वरिष्ठ समाजसेवी सुधीर गाढवे “सुरक्षित सीमा-समर्थ भारत” के राष्ट्रीय संयोजक नियुक्त

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दिल्ली। भारत जैसे विशाल देश में सबसे कम जाना जाने वाला परन्तु सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला अगर कोई भू-भाग है, तो वह है, देश की सीमाएं। वहाँ के स्थानीय निवासी, वहाँ तैनात सैन्य बल, वहाँ के गाँव, वहाँ की नदियां, वहाँ के पर्वत-पठार, वहाँ के रेगिस्तान, वहां का रण। ये सब अपने समूचे देशवासियों को कुछ बताना चाहते हैं, अपनी अलौकिकता के बारे में, अपनी रमणीयता के बारे में, अपने चट्टान जैसे साहस, अपनी नदी रूपी माधुर्य, अपने वन रूपी हरियाली यह सब दिखाना भी चाहते हैं। साथ ही साथ आगाह करना चाहते हैं; वीरान होते गांव के बारे में, सरहद पर होती घुसपैठ के बारे में, दुश्मनों के कुटिल चालों के बारे में, अवैध तस्करीयों के बारे में, और लंबे समय तक हुए अपनी उपेक्षा के बारे में। इन सब की आवाज बन, सम्पूर्ण भारतवर्ष तथा भारतीयों को वास्तविकता से परिचित कराने का कार्य कर रहा हैं युवा संसद, भारत का प्रकल्प “सुरक्षित सीमा-समर्थ भारत” अभियान। इस अभियान के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में महाराष्ट्र राज्य के पुणे निवासित वरिष्ठ समाजसेवी सुधीर विश्वम्भर गाढ़वे को नियुक्त किया गया।

नई दिल्ली में आयोजित भारत माता प्रेरणा स्थली निर्माण, “सुरक्षित सीमा- समर्थ भारत” निमित समिधा महायज्ञ के पोस्टर विमोचन कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, लेफ्टिनेंट जनरल कंवलजीत सिंह ढिल्लों, आचार्य लोकेश मुनि, युवाचार्य अभयदास महाराज, भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी और बिम्सटेक के अवर सचिव राकेश तिवारी , समाजसेवी डॉ प्रमेन्द्र जांगड़ा एवं युवा संसद, भारत की चेयरपर्सन और सिस्टर ऑफ़ सोल्जर से सुविख्यात पार्वती जांगिड़ सुथार की गरिमामयी उपस्थिति में सुधीर विश्वम्भर गाढ़वे को राष्ट्रीय संयोजक नियुक्ति का प्रमाण पत्र देकर, केंद्रीय मंत्री शेखावत द्वारा सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण २० साल सीमा व सीमान्त क्षेत्रों में किये गए कार्यों और यादों पर प्रकाश डाला तो जनरल ढिल्लों ने जम्मू कश्मीर में शांति स्थापित करने और समाज व सेना के बीच शानदार तालमेल पर विचार रखें। आचार्य लोकेश मुनि व युवाचार्य अभयदास महाराज ने अध्यात्म भारत की पुनर्स्थापना पर सुझाव व अनुभव साझा किये।

कार्यक्रम के अंत में युवा संसद, भारत की चेयरपर्सन सेना सिस्टर पार्वती जांगिड़ ने अपने गत १० सालों के अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर पर किये गए कार्यों से अवगत कराया तथा सीमा प्रहरियों और सीमान्त क्षेत्रों के लिए शीघ्र करने योग्य कल्याणकारी कार्यों पर प्रकाश डाला।

ज्ञात हो सुधीर गाढ़वे महाराष्ट्र के पुणे में रहते हैं, वे वरिष्ठ समाजसेवी हैं और पिछले काफी सालों से यूथ पार्लियामेंट से जुड़े हैं। गाढ़वे “शून्य उत्सर्जन और शून्य जल प्रदूषण” के विशेषज्ञ हैं, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, संस्कृति, पर्यटन, नवाचार, युवाओं को राष्ट्र निर्माण में योगदान इत्यादि विषयों पर राष्ट्र कार्यों में अपना योगदान दे रहे हैं। अपनी राष्ट्रीय नियुक्ति पर प्रसन्नता प्रकट करते हुए गाढ़वे कहते हैं की अब देश तथा देशवासियों में सीमाओं तथा सीमाजनों के प्रति जनजागृति पैदा करना ही मेरा प्रमुख उद्देश्य है। देश के हर वर्ग को अपनी सीमाओं तथा सीमाजनों के साथ एक ऐसे धागे में पिरोने का कार्य करता रहूँगा, जिसको पितामह भीष्म के कहे इस वाक्य से समझा जा सकता है जिसमें पितामह ने कहा है कि; “सीमाएं माता के वस्त्रों के समान होती हैं, इनकी रक्षा करना हर संतान का कर्तव्य है”।

युवा संसद,भारत के माध्यम से मैं देश की सीमाओं तथा देशवासियों के बीच उस संबंध को स्थापित करने का प्रयास करता रहूँगा, जिससे भारत अपनी सीमाओं तथा सीमाजनों को और अधिक सक्षम, सशक्त तथा आत्मनिर्भर बना सके। युवा संसद,भारत की यह पहल एक हुंकार है सीमा पर होते नए बदलावों की, सीमा तथा सीमाजनों के प्रति जनजागृति के अभियान की, यह कृतज्ञ है हर उस बलिदान की जो सीमाओं की रक्षा में हुए, यह परिचायक है उसी बलिदान के भाव की, यह द्योतक है संसाधन विहीन सीमाजनों की, यह नाद है सशक्त सीमा की, यह जयघोष है समर्थ होते भारत के सुरक्षित तथा समृद्ध होती सीमाओं की।

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