स्वच्छता की मिशाल बने प्राचार्य सोनेलाल विश्वकर्मा

Spread the love

कटनी। देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी देश में सबसे बड़ा अभियान स्वच्छता का छेड़े हुए हैं। स्वच्छता को एक जनान्दोलन का रूप देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में कटनी जिला डेढ़ साल पहले ओडीएफ हो चुका है, लेकिन सफाई की निरन्तरता बनी रहे इसके लिए नित नए प्रयास शासन-प्रशासन द्वारा हो रहे हैं। सफाई को लेकर एक स्कूल, कॉलेज, संस्थानों में पहल हो रही है। इन सबके बीच स्वच्छता की एक अजब-गजब वानगी सामने आई है। एक स्कूल के मास्साब जो स्वच्छता के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है। यहां बात हो रही है शासकीय माध्यमिक शाला बिजौरी के प्रधानपाठक और हाईस्कूल के प्रभारी प्राचार्य सोनेलाल विश्वकर्मा की।


सोनेलाल विश्वकर्मा प्राचार्य होते हुए भी प्रतिदिन स्कूल में पहुंचते ही हाथों में झाड़ू, वॉशिंग पाउडर, टॉयलेट क्लीनर को हाथ में थामते हैं और सबसे पहले बच्चे जहां शौच व निस्तार करते हैं वहां पर जाकर सफाई करते हैं। इसके बाद आगे की पढ़ाई आदि पर फोकस करते हैं। स्कूल के मास्साब की यह पहल देखकर बच्चे भी अपने आप को नहीं रोक पाते और खुद भी परिसर की सफाई में उनका हाथ बटाने जुट जाते हैं। स्कूल के बच्चे व अभिभावक शिक्षक सोनेलाल की पहल को सलाम कर रहे हैं।
21 साल से पदस्थ हैं शिक्षक—
माध्यमिक शाला बिजौरी के प्रधानपाठक सोनेलाल विश्वकर्मा निवासी विलायतकला स्कूल में 21 साल से पदस्थ हैं। माध्यमिक शाला की कमान संभालने के साथ ही चार साल से हाईस्कूल की बागडोर भी इन्हीं के हाथों में है। शिक्षक ने कहा कि बचपन से ही स्कूल के प्रति लगाव है। उन्होंने कहा कि मां बहुत पहले मुझे इस दुनिया में छोड़कर चलीं गई थीं। वे उस समय कक्षा आठवीं में पढ़ रहे थे। शिक्षा के दौर से ही स्कूलों से लगाव बढ़ा, उसके बाद शिक्षक बनने के बाद कुछ अलग कर गुजरने के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
कभी नहीं लेते अवकाश—
आपको जानकर ताज्जुब होगा कि सोनेलाल ऐसे शिक्षक हैं जो कभी अवकाश ही नहीं लेते। मास्साब ने बताया कि वे विद्यालय के प्रति समर्पित भाव से जुड़े रहते हैं। उनका यह भाव बच्चों को ऐसी तालीम दे कि मन में लगे कि ये हमारे बच्चे हैं और वे स्कूल और गांव में नाम रोशन कर सकें। इसको लेकर सोनेलाल कभी भी अवकाश नहीं लेते। उनका कहना है कि वे छुट्टी में अपने घर का काम निपटा लेते हैं। स्कूल और बच्चे ही मेरी सबसे बड़ी धरोहर हैं। मेरे मन में यह भाव रहता है कि जहां से भी निकलूं तो बच्चे यह कहें कि ये हमारे मास्साब हैं और अभिभावक भी खुश रहें कि बच्चों को स्कूल में बढिय़ा माहौल है।
खास-खास:-
—माध्यमिक स्कूल में 136, हाइ स्कूल में 161 विद्यार्थी करते हैं अध्ययन।
—हर दिन अलग-अलग बच्चों से ध्वजारोहरण कराने का कर चुके हैं नवाचार।
—बच्चों को पुस्तकीय ज्ञान के साथ पढ़ाते हैं दैनंदनीय का पाठ।
—बच्चों की शिक्षा के साथ उनकी सेहत का भी रखते हैं ख्याल।
—बच्चों के बीच खेल गतिविधियों को दिया जा रहा बढ़ावा।
स्कूल हमारा मंदिर, उसकी सफाई जरूरी—
इस सम्बन्ध में माध्यमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक व हॉयर सेकेन्ड्री स्कूल के प्राचार्य सोनेलाल विश्वकर्मा का कहना है कि स्कूल हमारा मंदिर है। ऐसे में मन्दिर रूपी शाला का स्वच्छ रहना बेहद आवश्यक है। स्कूल साफ रहेगा, परिसर के साथ प्रसाधन को स्वच्छ रखेंगे तभी हम बच्चों के लिए बेहतर माहौल दे पाएंगे। विभागीय बैठकों में स्वच्छता पर चर्चा होती है। उस पर अमल करने का प्रयास कर रहा हूं। देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी स्वच्छता के लिए बड़ा अभियान चला रहे हैं। उससे मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं। इससे मैं स्कूल, परिसर, गांव, घर, मोहल्ले को स्वच्छ रखने का प्रयास करता हूं और लोगों को स्वच्छता के लिए प्रेरित करता हूं।
शिक्षकों के लिए बने मिसाल—
इस सम्बन्ध में संकुल प्रभारी प्राचार्य उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बड़वारा जुगल किशोर चौरसिया ने कहा कि संकुल केन्द्र अन्तर्गत बिजौरी के शिक्षक सोनेलाल विश्वकर्मा वाकई में सराहनीय काम कर रहे हैं। बिना किसी घृणा के जैसे माता-पिता अपने बच्चों का ध्यान रखते हैं और घर की साफ-सफाई पर ध्यान देते हैं उसी तरह स्कूल में भी सफाई को बनाकर रखते हैं। शिक्षक सोनेलाल शिक्षा जगत के लिए और स्वच्छता का संदेश देने के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं। हमारा शिक्षा जगत इनकी इस पहल से गौरवान्वित महसूस करता है। साथ ही अन्य सभी शिक्षकों, प्राचार्यों व प्रधानपाठकों से अपील है कि स्कूल की सफाई, बच्चों की स्वच्छता और गांवों में स्वच्छता के लिए आवश्यक पहल करें।

संकलनकर्ता— मुकेश विश्वकर्मा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: