इस बार विश्वकर्मा पूजा दिवस 19 सितम्बर को मानाएं- पं0 घनश्याम द्विज
औरंगाबाद। पूरे भारतवर्ष में विश्वकर्मा पूजन दिवस 17 सितम्बर को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ‘विश्व निर्माता विश्वकर्मा’ के लेखक पंडित घनश्याम द्विज ने कहा है की बड़े स्वाभिमान तथा गर्व की बात है कि भगवान विश्वकर्मा ने महाराष्ट्र के एलोरा की पावन भूमि पर कल्पकता से विश्वकर्मा कुण्ड, मन्दिर,गुफाएं व शिल्पनिर्माण का कार्य किया है। समस्त मनुशिल्पी, मयशिल्पी, त्वष्टाशिल्पी, स्थपती एवं दैवज्ञशिल्पी पांचाल वैदिक ब्राह्मण विश्वकर्मा वंशज पूजा दिवस 17 सितम्बर को ही मनाते हैं। लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने तांडव मचा दिया है। हालाकि इसी समय में सितम्बर तिथि दो को पितृपक्ष प्रतिपदा श्राध्द की शुरूआत से 17 सितम्बर तक पितृपक्ष अशुद्ध समय माना जाता है।
17 सितम्बर को सर्वपित्री अमावस है। तिथी के कारण वैदिक सम्प्रदाय अनुसार भारतीय हिंदी पंचांग वाराणसी, महाराष्ट्र सोलापुर दाते पंचांग, श्री काशी विश्वनाथ ऋषिकेश हिंदी पंचांग से अश्वीन शुक्ल को विश्वकर्मा पूजा दिवस 19 सितंबर को हर घर-घर में मानाया जाय। कारण 17 सितम्बर को पूरे दिन भर अमावस का प्रभाव है। पृथू राजा ने तपश्चर्या की और देवशिल्पी विश्वकर्मा भगवान ने उन्हें अश्विन शुक्ल तृतीया को दर्शन दिया। भाद्रपद की अमावस्या को बुधवार हो तो दुर्भिक्ष राज्यनाश तथा प्रजा को कष्ट होता है इसलिए इस वर्ष 19 सितम्बर क्षयतिथी को विश्वकर्मा पूजा दिवस मानाएं। ऐसा आह्वान ‘विश्व निर्माता विश्वकर्मा’ के लेखक पंडित घनश्याम द्विज ने किया है।
-भारत रेघाटे (ताम्रकार) महाराष्ट्र (Mob. 98229 61570)