एक पीड़िता की व्यथा: कोरोना काल में मौत का कारण डाक्टर व हास्पिटल

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आज हमारे देश की परिस्थिति बहुत ही खराब हो गई है। देश में मौत ही मौत हो रही है। इं0 विद्यानन्द शर्मा की मौत 28 अगस्त को हो गई। बीमारी हालत में मैं शर्मा जी को लिवाकर देवरिया से बनारस तक दौड़ती रही परन्तु सभी हॉस्पिटल ने भर्ती करने व डॉक्टर ने ईलाज करने से मना कर दिया। अंत में किसी तरह बनारस के एपेक्स हास्पिटल ने भर्ती लिया। हॉस्पिटल ने ईलाज के लिये डेढ़ लाख रूपए भी जमा करा लिया लेकिन शर्मा जी की जान नहीं बची। शर्मा जी की मौत की जिम्मेदार मोदी सरकार है जिसने सबकुछ बंद करा रखी है।
मोदी सरकार कोरोना वायरस का दहशत फैला रही है, क्योंकि अब तक जितनी मौत हुई है उसमें ज्यादातर दिल की बीमारी और सुगर की बीमारी से ही हुई है। अगर यह सरकार ठीक रहती तो कोरोना जहां से शुरू हुआ था वहीं खत्म भी करवा देती। लेकिन सरकार का क्या बिगड़ रहा है उसने तो पूरे देश में थाली, घंटी बजाकर, दीपक जलाकर कोरोना वायरस का स्वागत कराया। प्लेग एड्स जैसी बड़ी से बड़ी बीमारियां कांग्रेस सरकार में भी आई थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने बीमारी का स्वागत नहीं किया बल्कि बीमारी की रोकथाम कराया था।

आज पूरे भारत में त्राहि-त्राहि मची हुई है। मैं इन्साफ चाहती हूं, देश को बर्बादी से बचाने के लिए। जिस समय अचानक नोटबंदी हुई थी उस समय भी हमारे भारत में कितने हाहाकार मचे हुए थे लेकिन मोदी सरकार मजे ले रही थी। सरकार के मुखिया कहते हैं कि मैं काला धन लोगो से निकलवा रहा हूं। मैं पूछती हूं कि इस नोटबंदी से हमारे देश का कितना भला हुआ? क्या काला धन यह सरकार नहीं रखी है? हमारी शिक्षानीति भी कितनी बिगड़ गई है। मैं पूछती हूं कि इस ऑनलाइन पढ़ाई के द्वारा हमारे देश के बच्चों का भविष्य कितना उज्जवल हो सकता है? क्या देश के गरीबों के बच्चे भी ऑनलाइन पढ़ने काबिल हैं? यह ऑनलाइन पढ़ाई सिर्फ एक ढकोसला है। बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। लेकिन मोदी सरकार ने मीडिया को भी खरीद रखा है। जो सरकार चाहेगी वही मीडिया वाले बोलेंगे। इस सरकार का कहना है कि अभिभावक भीख मांगकर स्कूल का फीस जमा करते हैं। क्या यह सत्य है? कभी भिखारी भी अपने बच्चों को पढ़ा सकता है? कितनी गलत सोच है सरकार की।

अगर यह सरकार रही तो हमारा देश भुखमरी का भी शिकार हो जायेगा। सरकार सब कुछ प्राइवेट कर ही देगी, धीरे-धीरे राशन देना भी बंद कर देगी। इस तरह पूरे भारत मे तबाही ही तबाही होगी। यह सरकार कोरोना वाइरस की रोकथाम कभी भी नहीं करा सकती। “भले ही किसी के कानों तक मेरी छींक न पहुँचे, भले ही किसी की आँख मेरी हरकत को न देखे, अगर आप पूछेंगे तो मैं कहूँगी प्रकृति देख रहा है जो हमें सांस लेने में मदद करती है। वह प्रकृति जो हमें खुशबू प्रदान करती है। लेकिन मैं नहीं जानती कि यह सरकार आगे क्या करेगी। इसलिए मै सभी सामाजिक संगठनों, समाजसेवियों, मीडिया के लोगों से यह अनुरोध करती हूँ कि मेरी इस पीड़ा को सभी देशवासी की पीड़ा समझें।

लेखिका- ऊषा शर्मा (समाजसेविका)
जनपद- देवरिया (उत्तर प्रदेश)

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