स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नवचेतना समिति ने किया भोजपुरी आइकॉन मनोज भावुक का अभिनंदन

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नोएडा (दिनेश कुमार गौड़)। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नवचेतना समिति, पंजवार, सिवान, बिहार की दिल्ली-एनसीआर इकाई ने भोजपुरी आइकॉन मनोज भावुक का अभिनंदन किया। “मनोज भावुक भोजपुरी के सबसे चमकते सितारे का नाम है। खुशी व गर्व की बात यह है कि यह सितारा हमारे गृह जनपद सिवान, प्रखण्ड रघुनाथपुर और पड़ोसी गाँव कौसड़ का है। भोजपुरी भाषा, साहित्य, सिनेमा, संगीत के प्रचार-प्रसार में वैश्विक स्तर पर हर जगह मनोज की सशक्त उपस्थिति है। भोजपुरी साहित्य व सिनेमा के बीच की कड़ी हैं मनोज भावुक। हाल ही में भोजपुरी साहित्य व सिनेमा में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें फिल्मफेयर व फेमिना द्वारा सम्मानित किया गया है। अपने गाँव-जवार की जान और पूर्वांचल की आन-बान-शान व भोजपुरी आइकॉन मनोज भावुक का अभिनंदन कर नवचेतना समिति गौरवान्वित अनुभव करती है !’’ उक्त बातें 13 अगस्त 2023 की शाम नोएडा में आयोजित सम्मान-समारोह में नवचेतना समिति के प्रवक्ता और एंटरप्रेन्योर एम0के0 सिंह उर्फ मुन्ना बाबू ने कही।

समारोह में श्री भावुक को संस्था की दिल्ली-एनसीआर इकाई ने अंग वस्त्र, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया और कहा कि मनोज भावुक का सम्मान पूरे गाँव-जवार का सम्मान है। साथ ही हर वर्ष क्षेत्र की एक प्रतिभा को सम्मानित करने की घोषणा भी हुई। इस अवसर पर राष्ट्रगान के बाद ब्रजेश कुमार सिंह, मृत्युंजय कुमार सिंह, अरविंद द्विवेदी, अमित कुमार सिंह, दिनेश गौड़ व सीता सदन अयोध्या के महंत किशोरी शरण महाराज आदि वक्ताओं ने मनोज के सफर पर अपना उद्गार व्यक्त किया।

लोगों ने कहा कि मनोज ने अपनी पढ़ाई गाँव के ही टुटही स्कूल में पेड़ के नीचे बोरा बिछाकर की लेकिन अपनी प्रतिभा के बल पर 2003 में अफ्रीका और 2006 में लंदन चले गए नौकरी करने। बतौर इंजीनियर नौकरी करते वहाँ भोजपुरी की संस्था कायम की व कई कार्यक्रम किए। बाद में अपने भोजपुरी गजल-संग्रह पर गुलज़ार साहब व गिरिजा देवी के हाथों भारतीय भाषा परिषद सम्मान मिलने के बाद लंदन की अपनी जमी-जमाई नौकरी छोड़कर पूरी तरह भोजपुरी के लिए समर्पित हो गए और इंडिया वापस आ गए। तब से अब तक भोजपुरी टेलीविजन के लिए अनगिनत कार्यक्रम बनाएँ, सीरियल लिखें, इंटरव्यूज किया, गीत लिखें, फिल्मों में अभिनय किया, सारेगामापा जैसे लोकप्रिय रियालिटी शोज से बतौर प्रोजेक्ट हेड जुड़े और उसे लिखा, होस्ट किया। साहित्यिक-सांस्कृतिक विनिमय हेतु मॉरीशस, दुबई, नेपाल, यूके आदि कई देशों की यात्राएँ की। कई पुस्तकें लिखीं। 1993 में जब वह छात्र थे, तभी अपने गाँव कौसड़ की काव्यमय बायोग्राफी लिख ली थी, जिसकी चर्चा उन दिनों गाँव-जवार में खूब थी। अपने क्षेत्र की इस प्रतिभा पर लोग नाज़ करते हैं। विदित है, तस्वीर जिदंगी के व चलनी में पानी मनोज भावुक की चर्चित पुस्तकें हैं। ‘भोजपुरी सिनेमा के संसार’ नाम की उनकी किताब भोजपुरी-मैथिली अकादमी, दिल्ली के पास प्रकाशनाधीन है। मनोज भोजपुरी जंक्शन पत्रिका के संपादक व अचीवर्स जंक्शन के निदेशक हैं। विश्वप्रसिद्ध हिन्दी आलोचक नामवर सिंह की संस्था नारायणी साहित्य अकादमी के महासचिव हैं। विश्व भोजपुरी सम्मेलन की दिल्ली व इंग्लैंड इकाई के अध्यक्ष रहे हैं। मनोज बिहार आर्ट थियेटर, कालिदास रंगालय, पटना के टॉपर रहे हैं। कला और साहित्य को जीते हैं मनोज। मनोज के पिताजी स्वर्गीय रामदेव सिंह हिंडाल्को रेणुकूट, उत्तर प्रदेश के प्रथम मजदूर नेता रहे हैं और बड़े पिताजी जंग बहादुर सिंह आजादी के तराने गाने के लिए जेल जाने वाले 103 वर्षीय सुप्रसिद्ध देशभक्त लोक गायक हैं।

मनोज भावुक ने इस स्नेह-सम्मान के लिए सभी का आभार व्यक्त करते हुए सिर्फ इतना ही कहा कि जब अपने लोग पीठ थपथपाते हैं तो शब्द नहीं फूटते। मेरी जिम्मेदारियाँ बढ़ गईं हैं। मै विरोधों में बढ़ा हूँ। इसलिए मेरी साँसों में तूफान चलता है। प्यार और समर्थन करने वालों का आभार। विरोध और अवरोध में लगे लोगों का और भी आभार … क्योंकि काम में उसी से अग्रेशन और एक्सेलेरेशन आता है। मै अंतिम साँस तक लड़ता रहूँगा, रचता रहूँगा। अँधेरे पर उजाला उछालता रहूँगा।

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