हौसले को नमन: पैरों से लिख कर अपनी तकदीर बदल रहा तुषार विश्वकर्मा

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लखनऊ। राजेश विश्वकर्मा के बेटे तुषार विश्वकर्मा के हाथ तो हैं लेकिन पोलियो की वजह से वह हाथ से लिख नहीं सकता। बचपन से ही अन्य बच्चों को देखकर स्कूल जाने की जिद करने लगा। उसकी जिद और जज्बे को देखकर माता पिता ने उसका दाखिला स्कूल में करवा दिया, जहां तुषार अन्य बच्चों को हाथ में पेंसिल पकड़े देखकर कुछ दिन परेशान रहा, लेकिन शिक्षकों के हौसला बधांने पर उसने पैरों से लिखना शुरू किया। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाने लगी और हमेशा ही परीक्षा में अच्छे अंक लाकर अपने माता-पिता का नाम रोशन किया।
सरोजनी नगर के क्रिएटिव कान्वेंट स्कूल से दसवीं की पढ़ाई कर रहा तुषार विश्वकर्मा बंथरा के लाला रामस्वरूप इण्टर कॉलेज में बोर्ड की परीक्षा देने पहुंचा। तुषार का हिंदी का पेपर था और उसे कमरा नंबर 21 में बैठना था। केन्द्र व्यवस्थापक व विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ0 डी0के0 कौशल ने जब इस बच्चे को देखा तो उन्होंने उसकी सुविधा को देखते हुए परीक्षा देने के लिए कमरे के बाहर मेज लगवा दी, जहां तुषार ने बैठकर पेपर देना शुरू कर दिया। हाथों से दिव्यांग तुषार ने पैरों की अंगुलियों में पेन फंसाया और उत्तर पुस्तिका में लिखना शुरू कर दिया। उसे पैरों से लिखता देख विद्यालय में मौजूद हर कोई दंग था।
केन्द्र व्यवस्थापक ने बताया कि इस बच्चे को इस तरह परीक्षा देते देख उनके यहां एक शिक्षक ने प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका के पेज पलटने में मदद करने की कोशिश की तो उसने यह कहकर उन्हें रोक दिया कि वह यह काम खुद ही कर लेगा। परीक्षा दे रहे तुषार की लिखने की स्पीड भी कम नहीं थी और उसकी राइटिंग भी काफी अच्छी थी। केन्द्र में मौजूद सभी लोग तुषार की इस मेहनत और लगन को देखकर यही कह रहे थे कि वह आगे चलकर जरूर कामयाब होगा। (साभार)

—केशव विश्वकर्मा

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