बुआ-बबुआ के नाम एक ग्रामवासी का खुला पत्र

Spread the love

बहना व भैया, सादर प्रणाम! मैं एक छोटे से गांव का भारतवासी हूं, भेदभाव और प्रताड़ना को नजदीक से देखा हूं। ऊंच-नीच जातीय भेदभाव और ठकुर-सुहाती भी देखा है। उनकी हमदर्दी व सहयोग का भी भागीदार रहा हूं किन्तु…
जब सामने अपना हो तो सब-कुछ सपना हो जाता है। उस समय कानून की मदद मांगने पर, उनके रिश्तेदार के एक फोन से सिस्टम को जी हुजूरी करते हुए भी देखा है। वह फोन वाला रिश्तेदार और कोई नहीं, वही आपकी पार्टी के सांसद व विधायक या उनके यहां लंबरदारी करने वाले उनके चंगू-मंगू होते थे। वे लोग उसी वर्ग से आते हैं जोकि न्याय कैसे भी हो, मेरे पक्ष में हो यही मानते हैं।
लोग कहते हैं कि समाजवादी पार्टी पिछड़े वर्गों की पार्टी है, किन्तु सबसे ज्यादा टिकट जनरल व मुस्लिमों को ही देती है। पिछड़े वर्गों को सिर्फ सांत्वना का लॉलीपॉप थमा देती है। जोकि विषम परिस्थितियों में अपनों के होते हैं ना कि हम लोगों के। भैया सिर्फ एक बात आपमें देखा है कि कभी-कभी उनको भी टिकट दे दिया है जो कि चाय व सिगरेट मांग-मांग कर पीते थे। बहुत अच्छा लगा, पर यह सबकुछ मेट्रो, रोड व स्टेडियम के बाद भी हार गए! तो इसीलिए कि सुनने वाला कोई नहीं था।
सुना है कि बहन जी तो पैसा लेकर टिकट देती हैं, यानी हमारे वोट को बेंच लेती हैं। और कहती हैं कि हम वहां पर बैठ करके इन सभी को आपके लिए काम करने को बाध्य कर दूंगी। लेकिन वह अंतिम वाला शासन (2007 से 12) आंख पर पर्दा डाल खूब तांडव मचाए थे कुछ लोग। कुछ नहीं संभाल पाई, सब अपने अपने मन के मालिक थे उस समय। वह लूट खसोट कि मत पूछिए, तो कैसे करें उन अंकुश लगाने वाली बातों पर विश्वास। कहते है कि बहन जी की पार्टी दलित की मदद वाली पार्टी है। लेकिन वह समय कैसे भूल जाएं, जब आमजन थाने व कचेहरी में दौड़ रहे थे और मदद के नाम पर सिर्फ गाली ही पाते थे। एक कहावत पुरखे कहन है कि जब सब पंच ओनहिन के हुएं तो पंचायत उन्हेंन के अंगनवा में अच्छी लागै।
अब पढ़ लिख कर सब बच्चों ने बताया है कि यह सब गठबंधन आधे से ज्यादा वोट के लालच में हुआ है, तो एक बात दोनों लोग जान लीजिए कि काम के लिए यही हमरे विधायक व सांसद फोन करते हैं आप लोग नही। तो, एक बात यह कहना चाहूंगा कि जिस पार्टी में हम लोगों के जानने वाले अपने लोगों को टिकट मिलेगा उसी ओर जाना चाहूंगा, नहीं तो उन लंबरदार के जानने वाले के साथ जो समय-समय पर हम लोगों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। उनके पहचान वाले नेता की मदद की जाएगी।
अब उल्लू न बनब कि वोट हमार मजा और केहू मारे..
जय राम जी की !!

—अरविन्द कुमार विश्वकर्मा, राष्ट्रीय चिन्तक एवं सामाजिक कार्यकर्ता

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: