रिषभ विश्वकर्मा ने साथियों के साथ बनाया कमाल का हेलमेट, बिना लगाये आगे नहीं बढ़ेगी बाइक

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कानपुर। यातायात नियमों के तहत बाइक चलाते समय हेलमेट लगाना यूं तो अनिवार्य है, लेकिन तमाम लोग इसकी अनदेखी करते हैं। जरा यह कल्पना करके देखिए कि अगर बिना हेलमेट पहने आपकी बाइक एक इंच भी हिलने से इन्कार कर दे तो! यह अब कल्पना भर नहीं है बल्कि हकीकत बन चुकी है। दिल्ली पब्लिक स्कूल कल्याणपुर के 12वीं के छात्र रिषभ विश्वकर्मा ने अपने सहपाठी के साथ मिलकर एक ऐसा स्मार्ट हेलमेट बनाया है जिसे बिना पहने आपकी बाइक नहीं चलेगी।
हेलमेट में लगे सेंसर बाइक के की-इग्नीशन को सिग्नल देंगे जिसके इशारे पर गाड़ी आगे बढ़ेगी। बाइक के मॉड्यूल को हेलमेट के मॉड्यूल से जोड़कर यह स्मार्ट हेलमेट बनाया गया है। इस हेलमेट को बनाने में छात्रों को एक साल का समय लगा। इस शोध कार्य के अन्तर्गत उन्होंने हेलमेट के अंदर ऐसे टैब व सेंसर लगाए हैं जो ट्रांसमीटर के जरिए इग्नीशन को संदेश भेजने का काम करते हैं। बाइक को माइक्रो कंट्रोलर से जोड़ा गया है जो वाहन चालक के हेलमेट लगाने पर काम करना शुरू कर देता है। छात्रों की इस खोज को आइआइटी ने चुना है। आइआइटी टेककृति में स्मार्ट हेलमेट ने देशभर से आए छात्र-छात्राओं के अनुसंधानों को पीछे छोड़ते हुए टॉप थ्री में अपनी जगह बनाई।
शराब पीकर बाइक नहीं चला सकेंगे—
यह स्मार्ट हेलमेट शराब पीकर बाइक चलाने वालों को भी रोकेगा। हेलमेट में एल्कोहल सेंसर लगा है जो 250 से 300 यूनिट एल्कोहल से ऊपर सेवन करने पर बाइक को स्टार्ट होने से रोक देता है। इसके अलावा इसमें एक एक्सीडेंट केयर मॉड्यूल भी लगाया गया है जो दुर्घटना के दौरान परिजन, पुलिस व एंबुलेंस को संदेश भेजता है। इस मॉड्यूल में एक्सलरो मीटर सेंसर लगा है जो ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (जीपीएस) सिस्टम के तहत काम करता है।
बाइक मॉड्यूल में मोबाइल नंबर फीड किए जाते हैं जिन पर दुर्घटना होने की सूरत में संदेश जाता है। स्मार्ट हेलमेट बनाने वाले रिषभ विश्वकर्मा व रंकित सिंह ने बताया कि इस खोज को पेटेंट करने के लिए दस्तावेज तैयार कर लिए गए हैं। आइआइटी से इसका पेटेंट कराएंगे। इसकी स्वीकृति मिल गई है।
ढाई हजार रुपये की कीमत में मिलेगा हेलमेट—
रिषभ विश्वकर्मा ने बताया कि स्मार्ट हेलमेट बनाने में पांच हजार रुपये का खर्च आया है, क्योंकि मॉड्यूल, सिम व प्रोग्रामिंग के लिए तीन से चार माइक्रो कंट्रोलर खरीदे गए। अब इंटीग्रेटेड सिम आने लगा है, वहीं मॉडीफाई करके एक माइक्रो कंट्रोलर में इसे बनाया जा सकता है। उपभोक्ता के हाथ तक पहुंचने में इसका खर्च ढाई हजार रुपये आएगा जो कि एक सामान्य अच्छी गुणवत्ता के हेलमेट का होता है।

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