स्वाभिमान एवं गौरव दिवस के रूप में मनाया ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि
वाराणसी। ऑल इण्डिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के तत्वावधान में विश्वकर्मा समाज के स्वाभिमान एवं गौरव के प्रतीक प्रभु यीशु मसीह के जन्म एवं पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय ज्ञानी जैल सिंह की स्मृति में स्थानीय पत्रकार भवन के सभागार में स्वाभिमान गौरव स्मृति समारोह संपन्न हुआ। इस अवसर पर नेताओं ने कहा कि समाज के महापुरुषों के ऐतिहासिक गाथाओं और उनके आदर्श कृतित्व से समाज के स्वाभिमान एवं गौरव का गहरा संबंध है, इसलिए समाज के महापुरुषों के गौरवशाली विरासत की स्मृतियों को जीवंत रखने के उद्देश्य से महासभा द्वारा देशभर में इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा है। 25 दिसम्बर का दिन बहुत ही पवित्र ऐतिहासिक और बड़ा दिन के रूप में जाना जाता है। आज ही के दिन जहां एक ओर विश्वकर्मा वंशज जोसेफ बढ़ई के यहां यीशु के रूप में एक महान और पवित्र पैगम्बर ने जन्म लेकर पूरी दुनिया को प्रेम एकता भाईचारा और दीन दुखियों की सेवा का संदेश दिया, वहीं दूसरी ओर समाज के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और बहादुर शेर पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय ज्ञानी जैल सिंह देश सेवा की अपनी अमर स्मृतियों को छोड़कर इस संसार से विदा हो गए।
इस अवसर पर वक्ताओं ने ज्ञानी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि वह विलक्षण प्रतिभा के धनी थे उनकी अप्रतिम राष्ट्र सेवा त्याग और बलिदान के गुणों ने उन्हें भारत के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद तक पहुंचाया। ज्ञानी जी का वास्तविक नाम जरनैल सिंह था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल में किसी बात पर क्रोधित होकर जेलर ने इनका नाम पूछा, इन्होंने सीना तान कर कहा जेल सिंह मतलब जेल का शेर। तभी से वह जेल सिंह के रूप में विख्यात हुए। उन्होंने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई अविस्मरणीय और ऐतिहासिक निर्णय लिए। जनविरोधी डाक विधेयक अनुमोदन को अस्वीकार किया। स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान के लिए गणतन्त्र एवं स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति भवन में सम्मान पार्टी का आयोजन तथा स्वतन्त्रता सैनिक सम्मान पेंशन सहित कई यादगार फैसले किए। ज्ञानी जी जीवन पर्यंत कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे किन्तु कांग्रेस ने ज्ञानी जी की घोर उपेक्षा की। कार्यक्रम में नेताओं ने भारत सरकार से दिल्ली में ज्ञानी जी की स्मृति में स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय की स्थापना तथा फरीदकोट जेल का नामकरण ज्ञानी जी के नाम पर करने की मांग की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित रामनगर की नगर पालिका परिषद की चेयरमैन श्रीमती रेखा शर्मा से समाज के लोगों ने रामनगर स्थित गंगा तट पर विश्वकर्मा घाट के निर्माण की भी मांग की।
कार्यक्रम को मुख्य अतिथि एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा तथा विशिष्ट अतिथि रामनगर की नगर पालिका परिषद की चेयरमैन श्रीमती रेखा शर्मा एवं डॉक्टर आर0के0 शर्मा ने सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन जिलाध्यक्ष बचाऊ लाल विश्वकर्मा तथा धन्यवाद भैरव विश्वकर्मा ने किया। अन्य वक्ताओं में मुख्य रुप से सर्वश्री रमेश विश्वकर्मा, अभय कुमार, राम लखन जी, लल्लू दादा, राजेश कुमार, प्रदीप कुमार, मोहित विश्वकर्मा, सोनू लाल, नंद लाल, दीपक, अजीत, गोविंद, संध्या देवी, राधा देवी, दुर्गा देवी, मालती देवी, आरती विश्वकर्मा, सरोजा देवी, बबीता देवी, श्रीकांत विश्वकर्मा, गोपाल, महेंद्र, रामधनी, रामधार, राधेश्याम, जितेंद्र, अमित, गौरव, मनोज सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे