विश्वकर्मा कुल के दो पीठाधीश्वर ने महाकुम्भ स्नान के बाद किया काशी विश्वनाथ का दर्शन

वाराणसी। दक्षिण भारत के विश्वकर्मा कुल के दो पीठाधीश्वर एवं जगद्गुरु ने प्रयागराज महाकुम्भ स्नान के बाद वाराणसी पहुंचकर काशी विश्वनाथ का दर्शन किया। साथ ही विश्वकर्मा कुल के सम्भ्रान्त जनों को अपने आशीर्वचनों से अभिसिंचित किया। इस सम्बंध में वरिष्ठ साहित्यकार एवं पूर्व जिला विकास अधिकारी डॉ0 दयाराम विश्वकर्मा ने बताया कि गत सप्ताह धर्मेश्वर वाटिका धर्मबीर नगर चितई पुर वाराणसी में विश्वकर्मा विश्व ब्राह्मण कुल की दो महान विभूतियां/शंकराचार्य पधारे। श्रीकांता जी महराज हैदराबाद नागौर के श्रीमठ नंदीकोंडा गायत्री पीठम के पीठाधीश्वर हैं, जिन्हें तेलंगाना सरकार ने स्टेट ऑनर दिया है। वह अपने कुल के जगद्गुरु भी हैं। बताया कि जब वह हैदराबाद के दौरे पर थे तो जगद्गुरु से सम्पर्क कर विश्वब्राह्मण, विश्वकर्मा ब्राह्मण के आचार्यों के सन्दर्भ में व्यापक चर्चा की थी और उन्हें वाराणसी आने का आग्रह किया था। स्वामी जी महाकुम्भ स्नान के बाद, काशी पधारे और धर्मेश्वर वाटिका में अपने बारह शिष्यों के साथ एक दिवसीय प्रवास किये।
यह मणिकांचन संयोग ही था कि उडुपी मैंगलोर के भी जगद्गुरू अगेगुण्डी जी महाराज भी धर्मेश्वर वाटिका में पधारे थे। उस दिन विश्वकर्मा वंशियों को अपने कुल के दोनों महान विभूतियों से मिलने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसमें पूर्व न्यायाधीश पारस नाथ शर्मा, अखिल भारतीय विश्वकर्मा ट्रस्ट वाराणसी के प्रबंधक पांच गौण, श्रीनाथ, धर्मेश्वर वाटिका के प्रोपायिटर भरत विश्वकर्मा, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय शिक्षा संकाय के प्रोफेसर डॉक्टर प्रेम शंकर, नीतीश शर्मा आदि गणमान्य लोग स्वामी द्वय का दर्शन लाभ किया। स्वामी श्रीकांत जी महराज अपने पीठ में अपने कुल के बच्चों को छः वर्षीय कोर्स पढ़ाते हैं और उन्हें धर्म, आध्यात्म, कर्मकाण्ड पर प्रमाण पत्र देते हैं।
उपस्थित लोगों से वार्ता करते। हुये जगद्गुरु स्वामी श्रीकांत जी महाराज ने बताया कि दक्षिण भारत में विश्वकर्मा कुल के पांच पीठाधीश्वर जगद्गुरु होते हैं जो क्रमश: गायत्री, सावित्री, सरस्वति, शचि और संध्या पीठ कहलाते हैं। परन्तु वर्तमान में शचि और संध्या पीठ अस्तित्व में नहीं है। केवल तीन पीठ गायत्री, सावित्री और सरस्वती बचे हैं, जो अभी भी पुस्त दर पुस्त चलते आ रहें हैं और उन पीठों के पीठाधीश्वर जगद्गुरु धार्मिक विधि विधान से होते आ रहें हैं।
जगद गुरु अनेगुण्डी महासंस्थानम् कर्नाटक के उडुपी मंगलौर से जगदगुरु शंकराचार्य भी महाकुम्भ और काशी में पधारे थे, जो उक्त पीठ उड़प्पी मंगलौर के स्वामी जी हैं जिन्हें कर्नाटक सरकार ने स्टेट ऑनर दिया है। वर्तमान में प्रतिवर्ष सैकड़ों बच्चों को बारह वर्षीय वेद अध्ययन पर प्रमाण पत्र देकर समाज में विश्वकर्मा विश्वब्राह्मण उत्पन्न कर पूरे दक्षिण भारत में विश्वकर्मा कुल को रोशन कर रहे हैं। कोई भी यह महासंस्थानम् देखकर प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। स्वामी जी अपने प्रताप से भगवान विश्वकर्मा जी की महती कृपा से उक्त बहुमंजिला संस्थानम संचालित कर रहे हैं और आध्यात्मिक ज्योति जगाये हुए हैं।
डॉ0 दयाराम विश्वकर्मा ने विश्वकर्मा वंशजों का आवाहन किया कि यदि आप सभी बंगलौर, मंगलौर जाये। तो उडुपी आश्रम में पीठाधीश्वर स्वामी जी जो सरस्वति पीठाधीश्वर शंकराचार्य हैं उनका दर्शन करना न भूलें।