बिना कोचिंग आईएएस अफसर बने डा0 जोगाराम जांगिड़

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जयपुर। सीमावर्ती गांव गंगाला निवासी डॉ0 जोगाराम जांगिड़ के गंगाला से जिला कलेक्टर जयपुर की अदभुत कहानी बहुत ही दिलचस्प है। उनकी सफलता के पीछे के संघर्ष की वो कहानी, जो हर किसी को आगे बढ़ने और कुछ कर दिखाने को प्रेरित करती है। दो दिन पुराने अखबारों को पढ़कर व रेडियो सुनकर तैयारी करते थे। राजस्थान के बेहद शांत अफसरों में शुमार आईएएस डा0 जोगाराम जांगिड़ की जीवनी प्रेरणादायक है। संघर्ष की मिसाल और बुलंद हौसलों की ऊँची उड़ान है, जो बयां करती है कि मुश्किल हालात में भी जोश और जुनून के बूते इंसान कामयाबी की सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ सकता है।
17 जनवरी 1981 को अर्जुनराम जांगिड़ की पहली संतान के रूप में डा0 जोगाराम का जन्म हुआ। डा0 जोगाराम जांगिड़ की दिलचस्पी फर्नीचर के पुस्तैनी काम की बजाय किताबों में थी। नतीजा यह रहा कि बेहद पिछड़े इलाके गंगाला के डा0 जोगाराम ने जयपुर जिला कलेक्टर तक का सफर तय कर लिया। डा0 जोगाराम जांगिड़ कलेक्टर बनने से पहले ग्राम सेवक थे।
उन्होंने अपने गांव गंगाला और बाड़मेर के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की। 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वर्ष 1999 में डा0 जोगाराम की सबसे पहले ग्राम सेवक के रूप में सरकारी नौकरी लगी। पोस्टिंग अपनी ही पंचायत समिति की सेतरउ गांव में मिली। ग्राम सेवक बनने के बाद भी डा0 जोगाराम ने पढ़ाई नहीं छोड़ी और कॉलेज की पढ़ाई स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में पूरी की।
डा0 जोगाराम जांगिड़ बिना कोचिंग के आईएएस अधिकारी बने। नाथूराम जांगिड़ के अनुसार बाड़मेर जिले में करीब पांच साल ग्राम सेवक रहने के दौरान डा0 जोगाराम ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। खास बात है कि उन्होंने कोई कोचिंग नहीं की। बाड़मेर में ही रहकर किताबों, पुस्तकालय, अखबारों और रेडियो पर बीबीसी सुनकर तैयारी की। वर्ष 2005 में 62वीं रैंक पर इनका आईएएस में चयन हुआ।
डा0 जोगाराम जांगिड़ पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। दो छोटे भाई व दो बहन हैं। छोटे भाई शंकर जांगिड़ का 2013 में आईआरएस में चयन हुआ। मझले भाई नाथूराम जांगिड गांव के सरपंच हैं। वर्ष 2001 में बाड़मेर की चौहटन पंचायत समिति के गांव घोनिया की मोहरी देवी से डा0 जोगाराम की शादी हुई। इनका बेटा अमृत 11वीं कक्षा और बेटी शीतल प्रथम वर्ष में जयपुर में अध्ययनरत हैं।
बाड़मेर से आईएएस बनने वाले जोगाराम दूसरे शख्स हैं। नाथूराम जांगिड़ बताते हैं कि उनके भाई डा0 जोगाराम वर्ष 2005 में बाड़मेर जिले से आईएएस बनने वाले दूसरे शख्स हैं। इनसे पहले बाड़मेर से ललित पंवार आईएएस बने। उस समय गांव गंगाला के कई लोगों को तो पता तक नहीं था कि भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी आईएएस होता क्या है। तब कई लोग तो यही समझते थे कि डा0 जोगाराम का ग्राम सेवक पद से अफसर के पद पर प्रमोशन हुआ है।

डा0 जोगाराम व उनके गांव से जुड़ी कुछ खास बातें-
-आईएएस बनने के बाद भी डा0 जोगाराम का अपनी जड़ों से गहरा जुड़ाव है। -घर-परिवार में शादी-विवाह के साथ-साथ जागरण तक कार्यक्रम में जोगाराम शिकरत करते हैं।
-डा0 जोगाराम का गांव गंगाला बेहद पिछड़ा हुआ है। अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इनके भाई नाथूराम के सरपंच बनने के बाद वर्ष 2017 में गांव गंगाला में मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंची।
-जिस समय डा0 जोगाराम प्रतियो​गी परीक्षाओं की तैयारी करते थे। तब इनके गांव में अखबार दो दिन बाद और रोजगार समाचार पत्र सात दिन बाद पहुंचा करते थे।
-भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से 60 किलोमीटर दूर बसे गांव गंगाला में तब एक ही बस चला करती, जो सिर्फ बाड़मेर तक आती-जाती थी।
-डा0 जोगाराम जब आईएएस बने तब उनकी पहली बार फुल साइज की तस्वीर खींची गई। इससे पहले परीक्षाओं के फार्म पर लगाने के लिए पासपोर्ट साइज की फोटो खिंचवाई थी।
-डा0 जोगाराम भरतपुर, दौसा, कोटा और झुंझुनूं के जिला कलेक्टर समेत राजस्थान में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं।

संकलनकर्ता- मनोज कुमार शर्मा, जयपुर

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