क्या बलिया जिला प्रशासन को है किसी घटना का इन्तजार?

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बलिया। अभी हाल ही में रायबरेली जिले में दबंग भूमाफिया के खिलाफ सपरिवार धरना दे रहे किसान नेता की मौत का मामला लोग भूले नहीं हैं, फिर भी बलिया जिला प्रशासन कलेक्ट्री कचहरी में 12 जून से सपरिवार अनवरत धरनारत नथुनी शर्मा की कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। बलिया जिले के थानाक्षेत्र सुखपुरा अन्तर्गत ग्राम बसन्तपुरा निवासी नथुनी शर्मा, उनकी पत्नी मंगनी शर्मा व बच्चे दबंग भूमाफिया से अपनी जमीन मुक्त कराने के लिये कलेक्ट्री कचहरी में धरना दे रहे हैं। उनकी जायज मांगोें के समर्थन में कुछ सामाजिक कार्यकर्ता भी उनके समर्थन में गाहे—बगाहे धरने पर बैठ जाते हैं।
चिलचिलाती धूप और धरनारत एक पूरा परिवार, सोचते ही मन विचलित हो जाता है। पर धरना चल रहा है, इसका मतलब कि पीड़ित की पीड़ा बहुत बड़ी है। स्थानीय प्रशासन इस पर कतई ध्यान नहीं दे रहा है जिसकी वजह से दबंग भूमाफियाओं के हौंसले बुलन्द हैं। प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ कितना भी ढिढोरा पीट लें कि उनकी सरकार भूमाफियाओं के विरूद्ध सख्त कार्यवाही कर रही है, परन्तु स्थिति विपरीत है। स्थानीय प्रशासन के सांठगांठ के चलते दबंग भूमाफिया अपनी दबंगई में सफल हैं।
नथुनी शर्मा 12 जून से धरना दे रहे हैं और मेरे द्वारा समाचार 24 जून को लिखा जा रहा है। कुल मिलाकर इन 13 दिनों में बलिया जिला प्रशासन ने नथुनी शर्मा की तरफ कतई ध्यान नहीं दिया। इसका तात्पर्य यह है कि कोई धरना दे या आत्मदाह करे, परन्तु प्रशासन के लोग अपना रवैया नहीं बदलेंगे। जबकि 19 जून को नथुनी शर्मा के समर्थन में एकाध संगठन के कार्यकर्ता भी खुलकर धरना स्थल पहुंच कर उनका समर्थन किया और जिला प्रशासन के अधिकारियों से मिलकर अपनी मांग भी रखी, परन्तु कार्यवाही के नाम पर परिणाम शून्य है। कुल मिलाकर यदि यह कहा जाय कि बलिया में प्रशासन की नहीं सिर्फ दबंगों की चलती है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
—धीरज शर्मा

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