ष से अडिग रहकर बड़ी से बड़ी ऊंचाई तक पहुंचा जा सकता है, गरीबी और जाति उसके आड़े नहीं आती।

वह एक स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, देशभक्त, समाजवादी विचारक और गरीबों और शोषितों की लड़ाई लड़ने वाले संघर्षशील नेता थे। देश की आजादी की लड़ाई लड़ते हुए वह बार-बार जेल गये इसलिए उनका नाम जरनैल सिंह से जैल सिंह पड़ गया। देश की मातृभाषा हिंदी के प्रेमी थे और उन्होंने राष्ट्रपति भवन का सारा काम हिन्दी में ही किया। पूर्व राष्ट्रपति होते हुए वह आईएएस की परीक्षा में हिन्दी लागू करने के लिये वह एक बार यूपीएससी भवन नयी दिल्ली के सामने आयोजित धरने पर भी बैठे थे। वह एक कुशल प्रशासक ईमानदार छवि के ताकतवर राष्ट्रपति थे।

पूर्वमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की केन्द्र सरकार के द्वारा पास किये गये इण्डियन पोस्टल बिल जिससे व्यक्ति के निजता का हनन माना जाता था, उस पर ज्ञानी जी ने हस्ताक्षर न करके यह जता दिया था कि राष्ट्रपति सरकार का रबर स्टैम्प नहीं है। हालांकि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नाराज़गी उन्हें झेलनी पड़ी थी। आज अगर वह राष्ट्रपति होते तो भाजपा के केंद्र सरकार के उल्टे-सीधे बिल को पास करने से मना कर देते। वह राष्ट्रपति होते हुए भी अपने विश्वकर्मा समाज को नहीं भूले थे। एक बार वह कानपुर में आयोजित विश्वकर्मा सम्मेलन में आये थे और विश्वकर्मा समाज का हौसला बढ़ाया था। आज विश्वकर्मा समाज की पहचान खतरे में है। भाजपा सरकार विश्वकर्मा समाज को गुमराह करके गलत दिशा में ले जाना चाहती है।

श्री विश्वकर्मा ने कहा कि आज जब सभी समाज के लड़के पढ़-लिखकर डाक्टर, इंजीनियर, आईएएस बनना चाहते हैं तो भाजपा सरकार विश्वकर्मा समाज के लड़कों को टूल्स किट्स देने में उलझा रही है और मजदूर बनाने की दिशा में ले जा रही है ताकि वह अधिकारी ने बन सकें। भाजपा सरकार को अगर विश्वकर्मा समाज को कुछ देना था तो उन्हें टूल्स किट्स की जगह कम्प्यूटर दे देते जिससे वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते और देश दुनिया की जानकारी, डिजिटल इण्डिया से जुड़ सकते। जिस प्रकार समाजवादी पार्टी की सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इण्टर पास लड़कों को मुफ्त लैपटॉप वितरित किया था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महासभा जिलाध्यक्ष रामनिरंजन विश्वकर्मा तथा संचालन राम अभिलाष विश्वकर्मा एडवोकेट ने किया। कार्यक्रम को पूर्व विधायक मुस्तफा सिद्दीकी, समाजवादी पार्टी जिलाध्यक्ष गंगापार अनिल यादव, अमर नाथ मौर्य, रामसुमेर पाल, रामअवध पाल, प्रेमचन्द कुशवाहा, महासभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिवशंकर वर्मा, प्रदेश सचिव महेन्द्र विश्वकर्मा, नगर अध्यक्ष रमाकांत विश्वकर्मा एडवोकेट, विश्वकर्मा ब्रिगेड जिलाध्यक्ष डा० बंशराज विश्वकर्मा, जिलाध्यक्ष गंगापार जिलाध्यक्ष ओमनारायण विश्वकर्मा, नगर अध्यक्ष विश्वकर्मा ब्रिगेड पंकज विश्वकर्मा, जिला प्रभारी सुमित विश्वकर्मा, जिलाध्यक्ष गंगापार राजू विश्वकर्मा, अनिल विश्वकर्मा, ज्ञानचंद विश्वकर्मा, डा० रमेश विश्वकर्मा, डा० संतोष विश्वकर्मा, केशव विश्वकर्मा ग्राम प्रधान, रमेशचंद्र विश्वकर्मा, धारा विश्वकर्मा, समाजसेवी राममूरत विश्वकर्मा, समाजसेवी वेद प्रकाश शर्मा, गणेश जी, बेनीमाधव विश्वकर्मा, शिवशंकर विश्वकर्मा, पद्माकर यादव, राजेन्द्र विश्वकर्मा, लालता विश्वकर्मा, अविनाश विश्वकर्मा, अरविंद विश्वकर्मा, शिवशंकर विश्वकर्मा, विनोद विश्वकर्मा, रमाकांत विश्वकर्मा बंगाली, संदीप विश्वकर्मा, सदाशिव विश्वकर्मा, वेद प्रकाश शर्मा नैनी, शिव प्रसाद विश्वकर्मा, नन्हे लाल विश्वकर्मा, राजकुमार विश्वकर्मा, राजेश विश्वकर्मा, जियाउद्दीन, संतोष कुमार विश्वकर्मा, रमेश विश्वकर्मा, प्रकाश विश्वकर्मा, चन्द्रशेखर, डा० पवन विश्वकर्मा, शैलेन्द्र विश्वकर्मा आदि ने कार्यक्रम को सम्बोधित किया।

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