विभिन्न मुद्दों को लेकर राष्ट्रपति से मिला बौद्ध संघ का प्रतिनिधिमण्डल

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दिल्ली। भारतीय बौद्ध संघ का एक प्रतिनिधिमण्डल राष्ट्रीय अध्यक्ष भंते संघप्रिय राहुल के प्रतिनिधित्व में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला। प्रतिनिधिमण्डल में भारतीय बौद्ध संघ के अध्यक्ष के साथ उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मन्त्री सुरेश पासी, पूर्व केन्द्रीय मन्त्री अशोक प्रधान, पूर्व सांसद जुगल किशोर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रह्लाद भाई चौहान, राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष मोनिका अरोड़ा, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी दिनेश गौड़, राष्ट्रीय महासचिव डॉ विनय प्रताप सिंह, अधिवक्ता राजेन्द्र सिंह सूर्यवंशी, श्यामजी भाई सोलंकी आदि शामिल थे।
राष्ट्रपति से मुलाकात कर प्रतिनिधिमण्डल ने संस्था के 15 वर्षों से किये गए देश में सामाजिक समरसता एवं राष्ट्रीय एकता और अखण्डता के कार्यों पर वार्तालाप किया। भारतीय बौद्ध संघ एक पूर्णतया गैर राजनैतिक संगठन है। देश के पन्द्रह राज्यों में अपने संगठन के माध्यम से समानता, स्वतन्त्रता और न्याय के साथ राष्ट्र की एकता और अखण्डता कायम रखने को संकल्पबद्ध है।
हजारों वर्षों से अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग का धार्मिक एवं जाति आधार पर अन्याय, अत्याचार और शोषण हुआ। उसी अन्याय, अत्याचार और शोषण को रोकने के लिए भारतीय संसद द्वारा एक कानून बनाया, जिससे कुछ हद तक अत्याचार और शोषण पर अंकुश लगा था और इन वर्गों में सुरक्षा का भाव विकसित हुआ। यह कानून अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लिए मान—सम्मान और स्वाभिमान के लिए उनकी लाइफ लाइन सिद्ध हुआ।
18 मार्च 2018 को माननीय सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से ‘‘अनुसूचित जाति एवं जनजाति” अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 पर दिए निर्णय से देश के अनुसूचित जाति एवं जनजाति समाज में एक निराशा का भाव उत्पन्न हुआ है। इन वर्गों का कहना है कि जिस मकसद के लिए यह कानून बनाया गया था, इस फैंसले से यह कानून निस्प्रभावी एवं महत्वहीन बन गया है। जिस कानून ने इस समाज को मान सम्मान एवं सुरक्षा के साथ एक नागरिक होने का हक दिया था अब यह वर्ग अपने को नि:सहाय और शरणार्थी सा महसूस कर रहा है।
संघ ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम को उसके वास्तविक स्वरूप में बहाल कराएं एवं बौद्ध धर्म के तीर्थ स्थल ‘‘बौद्ध गया” को बौद्धों को सौंपा जाये। बौद्ध धर्म के प्राचीन धार्मिक स्थलों का जीर्णोंद्धार कराया जाये, जिससे भारत विश्व स्तर पर बौद्ध अनुयायिओं के आकर्षण का केन्द्र बने, इससे देश में पर्यटन बढ़ेगा। संविधान निर्माता डा0 भीमराव अम्बेडकर के जन्मोत्सव को राष्ट्रीय पर्व घोषित किया जाये एवं देश में धर्मान्तरण पर एक सख्त कानून बनाया जाये ताकि देश में विदेशी धर्म ईसाई एवं मुस्लिम के विस्तार को रोका जा सके।
सरकार द्वारा बड़ोदा शहर में संकल्प भूमि पर स्मारक बनाया जा रहा है जिसे राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया जाये। देश मे हो रहे जाति एवं साम्प्रदायिक उत्पीड़न से आम जन को राहत दिलायें। निम्न एवं निर्बल जाति पर हो रहे अत्त्याचारों पर अविलम्ब रोक लगे तथा आरोपित दोषियों पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई कर शीघ्र उत्पीड़ितो को न्याय दिलाया जाये। दलित अत्याचार निरोधक अधिनियम 1989 को तत्काल पूर्व स्थिति में बहाल किया जाये। सरकारी विभाग के कर्मचारियों को रोस्टर प्रणाली लागू की जाये। आरक्षण प्रणाली को शत प्रतिशत लागू कराया जाये। महिला सशक्तिकरण के लिये यथाशीघ्र कदम उठाये जाये तथा उनकी सुरक्षा हित में कठोर कानून बनाये जाये। उपरोक्त विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया और राष्ट्रपति ने भी आश्वासन दिया कि इन सभी मुद्दों पर कार्यवाही की जायेगी जिससे दलित समाज व आम नागरिक को न्यायिक राहत मिलेगी।

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