महिलाओं को स्वावलम्बन की राह दिखा रही प्रीति विश्वकर्मा

कुशीनगर। जिले के विशुनपुरा ब्लाक के बाबूराम सेमरा गांव की प्रीति विश्वकर्मा महिलाओं को स्वावलम्बी बना रही हैं। उनका मानना है कि सही दिशा में किया गया प्रयास कभी बेकार नहीं जाता। किसान परिवार में शादी होने के बाद उन्होंने मायके में सीखे सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, पेंटिंग, ब्यूूटीशियन के हुनर को आय का जरिया बना लिया। पहले खुद आत्मनिर्भर बनीं, अब महिलाओं को हुनर सिखाकर स्वावलम्बी बनाने में जुटी हैं। सूरजनगर बाजार में उनका खुद का सेंटर है, जहां युवतियों व महिलाओं को प्रशिक्षित करती हैं। उनसे गुर सीखकर ससुराल गईं 50 से अधिक युवतियां खुद की कमाई से परिवार का खर्च चला रहीं हैं।

कोइंदी गांव में है मायका-
तमकुहीराज तहसील के कोइंदी गांव में प्रीति का मायका है। तमकुहीराज में ही उन्होंने सिलाई-कढ़ाई सीखा था। वर्ष 2007 में इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रीति की शादी सेमरा गांव के रवींद्र विश्वकर्मा से हुई थी। वर्ष 2008 में पति ने आइटीआइ मऊ से उन्हें फैशन डिजायनर का कोर्स कराया। एक ही कैंपस में पति हार्डवेयर की दुकान चलाते हैं और पत्नी प्रशिक्षण केंद्र संचालित करती हैं। जहां महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, पेंटिंग, ब्यूूटी पालर, चुनरी पैंड, डिजायन बनाने के गुर सिखाती हैं। सूरजनगर बाजार, खजुरिया, मिठहां, पिपरा, ढोरही, पुरंदर छपरा, सरपतही, पटेरा समेत अन्य गांवों की सौ से अधिक किशोरी, युवतियां व गृहणियां प्रशिक्षण लेकर स्वावलंबी बन चुकी हैं।

प्रीति से गुर सीख इन्होंने पाया मुकाम-
पिपरा गांव की पूजा जायसवाल ने प्रीति से गुर सीखा और खुद का प्रशिक्षण केंद्र खोल स्वावलंबी बन चुकी हैं। ढोरही की नूतन मिश्र कहती हैं कि प्रीति मैडम ने मुझे हुनर सिखा अपने पैरों पर खड़ा होने की राह दिखाई है। मैं अपना सेंटर चलाती हूं, पति शिक्षक हैं। परिवार का खर्च उठाने में हम दोनों सक्षम हैं। खजुरिया निवासी सीमा भारती बताती हैं कि मेरा परिवार तंगहाल था। सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण लिया और अपने पैरों पर खड़ी हूं। खजुरिया गांव की प्रमिला का कहना है कि मैं अपने आपको कमजोर महसूस करती थीं। प्रीति से प्रशिक्षण लिया, अब रोजी-रोटी की कोई दिक्कत नहीं होती है। (साभार)

रिपोर्ट- राजन विश्वकर्मा

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