विश्वकर्मा समाज की सांस्कृतिक सामाजिक पहचान खत्म करने की हो रही है साजिश— अशोक विश्वकर्मा

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वाराणसी। जाल्हूपुर बाजार स्थित हनुमान मंदिर परिसर में ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्कर्मा शिल्पकार महासभा के तत्वावधान में विश्वकर्मा स्वाभिमान भागीदारी विमर्श सम्मेलन संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने संबोधित करते हुए कहा, मौजूदा सरकार में समाज के लोग सबसे ज्यादा जुल्म अत्याचार उत्पीड़न अन्याय और राजनैतिक उपेक्षा के शिकार हैं। चुनावी घोषणा पत्र में सबका साथ—सबका विकास का नारा देने वाली सरकार ने सिर्फ वोट के लिए इस्तेमाल किया और धोखा दिया। सरकार ने समाज की मांगों पर कभी गंभीरता नहीं दिखाई। रोजगार के अधिकार और भागीदारी से जुड़े संवैधानिक मांगों की लगातार उपेक्षा करती रही।


उन्होंने कहा सदियों से प्रजा जाति में शामिल इस समाज के लोग अपने अधिकारों से वंचित भेदभाव और असमानता के शिकार हैं। सरकार ने विश्वकर्मा पूजा पर्व के अवकाश को रद्द करके समाज के स्वाभिमान को गहरा चोट पहुंचाया है तथा सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान मिटाने का राजनैतिक प्रयास किया है। श्री विश्वकर्मा ने कहा कि कृषि औद्योगिक और रक्षा क्रांति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले बौद्धिक और तकनीकी क्षमता से भरपूर कारीगरी के हुनरमंद वाहक विश्वकर्मा समाज रचना और निर्माण के क्षेत्र में सदैव अग्रणी रहा है, किंतु यह समाज राजनैतिक साजिश का शिकार होकर सर्वाधिक पिछड़ों की श्रेणी में सबसे पीछे खड़े रहने को मजबूर है। सम्मेलन में निर्णय लिया गया की भेदभाव और असमानता के खिलाफ रोजगार और भागीदारी के सवाल पर समान अवसर हासिल करने के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में विश्वकर्मा समाज को धोखा देने वाले सभी राजनैतिक दलों का बहिष्कार करेगी तथा समाज क सभी संगठनों के साथ समन्वय स्थापित कर देशव्यापी महागठबंधन बनाएंगे और चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारेंगे।


सम्मेलन की अध्यक्षता भरत लाल विश्वकर्मा एवं संचालन जिला अध्यक्ष बचाऊ लाल विश्वकर्मा ने किया। इस अवसर पर सर्वश्री श्रीकांत विश्वकर्मा, भैरव विश्वकर्मा, दीनदयाल विश्वकर्मा, रमेश विश्वकर्मा, राजेश विश्वकर्मा, रामकिशुन विश्वकर्मा, रामाधार विश्वकर्मा, मुन्ना विश्वकर्मा, राजकुमार विश्वकर्मा, राधेश्याम विश्वकर्मा, महेंद्र विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, अजीत विश्वकर्मा, मनोज विश्वकर्मा, सत्यनारायण विश्वकर्मा, प्रमोद विश्वकर्मा, दिनेश विश्वकर्मा, राजीव विश्वकर्मा, मन्ना चौधरी, गोरख विश्वकर्मा, बचाऊ विश्वकर्मा, राम प्रसाद विश्वकर्मा, कैलाश विश्वकर्मा, राजेंद्र विश्वकर्मा, रामजतन विश्वकर्मा, काशीनाथ विश्वकर्मा, लक्ष्मण विश्वकर्मा, बटुक विश्वकर्मा, नखड़ू मास्टर, लालजी विश्वकर्मा, दयाराम विश्वकर्मा, ओमप्रकाश विश्वकर्मा सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

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