तुषार विश्वकर्मा के हौसलों ने बदल दी जिन्दगी, पैर से लिखकर पास की परीक्षा

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लखनऊ। हाथ से कलम नहीं उठी तो पैर से लिखने का प्रयत्न किया और यह प्रयत्न सफलता के रूप में सामने है। यूपी बोर्ड 2019 की हाईस्कूल परीक्षा पैर से लिखकर प्रथम श्रेणी में पास करने वाले तुषार विश्वकर्मा ने 2021 की इंटरमीडिएट में भी अच्छा अंक प्राप्त किया है। यूपी बोर्ड की परीक्षा के परिणाम आ गए हैं जिसमें प्रदेश का सफलता प्रतिशत बढ़िया रहा। छात्रों से ज्यादा छात्राओं ने परीक्षा में पास किया है। ज्ञातव्य हो कि इस साल परीक्षा के परिणाण कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण देरी से आए हैं।
किसी ने सही ही कहा है कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। हौसले, जज्बे और लगन की मिसाल है 12वीं के छात्र तुषार विश्वकर्मा। आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा है। विपरीत हालात से लड़ना उसे आता है। कमजोरियों को जीतना वो जानता है। लखनऊ के क्रिएटिव कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले तुषार के दोनों हाथों की ताकत पोलियो ने बचपन में ही छीन ली थी। अपने आत्मविश्वास, शिक्षकों और अभिभावकों के सहयोग से उसने पैरों से लिखने में महारत हासिल कर दी और 12वीं की परीक्षा में 70.44 प्रतिशत अंक लाकर अपने परिवार और स्कूल का नाम रोशन कर दिया है। तपोवन नगर निवासी राजेश कुमार विश्वकर्मा मौरंग-बालू का कारोबार करते हैं। मां सुमन गृहणी हैं। बेटे का रिजल्ट देखने के बाद दोनों की आंखें गर्व से चमक रहीं थीं। राजेश कहते हैं कि बचपन में ही पोलियो ने तुषार के हाथों की ताकत छीन ली।
स्कूल नहीं भेजना चाहते थीं माता-
तुषार विश्वकर्मा की मां सुमन बताती हैं कि हम तो निराश हो चुके थे और उसे घर पर ही पढ़ाने लगे थे, उसे स्कूल नहीं भजते थे। लेकिन तुषार की जिद की वजह से स्कूल भेजना शुरू कर दिया और आज हमें अपने बच्चे पर गर्व है। वहीं तुषार का कहना था कि उसकी सफलता के पीछे उसके घर वाले और स्कूल के शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान है। स्कूल के प्रबंधक योगेंद्र सचान का कहना था कि तुषार हमारे स्कूल का गौरव है और वो उन बच्चों के लिए उदहारण है जो अपनी असफलता से निराश हो जाते है।
तुषार का सपना इंजीनियर बनने का है-
आज तुषार उन सभी लोगों के लिए नजीर पेश कर रहा है। इसलिए किसी को भी अपनी असफलता से डरना नहीं चाहिए बल्कि आगे बढ़ना चाहिए। तुषार बताते हैं कि उनका सपना इंजीनियर बनने का है और वो उसका पूरा करके दिखाएंगे। तुषार के घर में मम्मी पापा के साथ ही एक भाई और बहन भी हैं। दोनों उससे बड़े हैं।
2019 में पास की थी 10वीं की परीक्षा-
तुषार विश्वकर्मा का नाम पहली बार 2019 में आया था जब परीक्षा के दौरान उसकी फोटो वायरल हुई थी। 10वीं की परीक्षा भी उसने प्रथम श्रेणी में पास किया था।

1 thought on “तुषार विश्वकर्मा के हौसलों ने बदल दी जिन्दगी, पैर से लिखकर पास की परीक्षा

  1. संघर्ष ही जीवन है।
    जीवन ही संघर्ष है।
    भाई तुषार विश्वकर्मा की मनोकामनाएं पूर्ण हों।

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