प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने इस विश्वकर्मावंशी को झुककर किया प्रणाम

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केवडिया (गुजरात)। प्रधानमन्त्री बनने के बाद मैंने एक बड़ा सपना देखा था, मेरे उस सपने को साकार करने वाले शिल्पकार तुम ही हो, मैं तुमको कोटि—कोटि प्रणाम करता हूं। शायद नरेन्द्र मोदी ने पद्म भूषण राम वी सुतार का अभिवादन करते हुये सिर झुकाकर प्रणाम करने के साथ यही कहा। मौका था विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा यानी ‘स्टेच्यू आफ यूनिटी’ के लोकार्पण समारोह का। गुजारात के मुख्यमन्त्री विजय रूपाणी ने जैसे ही राम वी सुतार को अंगवस्त्र व सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया, पास ही खड़े प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ताली बजाते हुये श्री सुतार के पास पहुंचे और हाथ मिलाने के बाद एक कदम पीछे हटते हुये उन्हें झुककर प्रणाम किया। प्रधानमन्त्री द्वारा किसी विश्वकर्मावंशी का इतना बड़ा सम्मान देश के इतिहास में पहली बार हुआ है जिससे पूरा समाज गौरवान्वित है।


गुजरात के केवडिया में नर्मदा नदी के किनारे सरदार सरोवर बांध के नजदीक स्थापित सरदार बल्लभ भाई पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा जिसे ‘स्टेच्यू आफ यूनिटी’ कहा गया है का लोकार्पण प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया। लोकार्पण मंच पर इस प्रतिमा के शिल्पकार पद्म भूषण राम वी सुतार का सम्मान भी किया गया। राम वी सुतार की बनाई प्रतिमाएं संसद भवन से लेकर देश व विदेश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित हैं। अपने जीवन के 92 वर्ष पूर्ण कर चुके राम जी सुतार विश्व के सबसे बड़े मूर्तिकार माने जाते हैं। इन्होंने नोयडा में बड़े भूभाग पर अपना स्टूडियो बना रखा है और कारोबार विदेशों तक फैला है।
स्टेच्यू आफ यूनिटी की कल्पना पद्मश्री राम वी सुतार की है और उन्होंने ही इस प्रतिमा को डिजाइन किया है। इससे पहले भी वे सैकड़ों प्रतिमाएं बना चुके हैं जिसमें संसद भवन परिसर में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा भी शामिल है।
राम वी सुतार मूल रूप से महाराष्ट्र के एक गांव (गोंदूर) के रहने वाले हैं। उनके पिता कारपेन्टर थे और इस नाते उन्हें शिल्पकला विरासत में मिली थी। शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव में ही हुई और उसी दौरान गुरु श्रीराम कृष्ण जोशी से मिट्टी में जान डालने की कला यानी शिल्पकारी सीखना शुरू किया। इसके बाद राम वी सुतार ने शिल्पकला के लिए मशहूर जेजे स्कूल आफ आर्ट में दाखिला ले लिया और यहां तमाम बारीकियां सीखी। पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ दिनों तक नौकरी भी की, इसके बाद वर्ष 1958 में वह दिल्ली आ गए। शुरुआत में कुछ दिनों तक लक्ष्मीनगर में रहे और उसके बाद नोएडा में अपना स्टूडियो स्थापित किया।
राम वी सुतार द्वारा डिजाइन की गयी स्टेच्यू आफ यूनिटी का कुल वजन 1700 टन है और ऊंचाई 522 फिट यानी 182 मीटर है। प्रतिमा अपने आप में अनूठी है। इसके पैर की ऊंचाई 80 फिट, हाथ की ऊंचाई 70 फिट, कंधे की ऊंचाई 140 फिट और चेहरे की ऊंचाई 70 फिट है। राम वी सुतार इन दिनों मुंबई के समुंदर में लगने वाली शिवाजी की प्रतिमा की डिजाइन भी तैयार करने में जुटे हैं। पिछले दिनों अमृतसर के वॉर मेमोरियल में लगाई गई दुनिया की सबसे लंबी तलवार को भी सुतार ने ही तैयार किया था।
देश-विदेश में अपनी शिल्पकला का लोहा मनवाने वाले राम वी सुतार को साल 2016 में सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया था। इससे पहले वर्ष 1999 में उन्हें पद्मश्री भी प्रदान किया जा चुका है। इसके अलावा वे बाम्बे आर्ट सोसायटी के लाइफ टाइम अचीवमेंट समेत अन्य पुरस्कार से भी नवाजे गए हैं। भारत सरकार ने अभी हाल ही में उन्हें ‘टैगोर अवार्ड’ देने की घोषणा किया है। प्रतिमा लोकार्पण के अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, गुजरात के मुख्यमन्त्री विजय रूपाणी के साथ ही राम वी सुतार के पुत्र मूर्तिकार अनिल सुतार भी मौजूद रहे।
विश्वकर्मावंश की ऐसी महान विभूति को नमन करते हुये ‘विश्वकर्मा किरण’ पत्रिका परिवार उनके स्वस्थता व दीर्घायु की कामना करता है।

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