डॉ0 सुनील विश्वकर्मा के बनाये रेखाचित्र पर मूर्तिकार योगिराज ने तैयार की प्रभु राम की मूर्ति
वाराणसी। अयोध्या में प्रभु राम के नवनिर्मित मन्दिर में रामलला के जिस विग्रह यानी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई है उसका रेखाचित्र महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ललित कला विभाग के अध्यक्ष डॉ0 सुनील विश्वकर्मा ने तैयार किया था। यह रेखाचित्र मूर्ति बनाने के लिये अप्रैल 2023 में ही चुन ली गई थी, परन्तु इसे गोपनीय रखा गया। डॉ0 सुनील विश्वकर्मा ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट द्वारा जताये गये विश्वास को अक्षुण रखा और किसी को भनक तक न लगी।
रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा काशी के वेदमूर्तियों ने की तो इस विग्रह के स्वरूप की कल्पना भी काशी के ही एक कलाकार ने की है। इस कलाकार के बनाए चित्र को ही मूर्तिकारों ने विग्रह रूप दिया जिसके बाद कर्नाटक के अरुण योगीराज की बनाई प्रतिमा को चुना गया। यह कलाकार काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग के अध्यक्ष डॉ0 सुनील कुमार विश्वकर्मा हैं। विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद डॉ0 विश्वकर्मा ने अपने बनाए चित्र और इसकी कहानी साझा की।
उन्होंने बताया कि फरवरी-2023 से इसकी तैयारियां शुरू हुई थीं। देशभर के 82 नामी गिरामी चित्रकारों से पांच वर्ष के रामलला का चित्र मांगा गया था। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट की तरफ से इनमें से अंतिम तीन चित्रों का चुनाव किया गया। डॉ0 सुनील कुमार विश्वकर्मा के बनाए स्केच के अलावा महाराष्ट्र और पुणे के दो अन्य वरिष्ठ कलाकारों के स्केच शामिल थे। डॉ0 विश्वकर्मा ने बताया कि 15 से 20 अप्रैल के बीच उन्हें व अन्य दोनों कलाकारों के साथ नई दिल्ली बुलाया गया।
यहां डॉ0 सुनील विश्वकर्मा के चित्र को चुना गया। इसके लिए राममंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र, ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, मंदिर के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरी, यतींद्र मिश्र सहित पांच लोगों ने उनसे बातचीत की और चित्र के पीछे उनके भावों के बारे में पूछा। चित्र का चयन हो जाने के बाद डॉ0 सुनील विश्वकर्मा को तीन मूर्तिकारों कर्नाटक के अरुण योगीराज, गणेश भट्ट और जयपुर के सत्यनारायण पांडेय के साथ बिठाया गया। मूर्तिकारों के साथ लंबी चर्चा के बाद मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई।
रेखाचित्र बनाने से लेकर उसके चुने जाने तक की जानकारी गोपनीय रखी गई। गोपनीयता ऐसी कि पत्नी से भी कोई बात साझा नहीं की। डॉ0 सुनील के मुताबिक अप्रैल-2023 में ही रामलला का चित्र अंतिम रूप से चुन लिया गया था बावजूद इसके पूरी जानकारी गोपनीय रखी गई। उन्होंने विद्यापीठ के सहकर्मियों, ललितकला एकेडमी के साथी कलाकारों और मित्रों को भी इस बारे में कुछ नहीं बताया। यहां तक कि पत्नी से भी इस बात को छिपाकर रखा। वह कहते हैं कि इसके लिए मंदिर की तरफसे स्पष्ट निर्देश मिले थे। रामलला के चित्र के चुने जाने के बाद मंदिर के पदाधिकारियों ने उन्हें लाइमलाइट से दूर रहने को कहा था। उन्हें कहा गया था कि यह ईश्वर का काम है और इसमें विघ्न न पड़े इसलिए जरूरी है कि इस सूचना को अभी सामने न आने दिया जाए। डॉ0 विश्वकर्मा ने बताया कि भगवान राम के इस काम में सचमुच विघ्न न आए इसलिए उन्होंने इस सूचना को परिवार में भी किसी से साझा नहीं किया।
मूलरूप से मऊ जिला के कोपागंज नगर पंचायत क्षेत्र के हंसापुरा निवासी डॉ0 सुनील विश्वकर्मा बहुत उच्चकोटि के चित्रकार हैं। उन्होंने कई चित्र बनाये हैं जिसकी प्रशंसा होती है। राम मंदिर की थीम पर श्रीराम का धनुष-बाण के साथ बालरूप का चित्र, भगवान विश्वकर्मा का चित्र तथा और बहुत सारे चित्र उनके द्वारा बनाये गये हैं जो प्रशंसनीय है। डॉ0 सुनील विश्वकर्मा के कई शिष्य भी अपनी चित्रकारी का लोहा मनवा रहे हैं।
विश्वकर्मा ब्राह्मणों कि जय जय