ज्ञानी जैल सिंह के संघर्षों से प्रेरणा ले विश्वकर्मा समाज— रामआसरे विश्वकर्मा

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चन्दौली। भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं विश्वकर्मा समाज के गौरव स्व0 ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि समारोह चन्दौली के चकिया स्थित काली मन्दिर प्रांगण में मनाई गयी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्वमन्त्री राम आसरे विश्वकर्मा ने ज्ञानी जैल सिह के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ज्यूतबन्धन विश्वकर्मा जिलाध्यक्ष तथा संचालन सुभाष विश्वकर्मा ने किया।


श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों मे सर्वश्री राजेश विश्वकर्मा राष्ट्रीय महासचिव अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा, पूर्व विधायक पूनम सोनकर, रामअवतार विश्वकर्मा प्रदेश उपाध्यक्ष, डा0 शिव प्रसाद विश्वकर्मा, कमलेश खाम्बे, नन्दलाल विश्वकर्मा प्रदेश सचिव, यमुना विश्वकर्मा, छन्नूलाल विश्वकर्मा, विवेक विश्वकर्मा जिलाध्यक्ष विश्वकर्मा ब्रिगेड, विष्णु विश्वकर्मा प्रदेश सचिव, हरेन्द्र विश्वकर्मा प्रदेश सचिव प्रमुख रहे।


समारोह को सम्बोधित करते हुये राष्ट्रीय अध्यक्ष राम आसरे विश्वकर्मा ने कहा कि ज्ञानी जैल सिंह विश्वकर्मा परिवार में पैदा अवश्य हुए थे लेकिन वह देश के सभी वर्गों के नेता थे। वह पंजाब के एक गरीब बढ़ई विश्वकर्मा परिवार में पैदा होकर अपने संघर्ष के बल पर पंजाब के मुख्यमंत्री, देश के गृहमंत्री और देश के राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि यदि मन में दृढ इच्छा शक्ति हो और नेतृत्व के प्रति सच्ची निष्ठा हो तो व्यक्ति संघर्ष के बल पर गरीब और पिछड़ी जाति में पैदा होकर भी देश के बड़े पद पर पहुंच सकता है। इसलिए विश्वकर्मा समाज के लोगों को अपने मन से हीनता निकालनी चाहिए और अपनी पहचान बनाने के लिये कर्म करना चाहिये।


श्री विश्वकर्मा ने कहा कि ज्ञानी जी गरीबों, पिछड़ों और वंचितो के लिये आजीवन कार्य करते रहे। राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर रहते हुये भी राष्ट्रपति भवन में विश्वकर्मा समाज के लोगों के लिये एक अलग कार्यालय सेल बनाया था जिसमें वह देश के गरीब से गरीब ब्यक्ति से मिलते थे। उस कार्यालय का प्रभारी डा0 परमानंद पांचाल को बनाया था। ज्ञानी जैल सिंह अंग्रेजी के अच्छे जानकार थे लेकिन सच्चा देशभक्त और हिन्दी प्रेमी होने के कारण हमेशा मातृभाषा हिन्दी में ही अपना सरकारी कामकाज करते थे। एक बार संघ लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षाओं में हिन्दी लागू करने के प्रश्न पर जब विपक्षी दलों द्वारा धरना दिया जा रहा था तो ज्ञानी जी पूर्व राष्ट्रपति होने के बाद भी हिन्दी लागू करने के लिये प्रोटोकॉल तोड़कर संघ लोक सेवा आयोग के सामने धरने पर बैठे थे ताकि गांव के गरीब पिछडे दलित और किसान के लडके हिन्दी माध्यम से परीक्षा देकर आई0ए0एस0 बन सके।


उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा पूरे देश में 25 दिसम्बर को प्रतिवर्ष ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि मना कर उन्हें याद करती है। आज सभी विश्वकर्मा समाज के लोग अपने पूर्वज ज्ञानी जैल सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व को याद करें और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लें यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
कार्यक्रम को सर्वश्री अशोक बागी चेयरमैन, डा0 शिव प्रसाद विश्वकर्मा, अवनीश सोनकर, रामविलास विश्वकर्मा, डा0 जगदीश विश्वकर्मा, शीला विश्वकर्मा, राम आधार, विजय बहादुर विश्वकर्मा, गणेश विश्वकर्मा, जगदीश विश्वकर्मा, सुभाष विश्वकर्मा, विजय विश्वकर्मा, मदनमोहन विश्वकर्मा, शिवकुमार विश्वकर्मा, शैलेश विश्वकर्मा, कमलेश विश्वकर्मा, श्याम बिहारी विश्वकर्मा, राजेन्द्र विश्वकर्मा, सदानन्द विश्वकर्मा, संजू विश्वकर्मा, मनोज विश्वकर्मा, सौरभ विश्वकर्मा, विपिन विश्वकर्मा, धर्मेन्द्र विश्वकर्मा, नन्दू विश्वकर्मा, किशन विश्वकर्मा, विजय विश्वकर्मा, श्रीप्रकाश विश्वकर्मा सहित अन्य लोगों ने भी सम्बोधित किया।

—शिव प्रकाश विश्वकर्मा

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