आंसुओं के सैलाब के बीच शहीद मनीष कारपेन्टर की दी गई अन्तिम विदाई

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भोपाल। जम्मू कश्मीर के बारामूला में आतंकी हमले में शहीद हुये मनीष कारपेन्टर के गृह जिले में गमगीन माहौल में अंतिम विदाई दी गई। हजारों की संख्या में मौजूद लोगों ने भारत माता की जय और मनीष कारपेन्टर अमर रहे के गगनभेदी नारे से माहौल को देशभक्ति से ओतप्रोत कर दिया। गम, गुस्सा और गर्व लोगों के चेहरे पर साफ झलक रहा था। शहीद की अन्तिम यात्रा में उमड़े लोगों को न कोरोना का डर रहा न किसी के रोकने का। सुरक्षा में लगे पुलिस के जवानों ने लोगों को बीच में रोकने की बहुत कोशिश की परन्तु कोई रुका नहीं।

शहीद का पार्थिव शरीर 26 अगस्त को उनके गृह नगर खुजनेर पहुंचा। यहां पर मनीष को अंतिम विदाई के लिए हजारों लोग इकट्ठे हुए। इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शहीद को श्रद्धांजलि दी। शहीद का पार्थिव शरीर 26 अगस्त को उनके गृह नगर खुजनेर पहुंचा। यहां पर मनीष को अन्तिम विदाई के लिए हजारों लोग इकट्ठे हुए। इससे पहले मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 26 अगस्त को 3 सीएमई सेंटर में राजगढ़ के शहीद मनीष कारपेंटर को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने शहीद के परिवार को एक करोड़ रुपए की सहायता राशि और एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की। सीएम ने कहा कि शहीद मनीष कारपेन्टर की प्रतिमा भी स्थापित होगी। इससे पहले, उन्होंने ट्वीट में लिखा था- “ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं। मध्यप्रदेश को अपने वीर सपूत पर गर्व है।”

आपको बता दें कि सेना के जवान मनीष कारपेन्टर क्रीरी इलाके में तलाशी अभियान पर थे। इस दौरान आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी कर दी। मुठभेड़ में मनीष गंभीर रुप से घायल हो गये। उन्हें उपचार के लिये अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। महज 22 वर्ष में देश के लिए बलिदान होने वाले मनीष कारपेन्टर मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के खुजनेर कस्बे के निवासी थे और वर्ष 2016 में सेना में भर्ती हुए थे। उनके भाई हरीश भी सेना में हैं और राजस्थान में तैनात हैं।

पत्नी के साथ अपने माता-पिता से आशिर्वाद प्राप्त करते हुये मनीष कारपेन्टर

मनीष के पिता सिद्धनाथ विश्वकर्मा ने कहा- पांच-छह दिन पहले बेटे से बात हुई थी। उसने कहा था- दो-तीन महीने बाद दशहरा के आसपास घर आऊंगा। आप आरती (पत्नी) को मायके से ले आना। लेकिन बहू को लाने से पहले बेटे की शहादत की खबर आ गई। मनीष के सुसर मांगीलाल ने बताया- कश्मीर में नेटवर्क की समस्या की वजह से दमाद जी से कम बात होती थी। 6 महीने पहले मुलाकात हुई थी। मनीष की शादी 19 मई 2019 को आष्टा जिले के निपानिया गांव की आरती से हुई थी। शादी के एलबम में लगीं फोटो को देखकर आरती बेहोश हो जाती है।

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