लोहार की बेटी ने ‘हथौड़े’ के साथ ‘हॉकी’ थाम तय किया नेशनल लेवल की कप्तानी तक का सफर

Spread the love

अलवर। कामयाब होने में गरीबी आपके कदम नहीं रोक सकती है, क्योंकि सफलता तो बुलंद हौसलों से मिलती है। आप में आगे बढ़ने का जोश है और आप अपना लक्ष्य पाने के लिए पूरी शिद्दत से मेहनत करते हैं तो मिसाल बन सकते हैं। इस बात उदाहरण है राजस्थान के गाड़िया लोहार की बेटी अंजलि लोहार। राजस्थान हॉकी में अंजलि लोहार का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है, क्योंकि लोहार की यह बेटी खरा सोना है। हाथ में हथौड़ा थामने वाली बेटी अंजलि ने न केवल हॉकी थाम ली, बल्कि राजस्थान हॉकी की अंडर 14 टीम की कप्तानी तक सफर तय कर लिया है।


जानिए कौन है हॉकी खिलाड़ी अंजलि—
हॉकी खिलाड़ी ​अंजलि लोहार राजस्थान के अलवर की रहने वाली है। इसका जन्म अलवर के सूर्यनगर में रहने वाले गाड़िया लोहार परिवार में हुआ है। इनके परिवार के पास खुद का पक्का मकान तक नहीं है। कच्चे डेरे में पैदा हुई अंजलि ने अपने हुनर के दम पर हॉकी में सुनहरा सफर तय कर लिया है। वर्तमान में खुदनपूरी स्कूल की आठवीं कक्षा में पढ़ती है। अंजलि का सपना देश के एशिया और ओलम्पिक में प्रतिनिधित्व करने का है।


पीटीआई ने पहचानी प्रतिभा—
अंजलि का सफर दो साल पहले शुरू हुआ। खुदनपूरी स्कूल के विद्यार्थियों को हॉकी खेलते देख अंजलि ने भी हॉकी खेलना चाहा। इस बारे में स्कूल के पीटीआई विजेन्द्र सिंह नरूका को बताया तो शुरुआत में उन्हें भी अजीब लगा कि गाड़िया लोहार परिवार की बेटी हॉकी खेल पाएगी या नहीं। खेलना सीख भी गई तो पता नहीं इसके परिवार वाले बाहर प्रतियोगिताओं में भेज सकेंगे या नहीं। इन्हीं सवालों का जवाब जानने पीटीआई नरूका छात्रा के डेरे में आए और उसके परिवार से बात की। परिवार ने बेटी के बढ़ते कदम नहीं रोके। नतीजा, अं​जलि ने हॉकी में कमाल कर दिखाया।
हिसार में की कप्तानी—
अंजलि के परिजनों के हामी भरने के बाद पीटीआई नरूका ने अन्य खिलाड़ियों के साथ उसे भी प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया। अपने हुनर और मेहनत के दम पर अंजलि जल्द ही हॉकी की बारीकियां सीख गईं। फिर स्थानीय प्रतियोगिताओं में कई बार अच्छा प्रदर्शन किया। ऐसे में अंजलि का चयन जोधपुर, नागौर, हनुमानगढ़, कोटा, बारां में हुई हॉकी प्रतियोगिताओं में हुआ। इनमें अपने शानदार प्रदर्शन के बूते अंजलि ने राजस्थान की अंडर 14 हॉकी टीम में न केवल जगह बनाई बल्कि कप्तान भी बनी। अंजलि की कप्तानी में राजस्थान की टीम 10 से 14 जनवरी को हरियाणा के हिसार में 64वीं नेशनल प्रतियोगिता खेलकर आई।


इससे बड़ी खुशी हमारे लिए दूसरी कोई नहीं—
अंजलि की मां शशिकला ने बताया कि मैं और ​मेरी बिरादरी की कोई महिला नहीं पढ़ पाई, मगर हमने बे​टी अंजलि को पढ़ने से नहीं रोका। उसे निजी स्कूल में पढ़ाना चाहते थे, मगर गरीब है, इसलिए सरकारी में दाखिला करवा दिया। कहते हैं कि अंजलि हॉकी खेलती है। मैं जानती भी नहीं कि हॉकी होती क्या है। एक बार बेटी ने हथौड़ा हाथ में लेकर समझाया था कि ऐसी होती है हॉकी। लम्बाई में इससे थोड़ी सी बड़ी।


अभावों में प्रशिक्षण—
अंजलि ने अपनी सफलता का क्षेत्र कोच विजेन्द्र सिंह नरूका ​को दिया है। वहीं नरूका कहते हैं कि हॉकी के प्रशिक्षण के लिए एस्ट्रो टर्फ की जरूरत होती है, जो अलवर जिले में नहीं है। अंजलि व अन्य खिलाड़ियों ने सूर्यनगर के खाली मैदान में प्रशिक्षण किया। पर्याप्त संसाधनों के अभाव के बावजूद अंजलि ने हॉकी में कामयाबी की नई इबारत लिख दी है। अंजलि को हॉकी व जूते खरीदने के पैसे भी आस-पास के लोगों ने चंदा करके दिए। (साभार)

‘विश्वकर्मा किरण’ पत्रिका परिवार समाजजनों से अनुरोध करता है कि अंजलि लोहार की प्रतिभा को निखारने व उच्च स्तर पर खेलने हेतु उसे आर्थिक सहयोग प्रदान करें जिससे वह तैयारी कर सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: