डॉ0 नरेन्द्र कुमार शर्मा का प्रयास लाया रंग, फसल प्राथमिकताओं में बदलाव से किसान हो रहे समृद्ध

भागलपुर। बीयू के मार्गदर्शन में भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ0 नरेन्द्र कुमार शर्मा द्वारा गैर योजना मद के सहयोग से उक्त प्रखंडों के विविध गांव के किसानों का सामाजिक-आर्थिक सर्वे करने के बाद उनकी फसल प्राथमिकताओं में बदलाव से संभव हो पाया है। डॉ0 नरेन्द्र कुमार शर्मा के काफी परिश्रम के बाद फसल प्राथमिकताओं में बदलाव के साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के किसानों की सामाजिक-आर्थिक दशा बदल गई है।
बिहार कृषि विवि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के किसानों की सामाजिक-आर्थिक दशा सुधारने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। इसी कड़ी में पूर्णिया जिले के बायसी प्रखंड के गांव के सैकड़ों किसान अब एक फसल की जगह धान के अलावा सरसों और मक्के की फसल भी उगा रहे हैं। उत्पादन बढ़ने से किसान आर्थिक रूप से सबल होने लगे हैं। यह प्रयोग जल्द ही सूबे के अन्य बाढ़ प्रभावित जिलों में भी शुरू होगा।
40-40 किसानों का हुआ सर्वे, फिर डेमो दिखाया-
सहायक प्राध्यापक डॉ0 नरेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि बायसी प्रखंड के चंद्रगामा, हरेरामपुर, मिलिक टोला, मरगाहीगंज और नुकनी गांव के 40-40 किसानों का सर्वे किया गया। वहां के किसान बाढ़ प्रतिरोधी धान की किस्म नहीं लगाते थे। इसके कारण फसल आते ही नष्ट हो जाती थी। सर्वे के बाद उक्त गांव के एक हेक्टेयर में सवर्णा सब-1 बाढ़ प्रतिरोधी धान का डेमोंसट्रेशन कर जागरूक किया गया। अब किसान बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सवर्णा सब वन धान की खेती कर रहे हैं। किसानों ने फसल चक्र में भी बदलाव किया है। अब वे वैज्ञानिक पद्धति से धान के बाद सरसों और मक्के की उन्नत खेती कर रहे हैं।
एक के बदले तीन फसल-
डॉ0 शर्मा ने कहा कि बिहार कृषि विवि के मार्गदर्शन में की जा रही खेती के बाद किसानों की आर्थिक सामाजिक स्थिति में तेजी से बदलाव हो रहा है। वे एक के बजाय तीन फसल उगा रहे हैं। यह सब कुछ किसानों की फसल प्राथमिकता में बदलाव से संभव हो पाया है। इस बदलाव से प्रफुल्लित चंद्रगामा के किसान ख्वाजा मामून, सुलेमान और आरिफ ने बताया कि पूर्व में धान की फसल बाढ़ से नष्ट हो जाती थी। अब कृषि कॉलेज के वैज्ञानिक के मार्गदर्शन में बाढ़ प्रतिरोधी क्षमता वाली धान की खेती करते हैं। बाढ़ से प्रभावित होने के बाद भी धान की अच्छी फसल है।