प्रखर विश्वकर्मा खुद का बना रहे “रॉकेट”, दो वर्ष में होगा लॉन्च

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टीकमगढ़। दिल में कुछ करने की तमन्ना हो तो उसे कोई रोक नहीं सकता। चलने वालों को रास्ता खुद-ब-खुद मिलता चला जाता है। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले की पलेरा तहसील के लारोन गांव निवासी 17 वर्षीय प्रखर विश्वकर्मा भी इसी राह पर हैं। बचपन से खगोल वैज्ञानिक बनने का सपना संजोये प्रखर अपने देश के लिये कुछ बड़ा काम करने की सोच रहे हैं। वह ऐसा रॉकेट बनाना चाह रहे हैं कि लक्ष्य को भेदकर सुरक्षित वापस आ जाये। उनके इस प्रयास के चलते ही इतनी कम उम्र में ही नासा ने “साइंटिस्ट फ़ॉर अ डे अवॉर्ड” प्रदान किया है। प्रखर के पिता रघुनन्दन विश्वकर्मा किराना की दुकान चलाते हैं, मां गृहिणी हैं। कोचिंग से मिले पारिश्रमिक से ही प्रखर अपने सपने को पंख लगा रहे हैं।

अभी हाल ही में इसरो द्वारा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण किया गया जो हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। इसका प्रेक्षेपण देखने के लिये हजारों लोग सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पहुंचे थे, जिसमें बुंदेलखंड क्षेत्र से प्रखर विश्वकर्मा ने भी चंद्रयान-3 की लॉचिंग को प्रमोचन दीर्घा से देखा।

प्रखर विश्वकर्मा बतातें हैं कि वह शुरू से ही अंतरिक्ष प्रेमी हैं और इसरो के हर मिशन को उन्होंने मोबाइल व टीवी पर लाइव देखा है। इसरो द्वारा दिया गया यह पहला अवसर था कि प्रक्षेपण के समय वह खुद वहां उपस्थित रहे। इस अवसर ने उनकी अंतरिक्ष के प्रति रुचि दोगुनी कर दी है।। प्रखर ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में जाकर कई वैज्ञानिकों से मुलाकात की, वहां उसने स्पेस गैलरी को भी देखा। उसने बताया कि वो भी आगे चलकर खगोल वैज्ञानिक बनकर इसके क्षेत्र में देश की सेवा करना चाहता है। प्रखर ने बताया कि वो भी 2 साल के अंदर अपना स्व विकसित रॉकेट लॉन्च करने का प्रयास कर रहा है। ये अंतरिक्ष के क्षेत्र में उसका छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम है ।

प्रखर विश्वकर्मा ने बताया कि वह टीकमगढ़ जिले की पलेरा तहसील के लारोन गांव का रहने वाला हूं और अपनी पढ़ाई पलेरा में ही करता हूं। कहा कि मैं अंतरिक्ष के क्षेत्र में शुरू से ही रुचि रखता आ रहा हूं, इसके लिए मैं दिन रात कार्य करता हूं। अभी मैं एस्ट्रोनौटिक इंस्टीट्यूट में स्पीकर के तौर पर कार्य कर रहा हूं। इसमें मुझे खगोल विज्ञान के बारे में सभी लोगों को जानकारी प्रदान करनी होती है।

प्रखर ने बताया कि मैं इंडियन स्पेस टीम में प्रोपुलशन विभाग में भी कई रिसर्च कर चुका हूं। मैंने स्वयं ही अपना एक रॉकेट तैयार किया है और खुद का इंजन भी तैयार कर रहा हूं। इसरो से प्रेरणा लेकर मैं इसे 2 वर्ष बाद लॉन्च करने का प्रयास कर रहा हूं जो देश के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

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