दस प्रतिशत लोग भी एकजुट हों तो बदल सकती है समाज की दशा और दिशा— इन्द्रजीत सिंह

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औरंगाबाद। मैं अपने दिल का दर्द आपसे बांटने आया हूं कि भारत के किसी भी कोने में विश्वकर्मा समाज की सुनवाई नहीं होती। उसका कारण सिर्फ एक ही है कि हमारे समाज में एकता नहीं है। मुझे जानकारी है कि भारत में करीब 17—18 करोड़ विश्वकर्मावंशी हैं, क्या यह ताकत राज्यों व केंद्र सरकार को पता है। नहीं, क्योंकि यदि हम एकजुट होकर इस ताकत को दिखाते तो समाज के उत्थान के लिए नीतियां निर्धारित हो सकती थी। मैं नहीं कहता कि 100 प्रतिशत विश्वकर्मावंशी मेरे साथ आयें, उन्हें उनके घर—व्यापार—कामकाज भी देखने हैं, लेकिन यदि 10 प्रतिशत भी विश्वकर्मावंशी एक मंच पर आ जाएं, एक आवाज बनकर जयघोष करें तो हम समाज की दशा और दिशा दोनों बदल सकते हैं। यह उद्गार अखिल भारतीय विश्वकर्मा महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के पौत्र इन्द्रजीत सिंह ने विश्वकर्मा पूजा दिवस के अवसर पर एलोरा स्थित विश्वकर्मा मंदिर में आयोजित विश्वकर्मा पूजन महासम्मेलन में व्यक्त किया।


बतौर मुख्य अतिथि महसम्मेलन को सम्बोधित करते हुये इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि आप बताएं कि क्या हम किसी से कमजोर हैं, जो हजारों साल के संघर्ष के बाद भी पिछड़े हैं। हम इसलिए पिछड़े हैं कि आज भी हम एक दूसरे की टांग खींचने में लगे हैं। मुझसे पूछा जाता है कि समाज कैसे आगे बढ़ेगा तो मेरा अनुरोध है कि टांग खींचना छोड़ दो और हाथ पकड़ लो, जैसे ही हम ऐसा करने लग जाएंगे समाज खुद ही प्रगति की ओर तेजी के साथ बढ़ जाएगा। उन्होंने आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी विश्वकर्मा समाज से अपनी ताकत व एकता दिखाने का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि मुझे बताइए, विश्वकर्मा पूजन दिवस को निर्माण दिवस के रूप में मनाए जाने को सरकार की ओर से मान्यता दिए जाने में ही समय लग रहा है, और किसी काम में नहीं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी आवाहन किया कि उनका जन्मदिन भी 17 सितम्बर को है, यदि वह सच्चे हैं और सच में नए भारत का निर्माण करने के इच्छुक हैं वह 17 सितम्बर को निर्माण दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा करें।


इससे पहले सुबह 6 बजे समाज के दम्पतियों ने श्रद्धा के साथ हवन—पूजन में भाग लिया। विश्वकर्मा मन्दिर के आचार्य महेन्द्र बापू के मार्गदर्शन में आयोजित महाआरती में हजारों विश्वकर्मावंशियों के जयकारों से भवन गूंज उठा। तत्पश्चात अतिथियों के हाथों पंचरंगी ध्वजारोहण हुआ और मन्दिर से विश्वकर्मा कुंड व विश्वकर्मा पुरातन मन्दिर होकर फिर विश्वकर्मा मन्दिर तक रथयात्रा निकाली गई। मृदंग—मजीरों की गूंज व सुमधुर अर्भगवाणी के साथ विश्वकर्मा समाज के भक्तगणों ने भगवान विश्वकर्मा व कालिका मां के जयकारे लगाए जिससे सम्पूर्ण रथयात्रा मार्ग गुंजायमान हो उठा। रथयात्रा के वापस विश्वकर्मा मंदिर लौटने पर पूजन अभिषेक के साथ ही पं0 संतोष आचार्य ने विश्वकर्मा मन्दिर एलोरा के महत्व की जानकारी दी। तत्पश्चात मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथिगण और गणमान्य व्यक्तियों के सम्मान व मार्गदर्शन का आयोजन भव्य कार्यक्रम सभागृह में किया गया। सर्वप्रथम अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर शुभारम्भ किया। आद्य राष्ट्रसंत भोजलिंग काका समाज जीवन गौरव पुरस्कार प्रदान किए गए। समापन अवसर पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष नागोराव पांचाल के मार्गदर्शन का सभी उपस्थित जनों ने लाभ उठाया। विश्वकर्मा पूजन दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित रक्तदान शिविर में भी बड़ी संख्या में युवाओं ने रक्तदान कर प्रेरणा दी। बाद में सभी ने महाप्रसाद का लाभ उठाया।


इस अवसर पर अखिल भारतीय विश्वकर्मा महासभा के बलवीर सिंह लाल (पंजाब), हुकमाराम सुतार, प्रमुख विश्वकर्मा मन्दिर जोधपुर प्रदीप जांगिड़, कैशियर विश्वकर्मा मन्दिर पुणे पुष्पराम जांगिड़, अखण्ड विश्वकर्मा ब्राह्मण कल्याण समिति के संस्थापक पं0 संतोष आचार्य, पं0 पुष्पेंद्र शर्मा, पं0 शिव शंकर विश्वब्राह्मण, पं0 लक्षिराम विश्वकर्मा पालघर, पं0 लवकुश विश्वकर्मा सतना मध्य प्रदेश, पं0 राजेश विश्वकर्मा मुंबई, ओमप्रकाश विश्वकर्मा, घनश्याम विश्वकर्मा, प्रदेश अध्यक्ष नागोराव पांचाल, विवेकानंद सुथार, दिलीप दीक्षित, सुनील जानवे, संजय वोराड़े, अरूण भलेकर, राम सुतार, राजेश पंडित, डा0 गजानन गातूरकर आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। सद्भावना ज्योत व विभिन्न नगरों से आई पैदल दिंडी का सभी अतिथियों ने पुष्पाहार के साथ स्वागत किया। प्रस्तावना विवेकानंद सुतार ने रखी।

रिपोर्ट— भारत रेघाटे (ताम्रकार)

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