भगवान विश्वकर्मा रथयात्रा का उज्जैन में हुआ समापन
उज्जैन। मध्य प्रदेश के चित्रकूट से 28 जनवरी को निकली भगवान विश्वकर्मा रथयात्रा रीवा, सतना, पन्ना, छतरपुर, सागर, रायसेन, भोपाल, सीहोर होते हुये उज्जैन पहुंची जहां भव्य समारोह व सम्मेलन के साथ समापन हुआ। इस रथयात्रा का आयोजन पूरे प्रदेश में विश्वकर्मा बंधुओं को एक करने के उद्देश्य से निकाला गया।
रथयात्रा के संयोजक मोहनलाल विश्वकर्मा के अनुसार, समाज को जोड़ने के उद्देश्य से निकाली जा रही यात्रा में 20 से अधिक वाहनों से 200 लोग साथ चल रहे थे। यह यात्रा विभिन्न शहरों में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता और भोजन जूठा नहीं छोड़ने जैसे सामाजिक संदेशों का प्रचार करते हुये उज्जैन पहुंची जहां समापन हुआ।
उज्जैन के चारधाम मंदिर के पास हरसिद्धि गार्डन में रथयात्रा समापन समारोह के अवसर पर आयोजित विश्वकर्मा समाज के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन में इस बात पर मंथन किया कि उनका पारम्परिक फर्नीचर का व्यवसाय अब आधुनिक मशीनरी और बदलते दौर में अमीरों के हाथों में चला गया है। मप्र सरकार को समाज के उद्धार के लिए अनुदान देना चाहिए। समाजहित में जल्द ही एक प्रतिनिधि मंडल मप्र के मुख्यमंत्री से मिलकर अनुदान की मांग रखेगा।
रथयात्रा 16 फरवरी को ही उज्जैन पहुंच चुकी थी। रात्रि विश्राम के बाद 17 फरवरी को क्षीरसागर मानस भवन से सुबह 10 बजे यात्रा निकली, जिसमें समाज की महिलाएं श्रीफल, कलश लेकर शामिल हुई। घोड़ों पर समाजजन ध्वज लेकर निकले। रथ में भगवान विश्वकर्मा की पीतल की प्रतिमा के दर्शन हो रहे थे।
यात्रा समापन के पश्चात सम्मेलन में संत भगवान शरण बापू ने समाज को एक होने का संकल्प कराया। स्वागत भाषण विश्वकर्मा समाज उज्जैन के अध्यक्ष जगदीश पांचाल ने दिया। स्वागत पप्पू शर्मा, रमेशचंद्र शर्मा, विजय शर्मा, रमेश विश्वकर्मा, विजय चौहान, मोहनलाल, राम वर्मा आदि ने किया। जवाहरलाल जांगिड़ ने 6 हजार रुपए की बोली लगाकर भगवान विश्वकर्मा की महाआरती की। समापन में समाजजनों ने प्रसादी ग्रहण की।
—मुकेश विश्वकर्मा
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान जोर पकड़ता जा रहा है ।और विश्वकर्मा भारत में एकत्रित हो जाएं तो अनूठा काम है ।