श्रीराम मन्दिर निर्माण में विश्वकर्मा वंशज के महंत, पंडित, महात्माओं, शिल्पकारों को आमंत्रित करने की मांग
औरंगाबाद। मानते हैं कि कोरोना वैश्विक महामारी के कारण प्रशासन की ओर से कुछ चीज़ को ध्यान में रखकर भारतवर्ष के महान तपस्वी योगी महंत, पंडित तथा आचार्य को श्रीराम मन्दिर निर्माण के इस महानकार्य मे आमंत्रित नहीं किया लेकिन अभी भी वक्त है। बहुत ही हर्ष की बात, 5 अगस्त 2020 को एक महान कार्य की शुरूआत हुई और इसे बनाने में तीन-चार वर्ष लम्बा समय लगेगा। तकरीबन पांच सौ साल पुराने विवादित स्थल पर निर्विरोध भगवान श्रीराम मन्दिर निर्माण का शिलान्यास उनके जन्मभूमि अयोध्या में किया गया। यह भारत के इतिहास और भाजपा के कार्यकाल में भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और हिन्दुत्व का अद्वितीय कार्य है। जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की तपस्या के संयोग से भारत गणराज्य के कार्यपालिका प्रधान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों से श्रीगणेश हुआ।
समस्त ज्ञानी, ध्यानी, योगी और संत, महात्माओं को यह बात भली-भांति ज्ञात है, होंगे, इस सृष्टि की सृजन और संरक्षण में विश्व निर्माता, जगत नियन्ता भगवान विश्वकर्मा के पांच पुत्र, पंच, महर्षि, मनु, मय, त्वष्टा शिल्पी और दैवज्ञ जिसे वैदिक विश्वब्राह्मण के नाम से देव, दानव, यक्ष, नाग, खग, मृग सभी पहचानते हैं , मानते हैं, पूजते हैं और तीन लोक नव खण्डों के सभी जीव नेति-नेति कहकर सम्मान करते हैं। देवाधिदेव भगवान विष्णु ने भी इनकी स्तुति की है। जिसके अंश व अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और धर्म रक्षक भगवान श्रीकृष्ण हैं। इन दोनों देवता हिन्दू सनातन धर्म के सर्वमान्य ईष्ट हैं और इन सबने अति कठिन और विकट समय पर विश्वकर्मा जी की स्तुति कर अनुमति सहित निर्माण कार्य में आज्ञानुसार सहभागिता की है। जगत नियन्ता के आदेश पर मनु ने एक प्राचीन विख्यात अयोध्या नगरी का निर्माण किया है। विश्वकर्मा वंशज आद्य शंकराचार्य ने चारो ओर मुख्य मठ व पीठों की स्थापना की। अयोध्या मनु निर्मित नगरी का संदर्भ गीतरामायण में दिया गया है। श्रीराम सेतु निर्माण में विश्वकर्मा के औरष पुत्र नल-नील ने सेवा प्रदान कर महान सेतु निर्माण में बहुत ही महत्वपूर्ण सहयोग दिया, तब जाकर अनहोनी भी होनी हो गया। भगवान श्रीकृष्ण ने आठों पुरी के निर्माण के लिए स्वयं विश्वकर्मा भगवान को आह्वान किया है।
लेकिन आज के मठाधीश, न्यायधीश और निर्माणकर्ता ने भगवान विश्वकर्मा के वंशज को ऐसे राष्ट्रीय और ऐतिहासिक धरोहर के शिलान्यास कार्य में विश्व निर्माता विश्वकर्मा वंशज के ज्ञानी, ध्यानी, योगी, महंत पंडित और संत महात्माओं को आमंत्रित करें। इस सिलसिले में पं0 घनश्याम द्विज (सत्यशोधक एवं लेखक- विश्व निर्माता विश्वकर्मा) एवं समाज की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रधानमंत्री को श्रीगणेश चतुर्थी प्रतिष्ठान होने के बाद ज्ञापन भी दिया गया। इतिहास साक्षी है जब-जब विश्वकर्मा जी के अनादर में निर्माण कार्य हुआ है, वह कालान्तर में विवादित, शापित और अनुग्रहित हुआ है। ऐसा ढांचा समय के साथ किसी निरंकुश सत्ता व धार्मिकता के दंश से नहीं बच पाते। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से श्रीराम मन्दिर निर्माण कार्य में सहभागिता हेतु अनुरोध के साथ श्रीगणेश चतुर्थी के अवसर पर ईमेल भेजा गया है। काफी लम्बे संघर्ष के बाद हम सभी को यह कामयाबी मिली है। इस धरोहर के निर्माण में कोई कसर न रहें, इसलिए किसी शिल्पकला में दक्ष वैदिक ब्राह्मण की देखभाल में यह कार्य कराया जाए तो निर्माण में और अधिक सुदृढ़ता आएगी और युगयुगान्तर तक यह धरोहर अमिट रहेगा।
-भारत रेघाटे (ताम्रकार) महाराष्ट्र (Mob. 98229 61570)