पुलिस पर बंदूक उठाने वाली सावित्री विश्वकर्मा की, पुलिस ने ही बदल दी जिन्दगी

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राजनांदगांव। महज 13 साल की उम्र में माओवादी बनी सावित्री विश्वकर्मा की जिंदगी अब पूरी तरह से बदल चुकी है। कभी जंगलों में राइफल लेकर मारी-मारी फिर रही सावित्री का घर बस चुका है। बीते जनवरी माह में सावित्री की शादी पुलिस ने ही कराई। ये शादी अब लोगों के बीच काफी चर्चा में है।


नक्सल प्रभावित जिले में जिला पुलिस ने एक आत्मसमर्पित महिला नक्सली की शादी स्थानीय गायत्री मंदिर में कराई। इस दौरान पुलिसकर्मी घराती बने, दूल्हा चूंकि सामान्य परिवार से है, इस वजह से उनके परिजन यहां मौजूद रहे। सावित्री के पिता की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। ऐसे में पुलिस वालों ने ही कन्यादान की रस्म भी निभाई और आशीर्वाद के तौर पर दूल्हे को पुलिस द्वारा पेट्रोल पंप में पंप ऑपरेटर की नौकरी भी दी गई है।
ग्राम तमोड़ा तहसील दुर्गकोंदल की रहने वाली सावित्री विश्वकर्मा उर्फ रेशमा को 13 वर्ष की उम्र में ही नक्सलियों ने जबरन उठा लिया था और अपनी सेना में भर्ती कर लिया। खडगांव में पल्लेमाड़ी सदस्य के रूप में वो सक्रिय थी। नक्सलियों ने उसे हथियार थमा दिया। वर्ष 2014 में उसने पुलिस के समक्ष समर्पण कर दिया। नक्सलियों ने गुस्से में उसके पिता आयतु विश्वकर्मा की हत्या कर दी। समर्पण के बाद नाबालिग सावित्री को पुलिस ने बेटी की तरह पाला आसैर उसे पढ़ाया। फिर सावित्री की शादी कर उसका घर बसा दिया।
एसपी ने दिया नियुक्ति पत्र—
एसपी प्रशांत अग्रवाल ने विवाहित जोड़े से मुलाकात की। जोड़े से मिलकर आशीर्वाद व उपहार दिया। लड़के को राजनांदगांव पुलिस पेट्रोल पंप में नौकरी दी गई। एसपी अग्रवाल ने कहा कि यह एक अनूठा उदाहरण है जिससे प्रेरणा लेकर इससे प्रेरित होना चाहिए।
सचिव ने किया कन्यादान—
पुलिस ने बालिग होने पर समाज के एक लड़के से सावित्री का विवाह कराया। प्रवाही फाउंडेशन के अध्यक्ष पराग बोद्दून, आसमा खण्डेलवाल, गायत्री परिवार का सहयोग रहा। फाउंडेशन की सचिव ममता बोद्दुन ने कन्यादान किया। (साभार)

3 thoughts on “पुलिस पर बंदूक उठाने वाली सावित्री विश्वकर्मा की, पुलिस ने ही बदल दी जिन्दगी

  1. आज झारखण्ड प्रदेश विश्वकर्मा समाज , जिला शाखा दुमका(झारखंड) का होली मिलन समारोह स्थानीय जन पुस्तकालय, दुमका में मनाया गया। मिलन समारोह का आरम्भ कई नए सदस्यों के परिचय एवं माल्यार्पण के साथ किया गया। सर्व श्री गंगाधर शर्मा एवं सत्यजीत शर्मा के द्वारा केंद्रीय कमिटी की जमशेदपुर में आयोजित कार्यक्रम में मिले मार्गदर्शन एवं उपलब्धियों से सदन में उपस्थित सदस्यों को अवगत कराया गया।कई बुजुर्ग और नए सदस्यों ने समाज की उन्नति के सम्बन्ध में मार्गदर्शन दिए। आगामी एक माह में अगली बैठक बुलाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।आज के होली मिलन समारोह का समापन लोगों ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर और बधाइयाँ देकर किया। अब प्रतीक्षा है आगामी बैठक के तिथि निर्धारण की। आज के समारोह में मैं एक नए सदस्य के रूप में शामिल हुआ था। दुमका जिला विश्वकर्मा समाज के उत्तरोत्तर उन्नति की मैं कामना करता हूँ।

  2. यही है जिंदगी। जिस शोहरत और पैसे के लिए इंसान जिंदगी भर दौड़ता है। चकाचौंध में खो जाता है। आखिरी में सब छोड़ कर ऐसे ही चला जाता है। श्रीदेवी मेरे बचपन मे एक मिसाल जैसी थी अपनी मेहनत और मूवीज के लिए। बहुत छोटे से देखता आया हूँ उन्हें। आज पहली बार किसी बॉलीवुड एक्ट्रेस के जाने से ऐसा लग रहा जैसे कुछ खाली सा हो गया। कुछ था जो खो गया हमेशा के लिए। कुछ ऐसा जो सिर्फ अब याद में ही रह जायेगा। उनकी अदाकारी उनका हँसना और उनकी मेहनत।

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