ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा द्वारा सामाजिक न्याय चेतना एवं नव वर्ष मिलन समारोह आयोजित

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चन्दौली। ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के तत्वावधान में दुलहीपुर स्थित केंद्रीय कार्यालय पर विशाल विश्वकर्मा सामाजिक न्याय चेतना एवं नव वर्ष मिलन समारोह का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा आज सर्वत्र बढ़ती हुई राजनैतिक चेतना ने समाज के नेताओं को अति महत्वाकांक्षी, स्वार्थी और सौदागर बना दिया है जिससे सामाजिक चेतना और मुद्दे गौड़ हो गये हैं। फलस्वरूप समाज में वर्चस्व के लिए संघर्ष हो रहा है जो शोषित, वंचित अति पिछड़े समाज को बांटने की गहरी राजनैतिक साजिश है। इसका लाभ वह लोग उठा रहे हैं जो अति-पिछड़ों को बांटकर उनके हक पर राज कर रहे हैं।


अध्यक्ष श्री विश्वकर्मा ने कहा कि सामाजिक न्याय और आरक्षण इस देश में राम मंदिर की भांति राजनैतिक मुद्दा बन गया है जो चुनाव में वोट के लिए काम आता है। मौजूदा राजनैतिक व्यवस्था में असंगठित समाज के सामने अस्तित्व का गंभीर संकट है। आरक्षण में उपवर्गीय आरक्षण का बंटवारा समानता के संवैधानिक सामाजिक न्याय व्यवस्था को खत्म करने की साजिश है। उन्होंने कहा सरकार विश्वकर्मा समाज के रोजगार तथा समानता के अधिकार से जुड़ी मांगो की लगातार उपेक्षा करके इस समाज के साथ अन्याय कर रही है एक ओर सरकार जहां समाज की लंबित मांग हस्तशिल्प विकास निगम की स्थापना की लगातार उपेक्षा कर रही है वहीं दूसरी ओर प्रजापति समाज के लिए माटी कला बोर्ड का गठन किया जाना सरकार की भेदभाव पूर्ण रवैया तथा परंपरागत हस्तशिल्पी कारीगरों को बांटने का ज्वलंत प्रमाण है। सरकार के इस फैसले से विश्कर्मा समाज के परंपरागत शिल्पकारों में गहरा आक्रोश है।


उन्होंने कहा कि आबादी के अनुपात में 5 फ़ीसदी पृथक आरक्षण और 17 सितम्बर विश्वकर्मा पूजा पर्व के सार्वजनिक अवकाश की मांग को लेकर महासभा देशव्यापी आन्दोलन करेगा। कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने अधिकारों के सवाल पर महासभा द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन में समाज के लोगों से आपसी भेदभाव, स्वार्थ तथा वर्चस्व को त्याग कर एकजुट होने का आवाहन करते हुए नव वर्ष की शुभकामनाएं व्यक्त की गई। कार्यक्रम के आरंभ में भगवान विश्वकर्मा के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया गया तथा सदानंद विश्वकर्मा एवं देवांश विश्वकर्मा तथा पंचम विश्वकर्मा और उनके साथियों द्वारा भजन तथा गीत प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भरत विश्वकर्मा एवं संचालन बचाऊ लाल विश्वकर्मा ने किया। विचार व्यक्त करने वाले लोगों में प्रमुख रूप से सर्वश्री डॉ0 राजेश कुमार शर्मा, श्रीकांत विश्वकर्मा, डॉ0 प्रमोद कुमार विश्वकर्मा, भैरव विश्वकर्मा, मृत्युंजय विश्वकर्मा, चौधरी विश्वकर्मा, रमेश विश्वकर्मा, नंद लाल विश्वकर्मा, दीनदयाल विश्वकर्मा, नीरज विश्वकर्मा, राम किशुन विश्वकर्मा, राधेश्याम विश्वकर्मा, मनोज विश्वकर्मा, राम कुमार विश्वकर्मा, सत्यनारायण विश्वकर्मा, श्याम लाल विश्वकर्मा, महेंद्र विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, भानु विश्वकर्मा, विजय विश्वकर्मा, बहादुर विश्वकर्मा, विष्णु विश्वकर्मा, डॉ0 रामाधार शर्मा, रामधनी विश्वकर्मा, कन्हैया लाल विश्वकर्मा, कल्पनाथ विश्वकर्मा, मोहित विश्वकर्मा, गोविंद विश्वकर्मा, अजीत विश्वकर्मा, मोनू विश्वकर्मा, गोपाल जी विश्वकर्मा, अजीत विश्वकर्मा, डॉ0 सुनील कुमार विश्वकर्मा, सूर्य प्रकाश विश्वकर्मा, शिवराम विश्वकर्मा, प्रमोद विश्वकर्मा, शिव शंकर विश्वकर्मा आदि रहे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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