मालती विश्वकर्मा के संगीत का अब विदेश में भी बज रहा डंका

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महोबा। बुंदेलखण्ड के महोबा जिले की मालती विश्वकर्मा ने संगीत के क्षेत्र में महारथ हासिल की है। उनके संगीत का डंका अब विदेश में भी बज रहा है। संगीत के माध्यम से उन्हें राष्ट्रपति और राज्यपाल से सम्मान भी हासिल हुआ है और वह पुरस्कृत हुई हैं। संगीत सीखने के लिए उनके दरवाजे पर महिलाओं और पुरुषों की हर रोज भीड़ जुटती है।
मालती विश्वकर्मा ने अध्यापिका होने के बाद श्रीनगर के कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय में अपने जीवन की शुरूआत स्काउट गाइड में एचडब्ल्यूवी प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके अलावा आकाशवाणी छतरपुर की वी हाईग्रेड की गायिका बनीं। शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने पर उन्हें आदर्श शिक्षक के रूप में शिक्षक दिवस पर 1982 से 2012 तक तत्कालीन डीएम और बीएसए द्वारा सम्मानित किया गया। अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन में भी वह कई बार सम्मानित हुई। भारत स्काउट गाइड की अनेक छात्राओं को कई वर्षो तक राज्यपाल पुरूस्कार से सम्मानित कराया गया। रचना, अर्चना, अंजनी, रमाकान्ती, गायत्री, कल्पना और सवित्री को भी संगीत के क्षेत्र में अच्छी दिशा देकर उन्हें सम्मानित कराया गया। खजुराहो आने वाले विदेशी पर्यटक भी मालती विश्वकर्मा के संगीत के दीवाने हो गए। उनकी कैसिटें आज भी विदेश में अपना डंका बजा रही हैं।
मालती विश्वकर्मा 5 सितम्बर 2013 को वर्ष 2012 के लिये राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार से भी सम्मानित हुईं। यह सम्मान उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों प्राप्त हुआ था। वर्ष 2015 में मालती को प्रधानमन्त्री से एवार्ड मिला। उन्होंने गायन के क्षेत्र में भाष्कर, गिटायर में प्रभाकर तथा तबला में प्रभाकर हासिल किया। उनके गुरू हनीफ मोहम्मद सिद्दीकी रहे। मालती को वर्ष 2007 में चन्द्रावलि उपाधि और 2002 में कंठ कोकिला उपाधि से भी सम्मान मिला। मालती ने जिले और प्रदेश में ही नही बल्कि विदेशों में भी अपने संगीत का जादू बिखेरा है। आज यहां संगीत की दुनिया में शामिल होने वाले उनकी महारथ के आगे कायल हैं। गुर सीखने के लिए उनके यहां हर रोज तांता लगता है।

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