लोहार राजवंश की शासक महारानी दिद्दा पर अभिनेत्री कंगना रनौत बना रही फिल्म
कंगना रनौत की अगली फिल्म “मणिकर्णिका रिटर्न्स: द लीजेंड ऑफ दिद्दा” की काफी चर्चा है। इसी के साथ सोशल मीडिया पर भी दिद्दा को लेकर काफी चर्चा हो रही है। लोग जानना चाह रहे हैं कि दिद्दा कौन थीं और कैसी थीं? आइये जानते हैं दिद्दा के बारे में-
सोमनाथ मंदिर को लूटने वाले गजनवी को खदेड़ा-
कंगना ने इस फिल्म की घोषणा करते हुए बताया है कि यह फिल्म कश्मीर की एक रानी की कहानी है, जिसने महमूद गजनवी को एक नहीं बल्कि दो बार हराया। जी हां, रानी दिद्दा को अविभाजित कश्मीर की एक ऐसी जांबाज रानी के रूप पहचाना जाता है, जिन्होंने एक पैर से अपंग होने के बावजूद मुगल आक्रमणकारी के छक्के छुड़ाए। उन्होंने भारत पर आक्रमण करने वाले, सोमनाथ मंदिर को लूटने वाले सबसे खूंखार आक्रमणकारियों में एक गजनवी को दो बार युद्ध में हराया था।
कश्मीर के राजा की बीवी बनने और फिर विधवा होने के बाद भी शासन किया-
सच तो यह है कि दिद्दा की कहानी एक ऐसी वीरांगना की कहानी है, जो एक दिव्यांग बच्ची के जन्म और मां-बाप द्वारा त्याग दी गई एक ऐसी जांबाज की कहानी है, जिसने अंत तक हार नहीं मानी। कश्मीर के राजा की बीवी बनने और फिर विधवा होने के बाद राज्य संभालने और कई युद्ध में जीत का झंडा लहराने वाली देश की उस महिला शासक की कहानी है जिसने दिखा दिया कि महिला कुछ भी कर सकती है।
दिव्यांग होने की वजह से माता-पिता ने छोड़ दिया था-
दिद्दा को कश्मीर के इतिहास की सबसे शक्तिशाली महिला शासक के रूप में जाना जाता है। दिद्दा लोहार राजवंश में जन्मी एक खूबसूरत बच्ची थी, जिसे दिव्यांग होने की वजह से माता-पिता ने छोड़ दिया था। धीरे-धीरे वह बड़ी होने लगीं और अपने दिव्यांग होने को ही अपना ताकत बनाने की तैयारी में जुट गईं। युद्ध कला से लेकर हर कला में निपुणता हासिल की और जब बड़ी हुई तो उनकी मुलाकात कश्मीर के राजा क्षेमगुप्त से हुई।
सती होने से किया था इनकार-
कहा जाता है कि क्षेमगुप्त पहली ही नजर में दिल हार बैठे और फिर उनसे उन्होंने विवाह कर लिया। इसके बाद से ही दिद्दा राजकाज का काम संभालने लगीं। ‘दिद्दा-द वारियर क्वीन ऑफ कश्मीर’ में दिद्दा की जो कहानी लिखी गई है उसमें बताया गया है कि एक दिन आखेट के दौरान क्षेमगुप्त की मृत्यु हो गई। उस वक्त सती हो जाने की परंपरा थी, लेकिन दिद्दा ने मां की जिम्मेदारी निभाने और बेटे को राज-पाठ संभालने लायक बनाने का फैसला लिया और सती होने से इनकार कर दिया।
साफ-सुथरा शासन देने की कोशिश-
दिद्दा ने एक साफ-सुथरा शासन देने की कोशिश करते हुए भ्रष्ट मंत्रियों और यहां तक कि अपने प्रधानमंत्री को भी बर्खास्त कर दिया।
इतिहास के पन्नों में ‘चुड़ैल रानी’ और ‘कश्मीर की लंगड़ी रानी’ का दर्जा-
कश्मीर की इस रानी को इतिहास के पन्नों में चुड़ैल रानी और कश्मीर की लंगड़ी रानी का दर्जा भी दिया गया है, क्योंकि कहते हैं कि उसकी दिमागी ताकत के आगे अच्छे-अच्छे राजा अपना सिर झुकाया करते थे। दरअसल दिद्दा ने पुरुष सत्तात्मक समाज के पहले से बने-बनाए नियम खूब तोड़े और अपने खुद के नियम बनाए, जिसकी वजह से पुरुषवादी समाज ने उन्हें डायन तक की उपाधि दे दी।
दुनिया भर की महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं-
दरअसल पुरूष समाज के लिए यह समझ पाना बेहद मुश्किल था कि आखिर बिना मायावी शक्तियों के कोई विकलांग लड़की चार दशक से भी अधिक समय तक कश्मीर और धरती के एक बड़े हिस्से पर राज्य कैसे कर सकती थी। दिद्दा दुनिया भर की महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं, जो अब तक किताबों की कहानियों में दबी है। दिद्दा की इसी प्रेरणादायक और दिलचस्प कहानी को अब पर्दे पर लाने की तैयारी कर रही हैं अभिनेत्री कंगना रनौत। (साभार)
कंगना रनौत का आभार!
बहुत बढ़िया
जय श्री विश्वकर्मा जी की
लोहार वंश
अमर रहे
अमर रहे
Kangana Ranawat ka dil se abbhar
धन्यवाद इस महत्वपूर्ण जानकारी को प्रस्तुत करने के लिए। साथ ही मैं एक और जानकारी देना चाहता हूँ।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि माडंव गढ ( जिसे हम रानी रूपमती-बाज बहादुर वाला मांडू महल के नाम से जानते हैं) उसको सबसे पहले बसाने वाले भी माँडू लुहार ही थे। इसका उल्लेख माँडू के प्राचीन जैन मंदिर की शिला पट्टिका में मिलता है। मैं सभी से आग्रह करता हूँ कि जब भी वो माँडू जायें उस शिला पट्टिका को पढें और प्रमाण स्वरूप फोटो सार्वजनिक कर हमारा गौरव बढाए।
Heartly congratulations to film maker and actors
Heartly congratulations to director and all actor ” reality published I.e true going to show.
Jay lohar vansh ki jay Maharani didda ki jinhone Apne dam par mugal Mahmood gajnavi ko do bar haraya.