विश्वकर्मा रत्न ब्रह्मलीन संत पदमाराम कुलरिया के नाम पर बने स्मारक में डिजिटल लाइब्रेरी का हुआ उद्घाटन, जुटे दिग्गज

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बीकानेर। समाज सेवा के लिए राजस्थान सरकार द्वारा सम्मानित, धर्मानुरागी, समाजसेवी, विश्वकर्मा रत्न, ब्रह्मलीन गौसेवी संत श्री पदमाराम कुलरिया की पुण्यस्मृति में नोखा के मूलवास- सीलवा गांव में स्थित पदम पैलेस में उनके बेटों कानाराम-शंकर-धर्म कुलरिया के द्वारा बनाये गये करोड़ों रुपए की लागत से बहुउपयोगी “पदम स्मारक” का लोकार्पण 12 फरवरी को हुआ। स्मारक परिसर में निर्मित पुस्तकालय, संग्रहालय का लोकार्पण और ब्रह्मलीन गौसेवी संत श्री पदमाराम कुलरिया की 11 फीट ऊंची मूर्ति का अनावरण के साथ बालिका विद्यालय का शिलान्यास भी किया गया। लोकार्पण और शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने वर्चुअल भाग लिया।

कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथि योगऋषि बाबा रामदेव ने कहा कि पदमाराम कुलरिया कुटुम्ब के भाई बहिन करीब एक लाख लोगों को रोजगार दे रहे हैं, ये बहुत बड़ा काम है। जो छोटी से ढाणी से निकलकर इतने आगे बढ चूके हैं, पुरुषार्थ का काम है। पुरूषार्थ से ही धर्म, अर्थ आता है व सब कामना पूरी होती है। जीवन में पुरुषार्थ करो। उन्होने कहा कि आज का दिन सिर्फ़ पदम स्मारक के उद्घाटन का दिन नहीं है, जागरण का दिन है। सभी सदा जागरूक रहकर आगे बढना और आप भी ऐसे ही जीवन के पथ पर कीर्तिमान बनाना। जैसे आज संत पदमाराम जी कुलरिया के जाने के बाद भी उनकी गौरवगाथा सब साधुसंत महात्मा गा रहे हैं। पूरा परिवार गोरवान्वित व हर्षित हो रहा है। ऐसे ही जगत में आपका आना, जीना और जाना सब गौरवपूर्ण है। कुलरिया परिवार ऐसे ही फलते फूलते रहें। सभी ऐसे गौरवपूर्ण कार्य करते हुये अपने जीवन में नवकीर्तिमान व नव इतिहास गढते रहें। आने वाली पीढियां भी आगे उन्हें पढती रहे व उनसे प्रेरणा लेते रहें। पदमाराम जी एक सीधे-साधे व एक संत हृदय आत्मा उनके पुण्य से उनका परिवार इतना फलाफूला है जिसकी खुशबू अब चारों दिशा में देश और दुनिया में फैली है। सब संत पदमाराम कुलरिया की गौरव गाथा गा रहे है। एक व्यक्ति की तपस्या को प्रणाम करने के लिए देश के कोने से साधुसंत आए है।

संत गोविंद गिरी महाराज ने कहा कि संतो के मुख से संत श्री पदमाराम जी कुलरिया की कीर्ति सुनकर ऐसा लगा कि आज के प्रसंग में अगर मैं नहीं जाता हूँ तो मेरे जीवन की एक बहुत बड़ी मेरी खोई हुई अवसर बेला रहेगी। उन्होने कहा कि संत पदमाराम जी कुलरिया की गौरव गाथा उनके व उनके परिवार की अनुपस्थित में गौरवगाथा सुनने को मिल रही है। जिससे लगता कि जीवन तो बहुत हुए होगें लेकिन एक धन्य जीवन जी कर एक महात्मा गया है। उन्होने कहा कि अपनी धरती से इतना प्रेम करने वाला व वृक्षारोपण करके अपने जीवन को धन्य करने वाला, गौमाता की सेवा करके हम सभी के लिए एक आदर्श स्थापित करने वाला, कन्याओं के लिए विद्यालय का निर्माण करने वाला, हर व्यक्ति के पास जाकर के उसका दुख व दर्द दुर करने का प्रयास करने वाला साकार व्यक्तित्व पदमाराम जी थे।

