कलयुग के श्रवण कुमार बने कमलाशंकर विश्वकर्मा

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नीमच। मध्यप्रदेश के नीमच जिले के एक छोटे से गांव भाटखेड़ी (मनासा) में रहने वाले कमलाशंकर विश्वकर्मा ने कलयुग का श्रवण कुमार बन अपने माता-पिता के साथ जाकर उनको तीर्थ यात्रा कराया। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि कलयुग में भी अगर बच्चों को अच्छे संस्कार दिये जायें तो माता पिता की सेवा हरदम करते रहते हैं। माता—पिता को तीर्थ पर ले जाने वाले श्री विश्वकर्मा केन्द्रीय मन्त्री के वरिष्ठ सलाहकार भी रह चुके हैं और वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्रालय में सलाहकार हैं। वह इतने उच्च पद पर होते हुए भी जमीन से जुड़े रहते हैं। उनकी सादगी और मिलन सारिता के चलते क्षेत्र के युवाओं में काफ़ी लोकप्रिय हैं।
आजकल हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनका बेटा उनको तीर्थ यात्रा करवाये, लेकिन आज की इस भाग—दौड़ भरी ज़िंदगी में कोई बेटा अपने माता—पिता के लिये समय ही नहीं निकाल पाते हैं। कुछ बेटे यात्रा का ख़र्च वहन कर लेते हैं और कुछ तो वो भी करना उचित नहीं मानते।
श्री विश्वकर्मा अपने माता—पिता को उत्तराखंड के हरिद्वार, ऋषिकेश, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, देवप्रयाग, रूद्रप्रयाग, गुप्तकाशी, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ आदि तीर्थ स्थानों पर यात्रा करवाकर अपने गांव लौट चुके हैं। यात्रा के दौरान उन्होंने अपनी पूरी यात्रा को सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं के साथ साझा किया ताकि उनकी इस यात्रा से प्रेरणा लेकर और भी बेटे अपने माता पिता के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास कर सकें। सोशल मीडिया पर उन्हें बहुत ही अच्छी प्रतिक्रिया मिली। कई लोगों ने उन्हें कलयुग के श्रवण कुमार की संज्ञा दी।
तीर्थयात्रा से वापस लौटे कमलाशंकर के पिता प्रह्लाद विश्वकर्मा ने कहा कि— ‘आज हमें ख़ुशी है कि हमारे दिये संस्कार काम आए, बेटे ने हमें ना चल फिर पाने की अवस्था में भी तीर्थ यात्रा करवाकर हमारा जीवन धन्य कर दिया।’

—मुकेश विश्वकर्मा

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