रामावतार विश्वकर्मा द्वारा रचित ग्रंथ “विश्वकर्मा चरित मानस” का लोकार्पण कार्यक्रम सम्पन्न

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गाजीपुर। वरिष्ठ साहित्यकार एवं उपन्यासकार रामावतार विश्वकर्मा द्वारा रचित “विश्वकर्मा चरित मानस” का लोकार्पण समारोह डीएवी इंटर कॉलेज गाजीपुर के सभागार में आयोजित किया गया। इस कृति का विमोचन करते हुए डीएवी इण्टर कॉलेज के प्रधानाचार्य हरिशंकर शर्मा ने कहा कि यह कृति बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसमें भगवान विश्वकर्मा के सृष्टिकर्ता रूप पर प्रकाश डाला गया है। छंदों में लिखी इस भावपूर्ण रचना का सस्वर पाठ किया जा सकता है।

https://drive.google.com/file/d/1Wre1-TsgVer9XihnT2eAvUK79czbu9AR/view

विषय-प्रवर्तन करते हुए कवि एवं नाटककार डॉ0 गजाधर शर्मा ‘गंगेश’ ने कहा कि इस कृति में भगवान विश्वकर्मा के विभिन्न रूपों का सुंदर चित्रांकन किया गया है। यह केवल सृष्टिकर्ता ही नहीं हैं बल्कि देवता और असुरों की न्यायपूर्ण ढंग से हर संभव मदद करते रहे हैं। डॉ0 ऋचा राय ने कहा कि इस कृति को पढ़ते समय यह स्पष्ट हो जाता है कि रामावतार केवल कथाकार, निबंधकार, पत्रकार और संस्मरण लेखक ही नहीं हैं बल्कि एक कवि भी हैं, छंदबद्ध रचना करना आसान काम नहीं है। इन्होंने सिर्फ विश्वकर्मा चरित मानस जैसी कृति की रचना करके एक महत्वपूर्ण कार्य किया है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इण्टर कॉलेज हुरमुजपुर के पूर्व प्रधानाचार्य रामधनी शर्मा ने कहा कि विश्वकर्मा चरित मानस जैसे ग्रंथ की विश्वकर्मा समाज को चिरकाल से आवश्यकता थी, जिसकी पूर्ति करके रामावतार जी ने विश्वकर्मा समाज के लिए पुण्य का कार्य किया है। मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि इस कृति का घर-घर वाचन होगा। समकालीन सोच पत्रिका के संपादक राम नगीना कुशवाहा ने कहा कि इस सृष्टि के देवता विश्वकर्मा सर्वमान्य देवता हैं, इनकी पूजा हर वर्ग और धर्म के लोग करते हैं। इसलिए यह कृति केवल विश्वकर्मा समाज ही नहीं हर समाज के लिए उपयोगी है।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जिन लोगों ने अहम भूमिका निभायी उनमें पिछडा़ कल्याण अधिकारी नरेन्द्र विश्वकर्मा, राम अवतार शर्मा, सुदामा राम विश्वकर्मा, शशिकांत शर्मा, देवव्रत विश्वकर्मा, दिलीप शर्मा, अंगद शर्मा, मदनमोहन शर्मा, गंगासागर शर्मा, मनोज विश्वकर्मा, धर्मेन्द्र शर्मा, प्रवीण विश्वकर्मा, राघव विश्वकर्मा, गुड्डू शर्मा, प्रमोद राय, शिवम विश्वकर्मा आदि प्रमुख थे संचालन डा.संतोष तिवारी तथा धन्यवाद ज्ञापन जनार्दन शर्मा ने किया। समारोह में बड़ी संख्या में समाजसेवी, बुद्धिजीवी, साहित्यिक लोग उपस्थित रहे।

 

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