लोगों को हक की लड़ाई के लिये प्रेरित कर रहे तीन फीट के मयंक विश्वकर्मा
कोरबा| छत्तीसगढ़ प्रदेश के सबसे छोटे कद के लिटिल मोटिवेटर मयंक विश्वकर्मा अब सोशल मीडिया से लोगों को जोड़कर हक के लिए लड़ने को प्रेरित कर रहे हैं। 32 साल के मयंक का कद मात्र 3 फीट है। डीपीएस जमनीपाली से 12वीं की पढ़ाई करने के बाद पीजी काॅलेज में बीए की डिग्री ली है। साथ ही पीजीडीसीए भी किया है। दिव्यांगों की हालत को देखकर लोगों को संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं। साथ ही हौसला बढ़ाने के लिए रोज सोशल मिडिया में चर्चा भी करते हैं। अब तक फेसबुक में 12 हजार लोगों को जोड़ चुके हैं।
पावर सिटी दर्री निवासी मयंक के पिता डॉ0 माणिक विश्वकर्मा एनटीपीसी के रिटायर्ड उप महाप्रबंधक हैं। उनकी मां पुन्नी विश्वकर्मा गृहणी है। दो भाई व एक बहन में सबसे बड़े मयंक हैं। उनके पिता डॉ0 विश्वकर्मा ने बताया कि मयंक नार्मल ही पैदा हुआ था, लेकिन बाद में मेडिसीन इफेक्ट के कारण हाइट नहीं बढ़ पाई। छोटा भाई मृगांक पुणे में सीनियर इंजीनियर व बहन मेघा विश्वकर्मा मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। उनकी इच्छा बाहर पढ़ाई करने जाने की थी, लेकिन उनकी हाइट कम होने से सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में परेशानी को देखते हुए नहीं भेजा।
दिव्यांगों की अब 7 से 21 कैटेगरी—
दिव्यांगों की पहले 7 कैटेगरी थी अब 21 हो गई है। मयंक का कहना है कि सरकार दिव्यांगों को मात्र 4 प्रतिशत ही आरक्षण दे रही है। इसकी वजह से लोगों को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलता। विवाह कराने या पेंशन देने की बजाए स्वरोजगार व रोजगार देकर आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करना चाहिए। इसके लिए भी मैं कैम्पेनिंग कर रहा हूं। यहां तक बस में भी दिव्यांगों को सुविधा नहीं मिल पाती।
जिला प्रशासन रोजगार के लिए करे पहल: मयंक
मयंक 3 वर्ष तक एनटीपीसी अस्पताल में कार्यरत थे। यूपीएल कंपनी का ठेका समाप्त होने के बाद काम पर नहीं रखा गया। मयंक डाटा एंट्री आपरेटर के पद पर थे। उनका कहना है कि जिला प्रशासन चाहे तो सार्वजनिक संस्थानों में पढ़े-लिखे दिव्यांगों को रोजगार दे सकती है।