विश्वकर्मावंशी सी0 रामा कृष्णा चेरी ने पर्यावरण क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पाई उपलब्धि
वाराणसी। बिगड़ती आबो-हवा वर्तमान में सबसे बड़ी वैश्विक चिंता है, जिसे दूर करने की कवायद भी जारी है। ऐसे में उन प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ जाती है, जो पर्यावरण इंजीनियरिंग में विशेष दक्षता रखते हैं। इनकी राय न सिर्फ पर्यावरण को सुधारने के लिए कारगर हैं, बल्कि इससे भविष्य की चुनौतियों से भी निबटा जा सकता है। कुछ इसी भूमिका को सालों से निभाते आ रहे हैं तेलंगाना प्रदेश के नालगोंडा जिला के मूल निवासी और कुवैत में बतौर वरिष्ठ पर्यावरण इंजीनियर कार्यरत सी0 रामा कृष्णा चेरी। बीते माह वह प्रवासी भारतीय सम्मेलन में हिस्सा लेने वाराणसी आये थे।
सी0 रामा कृष्णा चेरी का जन्म नालगोंडा जिला स्थित पालीवला गांव के एक साधारण लोहार परिवार में हुआ था। अभाव के बावजूद माता-पिता (सी0 सोभाग्या व सी0 मल्ला चेरी) ने रामा कृष्णा सहित तीनों बच्चियों की परवरिश व शिक्षा-दीक्षा का हर संभव जतन किया। प्राथमिक शिक्षा से लेकर इण्टर तक की पढ़ाई क्रमश: पालीवला व निजामाबाद के सरकारी स्कूलों से की। कड़ी मेहनत और देश-दुनिया में मुकाम हासिल करने के जज्बे ने रीजनल इंजीनियरिंग कालेज में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया। स्नातक के बाद रामा कृष्णा ने न्यूलैंड लैबोरेट्रीज, हैदराबाद के साथ अपने पेशेवर करियर की शुरूआत की। कुछ ही समय में तकनीकी कौशल और कार्य में दक्षता ने उन्हें प्रबंधन की निगाह में ला दिया। इसके बाद करियर को और भी विस्तार देने के इरादे से रामा कृष्णा कुवैत चले गए। वर्तमान में वे कुवैत ऑयल कंपनी में बतौर वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत हैं। इसके अलावा रामा कृष्णा विश्व एनआरआई परिषद-भारत व अमेरिकन सोसाइटी ऑफ सेफ्टी प्रोफेशनल्स (एएसएसपी) के सदस्य हैं। साथ ही वे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण की मेजबानी में लाइफ साइकल इनिशिएटिव कार्यक्रम में स्वैच्छिक योगदान भी देते हैं।
समूचे परिवार की है सफलता—
रामा कृष्णा कहते हैं कि, ‘अभाव के बावजूद माता-पिता हमेशा हौसला बढ़ाते रहे। वहीं 2013 में शामिली संग परिणय सूत्र में बंधने के बाद जिंदगी बदल गई। पराए मुल्क में हर कदम पर मुझे पत्नी का साथ मिला। परिवार का हर सदस्य हर कदम पर मेरे साथ खड़ा है। मेरी कामयाबी माता-पिता के योगदान व पत्नी के साथ के बिना संभव नहीं थी।
पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति कर रहे जागरुकता—
रामा कृष्णा कुवैत, भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण लोगों को बतौर विशेषज्ञ प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। वहीं कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भी बतौर वक्ता शिरकत की, जहां एचएसई विशेषज्ञों के साथ मंच साझा करने का मौका मिला। रामा कृष्णा कहते हैं कि, ‘एनजीओ को पर्यावरण कल्चर से रूबरू करने के मकसद से हमने 2015 में गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) का गठन किया। साथ ही एनवायरमेंटल एक्सीलेंस अवार्ड कार्यक्रम तैयार कर एएसएसपी कुवैत चैप्टर में लागू कराया।’
प्रवासियों की समस्याओं का करते समाधान—
सी0 रामा कृष्णा चेरी वर्ल्ड एनआरआई काउंसिल (कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय, भारत द्वारा स्वीकृत) के अस्थाई निदेशक हैं। इस मंच से वे एनआरआई समुदाय को सशक्त बनाने व उनकी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में प्रयासरत हैं।
सी0 रामा कृष्णा चेरी की उपलब्धियां—
—वर्ल्ड एनआरआई काउंसिल मध्य-पूर्व क्षेत्र के अस्थाई निदेशक।
-हाइड्रोजन-सल्फाइड सुरक्षा प्रशिक्षण मानक समिति-एएसएसपी, यूएस के सदस्य।
-एएसएसपी पर्यावरणीय अभ्यास विशेषज्ञता-यूएसए के सलाहकार बोर्ड के सदस्य।
-एएसएसपी कुवैत चैप्टर के सलाहकार समिति के सदस्य।
मिले यह पुरस्कार—
वर्ष 2018 में कुवैत ऑयल कार्पोरेशन की ओर से एप्रीशिएशन अवार्ड, तमिलनाडू इंजीनियर्स फोरम की ओर से इंजीनियरिंग एक्सीलेंस गोल्ड अवार्ड व इसी वर्ष एएसएसपी-यूएसए की ओर से चार्ल्स वी0 कुलबस्ट्रन आउटस्टैंडिंग वालंटियर सर्विस अवार्ड। वहीं कुवैत चैप्टर सेफ्टी प्रोफेशनल ऑफ द ईयर-2016, डिस्टिंग्विस यंग अलुमनी पब्लिक सर्विस अवार्ड-2016, सीईओ एचएसएसई अवार्ड-2014 व 15, एमडी एचएसएसई अवार्ड-2013 आदि से भी नवाजे गए हैं।