लगन की भट्ठी में तपकर आईआईटियन बना विवेक राज विश्वकर्मा

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गया (श्रवण कुमार)। जीवन में यदि सफलता प्राप्त करना हो तो विवेक राज से भी प्रेरणा ली जा सकती है। ननिहाल में रहकर आर्थिक तंगी व शून्य संसाधनों के सहारे आईआईटी के लिये क्वालीफाई करना आसान नहीं है। परन्तु विवेक राज ने वह कर दिखाया है जिसकी हम सभी कल्पना भी नहीं कर सकते। लोहा पीटने की भट्ठी चलाकर दिन भर में बमुश्किल दो सौ रुपये कमाकर परिवार की जीविका चलाने वाले अयोध्या मिस्त्री का नाती अब आईआईटियन बन गया है। विवेक राज ने जी एडवांस में एसटी कटेगरी में 575वां रैंक लाकर अपने 75 वर्षीय नाना का सपना साकार कर दिया है। नाती की सफलता पर अयोध्या मिस्त्री फूले नहीं समा रहे, वह सभी से अपनी खुशियां बांट रहे हैं।

बिहार प्रदेश में गया जिले के मानपुर में एक छोटे से घर में लोहा पीटने की भट्ठी चलाकर जीविकोपार्जन करने वाले अयोध्या मिस्त्री के दिन अब बहुरने वाले हैं। अयोध्या को सिर्फ एक बेटी थी जिसकी शादी भी हो गई थी। बेटी के परिवार में भी आर्थिक तंगी थी और खुद भी परेशान रहा करते थे। बेटी ने अपने बच्चों के साथ पिता के घर पर रहकर ही उनकी सेवा करना चाहा। मिस्त्री ने भी अपनी भट्ठी की कमाई से सबका पालन-पोषण करना और दोनों नाती को पढ़ाना शुरू किया। बड़ा नाती विवेक राज बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि का था इसलिए उस पर ज्यादा ध्यान दिया। किसी तरह उसका अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में एडमिशन कराया पर फीस जमा नहीं हो पा रही थी। इसी बीच स्कूल के डायरेक्टर डॉ0 कृष्णा प्रसाद ने अयोध्या मिस्त्री की आर्थिक तंगी देखते हुये होनहार विवेक राज की फीस माफ कर दिया और निःशुल्क पढ़ाया। आज वही विवेक राज आईआईटियन बन गया है। अयोध्या मिस्त्री व विवेक ने स्कूल के डायरेक्टर को भगवान की संज्ञा देते हुये कहा कि इस सफलता में उनका बड़ा योगदान है।

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