सुधांशु विश्वकर्मा का कमाल, बनाया वाट्सएप से चलने वाली गन
वाराणसी। वाराणसी के रहने वाले मैकेनिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेण्ट सुधांशु विश्वकर्मा ने कमाल कर दिखाया है। सुधांशु ने एक एेसी गन बनाई है जाे न केवल वाट्सएप से चलेगी बल्कि देश के दुश्मनाें पर आग का गाेला भी बरसायेगी। सबसे खास बात यह कि इस टेक्नाेलॉजी से सीमा पर तैनात जवान बॉर्डर की निगरानी के साथ खुद काे सेफ भी कर सकते हैं।
कैसे मिला आइडिया—
गन बनाने के आइडिया के बारे में जब सुधांशु विश्वकर्मा से बात की गई ताे उन्हाेंने बताया कि हर दिन टीवी आैर अखबाराें में जवानाें के शहीद हाेने की खबरें सामने आती हैं। यहीं से मुझे आइडिया मिला कि क्याें न जवानाें की हिफाजत के लिए कुछ एेसा किया जाए कि सीमा की निगरानी भी हाे जाय आैर जवान भी सुरक्षित रहें।
सुधांशु ने आगे बताया कि मेरे पिता मोटर मैकेनिक हैं। उनको अक्सर देखता था कि वो खराब पार्टों को आसानी से रिपेयर करके इस्तेमाल कर लेते थे। हमने भी इसी कबाड़ से गन बनाने के बारे में साेचा। अपने दोस्त प्रकाश मौर्या के साथ मिलकर हमने ये गन बना दी। इस गन को बनाने में 10 दिन और 6000 हजार रुपए का खर्च आया है।
गन बनाने के लिए आवश्यक चीजें—
सुधांशु ने बताया कि इस गन को बनाने के लिए मोटर साइकिल का साकर (500 रुपए), 4 बाइक क्लच प्लेट जिसे गन के बैरल को चलाने के लिए इस्तेमाल किया गया है (400 रुपए), आधा इंच का पाइप (25 रुपए), डीवीडी से लिया गया गेयर पुली (15 रुपए ), डीसी मोटर कूलर जो कि बैरल को रोटेट करने का काम करता है (100 रुपए ), ह्यूमन बाडी सेंसर, रेडियो फ्रीक्वेंसी किट जिसे हमने खुद डेवलप किया है और एक मोबाइल फोन की जरूरत होगी।
एेसे होगा इसका प्रयोग—
उन्होंने बताया कि गन में इंटरनेट रिसीवर के साथ ह्यूमन सेंसर भी लगा है, जो ह्यूमन को सेन्स कर ही फायर करता है। फ्रीक्वेंसी कनेक्टर के साथ कोड के जरिये सेंसर को जोड़ा गया है। जैसे ही कोई दुश्मन सेट किए रेंज में आयेगा, पहला सेंसर एम्प्लीफायर और सर्किट को एक्टिव कर देगा। वायरलेस सिस्टम की फ्रीक्वेंसी से कंट्रोल रूम तक सूचना पहुंच जाएगी। वार्निग के बाद दूसरा सेंसर टाइम के सेटिंग के अनुसार एक्टिव हो जाएगा और गेयर पुली को पुश करेगा, जो प्रेस स्वीच के जरिए ट्रीगर को दबा देगा और फायर हो जाएगा। सबसे खास बात जब तक इसमें कंट्रोल रूम या हैंडिल करने वाला जवान कोड नहीं डालेगा, तब तक गन एक्टिव नहीं होगा।
गन बनाने वाले दोनों युवा सुधांशु विश्वकर्मा व प्रकाश मौर्या वाराणसी स्थित अशोका इंस्टीट्यूट के छात्र हैं। छात्रों ने बताया कि अभी इसमें और कमियां हैं जिन पर पूरी तरह से खरा उतरने के बाद ही इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जाएगा। (संकलित)
—सुनील कुमार शर्मा
Very good bhai biradari me koi to bhai hero
उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हुँ दोनो भाईयों के
Congratulation vishwakarma bhaiyo ko
धन्यवाद बिश्वमौर्य बंधु ऐसे ही देश के लिए लगे रहो
Jai ho Vishwakarma ji ke bansaz jai ho Vishwakarma
Congratulations to both