राष्ट्रपति भवन में लगी प्रदर्शनी में शामिल हुई डॉ0 सुनील विश्वकर्मा की कलाकृति, खूब हुईं सराहना

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वाराणसी। कलात्मक प्रतिभा और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए आर्ट इन रेसिडेंस कार्यक्रम के तहत राष्ट्रपति भवन दिल्ली में कलाकृति प्रदर्शनी लगाई गई थी। इस प्रदर्शनी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ललितकला विभाग के अध्यक्ष डॉ0 सुनील कुमार विश्वकर्मा भी शामिल हुए थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने डॉ0 सुनील विश्वकर्मा द्वारा बनाई गई पेंटिंग की खूब सराहना की। सबसे ज्यादा रामानंद आचार्य, कबीरदास, रायदास के समरसता विषय पर चित्र पसंद आए। रामनगर की रामलीला पर आधारित चित्र देख राष्ट्रपति ने पूछा-क्या वहां अब भी बिना लाइट के रामनगर की रामलीला होती है? विभागाध्यक्ष ने यह पेंटिंग व्यक्तिगत संग्रह के लिए राष्ट्रपति को भेंट की। राष्ट्रपति भवन में सात दिनी चित्र निर्माण एवं प्रदर्शनी 21 फरवरी से लगाई गई थी। इसमें देश के जाने- माने 13 कलाकारों को बुलाया गया था। सभी कलाकारों को घर से चार-चार चित्र बनाकर ले आना था जबकि दो-दो चित्रों का निर्माण मौके पर करना था।

डॉ0 सुनील विश्वकर्मा ने बताया कि घर से रामनगर की रामलीला व जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य की पेंटिंग सहित चार चित्र बनाकर ले गये थे। इसमें उन्होंने स्वामी रामानंदाचार्य के 12 शिष्यों को भी दर्शाया है। समरसता के संत स्वामी ने ही “जाति-पाति पूछे नहीं कोई, हरि को भजै सो हरि होई” का संदेश दिया था। सभी चित्र राष्ट्रपति भवन में प्रदर्शित किए गए। राष्ट्रपति ने सभी कलाकारों को पुरस्कृत किया। उन्होंने बताया कि देश के इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति भवन में देश के 13 प्रसिद्ध कलाकारों को बुलाया गया था। ज्ञात हो कि भगवान राम का स्क्रैच बनाने के बाद डॉ0 सुनील विश्वकर्मा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।

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