ऋषिकेश से आए संत चिदानंद सरस्वती ने कहा कि जीवन ऐसा जीओ जिससे जीवन मशास या मिसाल बन जाए। वहीं आज पदमाराम जी परिवार ने कर दिखाया है। वर्ल्ड क्लास लाईब्रेरी रेगीस्तान के रण में बनाई है ऐसा ही स्कूल भी बना रहे हैं व गौशाला भी बनाई। उन्होने कहा कि आओं लौट चलें गांव की ओर, शहरों में कमाओ गांवों लगाओ। कानाराम-शंकर-धर्मचंद कुलरिया ने ये जो स्मारक बनाकर आने वाली पीढ़ियों को एक संदेश दिया है कि जियो तो ऐसे जियो। दूसरों के लिए जीवन जीने वाले का जीवन ही रामायण व गीता है। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा प्यार, परिवार व एकता की दर्शन करना है तो कुलरिया परिवार को आकर देखें। संत पदमाराम जी के मन में प्रेम सबके लिए था। उन्होने पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हुए सेवाकार्य किया। वसुधेव कटुमबकम के आधार पर जीते थे। शिक्षा, चिकित्सा के माध्यम से सेवा कार्य किया। वही उनकी पूजा थी।

आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि कमाने के लिए कहीं भी जाए लेकिन अपने मूल को हम नहीं भूले। उद्योगपतियों के लिए कुलरिया परिवार एक उदाहरण है। जिस पर संतों की प्रेरणा हो व आर्शीवाद हो उस परिवार में सुख समृद्धि व प्रभूकृपा की कभी कोई कमी नहीं रह सकती। संत मुरलीधर महाराज, संत बजरंगदास महाराज, संत सुखदेव महाराज, भंवरदास महाराज, सालमनाथ धोरे के फक्कड़नाथ आदि संत अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। संचालन राजकीय उदघोषक ज्योति जोशी, जयकरण चारण ने किया।

इस अवसर पर राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा, पशुपालन विभाग के मंत्री जोराराम कुमावत, पूर्व विधायक जगदीश जांगीड़, पूर्व राज्य मंत्री पुखराज पाराशर, पूर्व विधायक बिहारीलाल बिश्नोई, दिनेश सांरग, आईजी ओमप्रकाश, एसपी तेजस्विनी गौतम, एसडीएम रमेश देव, तहसीलदार नरेन्द्र बापेड़िया, एसएचओ राजीव रॉयल, विशाल जांगिड़, पुखराज उत्तम, नंदकिशोर चोयल, अमराराम चोयल, कैलाश बरनेला, खिंवराज रालड़िया, हनुमान गेपाल, अशोक पिड़वा, हनुमान सुथार काकड़ा, श्याम सुथार, तुलसीराम कुलरिया, हनुमान सुथार, प्रदीप माकड़, श्रवणराम धामू, सुखदेव माकड़, हीरलाल माकड़, शिवबिहारी शर्मा, राजबिहारी, कानाराम कुलरिया, ओमप्रकाश धामू, जज रमेश शर्मा, जैलर पारस जांगिड़, तोलाराम, बॉलीवुड फिल्म निदेशक रमेश मोदी, अभिनेता राज जांगिड़, बजरंग मोटियार, प्रभुदयाल पारीक, महावीर सुथार, बालकिशन, कुनाल सुथार, खिंवराज, पुखराज पुख्तारी, संजय बुढल, पप्पू सैन उपस्थित रहे। कानाराम-शंकर-धर्मचंद कुलरिया ने सभी अतिथियों और आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया। लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई।

लोकार्पण और शिलान्यास के अवसर पर उगमाराम, मघाराम, भंवर-नरसी-पुनम कुलरिया, कानाराम-शंकर-धर्मचंद कुलरिया, चिमाराम, सुखदेव, महेन्द्र, हरिश, गणेशाराम, मांगीलाल धामू, मुन्नीलाल माकड़, मांगीलाल धामू, दामोदर सुथार, अशोक, जय, सुरेश, नरेश, पुखराज,  पंकज कुलरिया, जनक आदि ने अतिथियों का पुष्पहार, शॉल, साफा से स्वागत किया। परमार्थ निकेतन की साध्वी भगवती सरस्वती का अभिनंदन हरप्यारी देवी ने किया। संत पदमाराम कुलरिया के स्मारक लोकार्पण को लेकर बनाई पार्किंग, पांडाल, कोटेट व भोजनशाला सहित पूरा कार्यक्रम स्थल करीब चार किमी में बनाया गया था। जिसमें सैंकड़ों की संख्या में सिक्युरिटी व मेनेजमैंट के सैंकड़ों लोगों ने व्यवस्था संभाली। हजारों की संख्या में पहुंचने वाले वाहनों की पार्किंग व्यवस्था की गई। पदम स्मारक के एरिया को रंगीन रोशनी व फूलों से सजाया गया। इस दौरान पदम स्मारक पहुंचने वाली सभी सड़कों की मरम्मत भी करवाई गई।

पदम स्मारक के डिजिटल लाइब्रेरी और संग्रहालय का राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया वर्चुअल उद्घाटन

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