विश्वकर्मा स्वाभिमान सम्मेलन में महापुरुषों की उपेक्षा का आरोप

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चंदौली। आल इण्डिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा ने सरकार पर महापुरुषों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। महासभा के तत्वावधान में जनपद चंदौली के अरविन्द लान में भोजपुरी भाषा साहित्य के आधुनिक तुलसी कवि एवं गीतकार स्वर्गीय राम जियावनदास बावला के जन्म तिथि के अवसर पर आयोजित स्मरणाजंली स्वाभिमान अधिकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने कहा साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, कला, शिल्प सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने पुरुषार्थ के बल पर देश व दुनिया में विशिष्ट एवं उल्लेखनीय योगदान करने वाले विश्वकर्मा समाज के महापुरुष घोर उपेक्षा और भेदभाव के शिकार हैं। जिसके चलते उनका आदर्श कृतित्व और विरासत जनसाधारण के बीच से विस्मृत एवं समाप्त हो रहा है, इसलिए महासभा ने अपने महापुरुषों के स्मृतियों को जीवंत रखने का फैसला किया है। इसी क्रम में भोजपुरी भाषा काव्य को नई विधा देने वाले चकिया के भीखमपुर गांव में 1 जून 1922 को साधारण लोहार परिवार में जन्म लेने वाले उपेक्षित और गुमनाम साहित्यकार लोक कवि रामजियावन दास बावला के 97वीं जयंती पर उनके आदर्श, कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि वह विलक्षण प्रतिभा के धनी थे।


उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास के पाद पीठिका को आत्मसात किया और उनसे प्रेरित होकर राम चरित्र के बारे में देसी भोजपुरी भाषा में उद्भावनाएं रची तथा कविता, सवैया, परम्परा को भोजपुरी आयाम दिया। इस प्रकार वह लोक शास्त्र और साहित्य शास्त्र के बीच सेतु का काम किया है। उन्होंने बताया कि भैंस चराते समय वन मार्ग में उन्हें वनवासी राम का साक्षात्कार हुआ जिससे भाव विगलित हो अनायास उनके मुख से बोल फूट पड़े ‘बबुआ बोलता ना के हो देहलेस तोहके बनवास’ फिर एक समय अपने आप यह गीत पूरा हुआ। उनकी यह पहली रचना 1957/58 में आकाशवाणी से प्रसारित हुई जो काफी लोकप्रिय हुई और सराही गई। अपनी इस रचना से बावला जी अमर हो गए।


उन्होंने कहा कि बावला जी निस्पृह फक्कड़ कवि थे। उनका यह देव दुर्लभ गुण उनकी कवि चेतना से जुड़कर अपने आप में रचनाकारों के लिए भी स्पृहणीय है। बावला जी विश्वकर्मा समाज के गौरव और स्वाभिमान के प्रतीक हैं। उनकी विरासत और स्मृतियां हमारी शान और पहचान है जिसे जीवंत रखने के लिए हम संकल्पबद्ध हैं।


सम्मेलन में अन्य वक्ताओं ने सामाजिक एकजुटता पर बल देते हुए कहा नवगठित सरकार से शोषित, वंचित और उपेक्षित समाज के लोगों को बहुत सारी उम्मीदें हैं। सरकार ने हर वर्ग के लिए विकास, समता, ममता और विश्वास का वायदा किया है। सरकार अपने वायदे पर खरा नहीं उतरती तो विश्कर्मा समाज के लोग अपने अधिकारों तथा लम्बित मांगों को लेकर आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर होंगे।
इस अवसर पर बावला जी के गीतों का संग्रह ‘गीतलोक’ पुस्तक का लोकार्पण हुआ तथा समकालीन भोजपुरी साहित्य के कई रचनाकारों ने अपनी रचनाओं को प्रस्तुत करते हुए सामाजिक विसंगतियों, असमानता, भेदभाव और भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार किया। मूर्धन्य रचनाकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। सम्मेलन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार से बावला जी को मरणोपरांत ‘पदमश्री’ सम्मान देने की मांग की गई तथा चकिया भीखमपुर मार्ग का नामकरण बावला जी के नाम पर करने सहित स्मृति प्रवेश द्वार एवं पुस्तकालय का निर्माण कराने की मांग नगर पालिका परिषद चकिया तथा शासन से की गई। कार्यक्रम के आरम्भ में भगवान विश्वकर्मा एवं बावला जी के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया गया।


स्वागत गीत पंचम विश्वकर्मा और उनके साथियों ने प्रस्तुत किया। भोजपुरी काव्य रचनाकारों में प्रमुख रूप से सर्वश्री हरबंस सिंह बवाल, राजेश विश्वकर्मा राजू, बंधु पाल बंधु, राजेंद्र प्रसाद सिंह मौर्य भ्रमर, अलियार प्रधान ओम प्रकाश शर्मा, राजेंद्र प्रसाद गुप्त बावरा मुख्य रूप से थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विजय बहादुर विश्वकर्मा (सेवानिवृत्त कैप्टन) एवं संचालन श्रीकांत विश्वकर्मा ने किया। विशिष्ट अतिथि श्रीमती रेखा शर्मा अध्यक्ष नगर पालिका परिषद रामनगर एवं डॉ0 राजेश कुमार शर्मा थे।
इस अवसर पर विचार व्यक्त करने वाले लोगों में प्रमुख रूप से सर्वश्री डॉ0 प्रमोद कुमार विश्वकर्मा, डॉ0 धर्मेंद्र कुमार विश्वकर्मा, रामकिशुन विश्वकर्मा, राजकिशोर विश्वकर्मा, रमेश कुमार विश्वकर्मा, विनय विश्वकर्मा, चंद्रमा प्रसाद विश्वकर्मा, अनिल कुमार विश्वकर्मा, श्रीमती अनीता विश्वकर्मा, श्रीमती मालती देवी विश्वकर्मा, श्रीमती रेखा शर्मा, श्रीमती सोम लता विश्वकर्मा, श्याम बिहारी विश्वकर्मा, सुभाष विश्वकर्मा, विजय विश्वकर्मा पत्रकार, विष्णु विश्वकर्मा, श्याम लाल विश्वकर्मा, सुरेंद्र विश्वकर्मा, धीरेंद्र पंचाल, शंभू विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, महेंद्र विश्वकर्मा, रवि शंकर विश्वकर्मा, अशोक विश्वकर्मा, बसंत विश्वकर्मा, जवाहर विश्वकर्मा, उमाशंकर विश्वकर्मा, नीरज विश्वकर्मा, दीनदयाल विश्वकर्मा, दिनेश विश्वकर्मा, परमेश्वर विश्वकर्मा, अवधेश विश्वकर्मा, प्रेम विश्वकर्मा, कालिका विश्वकर्मा, नीतीश विश्वकर्मा, राहुल विश्वकर्मा, रोहित विश्वकर्मा, धर्मेंद्र विश्वकर्मा, नारायण विश्वकर्मा, नंदकुमार विश्वकर्मा, प्रदीप मास्टर, चंद्रशेखर विश्वकर्मा, चौधरी विश्वकर्मा, दीपक विश्वकर्मा, राजेश विश्वकर्मा, अर्जुन विश्वकर्मा, अजय विश्वकर्मा, विनय विश्वकर्मा, मोहित विश्वकर्मा, गोविंद विश्वकर्मा, भरत विश्वकर्मा, अजीत विश्वकर्मा, मोनू विश्वकर्मा, अनिल विश्वकर्मा, चंद्रमा विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, रोशन विश्वकर्मा, पिंटू विश्वकर्मा सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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