मध्यप्रदेश में विश्वकर्मा समाज को रिझाने के लिये भाजपा-कांग्रेस में जबरदस्त होड़
भोपाल। मध्यप्रदेश में विश्वकर्मा समाज को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिये राजनीतिक पार्टियों में होड़ मची है। प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस दोनों ही विश्वकर्मा समाज को अधिक से अधिक अपनी पार्टी से जोड़कर रखना चाहते हैं। राजनीति में शून्यता का सफर कर रहे विश्वकर्मा समाज के लिये यह एक अवसर भी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में अपना भविष्य देख रहे विश्वकर्मा समाज के नेता भी काफी सक्रिय हैं।
ज्ञात हो कि इसी महीने 14 मार्च को मध्यप्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने आवास पर विश्वकर्मा समाज की महापंचायत बुलाई थी। उन्होंने विश्वकर्मा समाज की मांग पर “विश्वकर्मा कल्याण बोर्ड” गठन की घोषणा भी कर दी। मुख्यमन्त्री ने यहां तक कह दिया कि बोर्ड का अध्यक्ष विश्वकर्मा समाज से ही होगा जिसे कैबिनेट मन्त्री का दर्जा दिया जायेगा। मुख्यमन्त्री की इस घोषणा के बाद मध्यप्रदेश के साथ ही अन्य प्रदेशों में भी विश्वकर्मा समाज को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
मध्यप्रदेश की प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस भी कहां पीछे रहने वाली है। विश्वकर्मा समाज का एक धड़ा जो कांग्रेस से जुड़ा है उसने भी 16 मार्च को 51 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमन्त्री कमलनाथ से मुलाकात किया। कभी मौका न चूकने वाले कमलनाथ ने भी तुरन्त “मध्यप्रदेश कांग्रेस लौह एवं काष्ठ कला प्रकोष्ठ” का गठन कर दिया।
इस प्रकोष्ठ का अध्यक्ष भी तेज-तर्रार युवा नेता विष्णु विश्वकर्मा को बना दिया गया। लौह एवं काष्ठ कला प्रकोष्ठ का गठन कर कांग्रेस ने यह संकेत दे दिया है कि यदि मौजूदा सरकार “विश्वकर्मा कल्याण बोर्ड” को मूर्त रूप देती है तो कांग्रेस की सरकार बनने पर भी उसे लागू रखा जायेगा। और यदि शिवराज सिंह चौहान अपनी घोषणा पर खरा नहीं उतरते हैं तो कांग्रेस सरकार बनने पर ” लौह एवं काष्ठ कला बोर्ड” का गठन किया जायेगा।