अपने बुजुर्गों से दुर्व्यवहार में बेटे-बहू की भूमिका बराबर

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-राधाकृष्ण शर्मा, मथुरा

बुजुर्गों का अपने ही घर में दुर्व्यवहार एक भारी समस्या बन गई है। एक जानकारी के अनुसार बुजुर्ग अपने ही घर मे बेटे-बहू की प्रताड़ना का शिकार बन रहे हैं। बहू जहां सबसे ज्यादा अपमानजनक व्यवहार कर रही है वहीं बेटा भी कम नहीं है।अगर तुलना की जाय तो बेटे भी बहू से कम नहीं है। कई ख्यातिलब्ध एजेन्सियों ने अपने सर्वे मे पाया है कि 77 प्रतिशत बुजुर्ग अपने परिवार के साथ ही जीने को विवश होकर रह रहे हैं। 23 प्रतिशत को अपने बेटा-बहू की प्रताड़ना का शिकार होकर सामना करना पड़ रहा है। सबसे बुरी हालत लखनऊ, आगरा और कानपुर के बुजुर्गों की हो रही है।
एक जानकारी के मुताबिक 60 प्रतिशत प्रताड़ित बुजुर्गों में से 40 प्रतिशत को सामान्यतः रोज प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है। 70 प्रतिशत प्रताड़ित बुजुर्गों, जिन्होंने कभी शिकायत नहीं की है, इसके पीछे उनके अपने कुल की मर्यादा आदि कारण तथा 20 प्रतिशत को यह जानकारी नहीं है कि वह शिकायत कहां करें। गत वर्षों मे सुनने को यह भी मिला था कि बृद्धजनों की सुरक्षा के लिये राष्ट्रीय आयोग बनेगा, किन्तु शायद वह कागजों मे ही सिमट कर रह गया है। सुनने मे आ रहा था कि देश के बुजुर्गों की खराब स्थिति को सुधारने के लिये केंद्र सरकार जल्दी ही एक नयी राष्ट्रीय नीति लागू करेगी। इसके लिये नेशनल पॉलिसी फ़ॉर सीनियर सिटीजन का खाका तेयार कर लिय गया है, ऐसा बताया गया है। जिसके द्वारा बुजुर्गों की समस्ययाओं को समझने और उनके निस्तारण के कदम उठाने के लिये राष्ट्रीय सीनियर सिटीजन आयोग का गठन लगभग तय माना गया था। बुजुर्गों के दुर्व्यवहार के पीछे बेटी, दामाद, नजदीकी रिश्तेदार एवं कुछेक जिम्मेदारी उठाने वाले लोग थे। 40 प्रतिशत लोग 60 साल से ज्यादा बिना पति और पत्नी के अपनी जिन्दगी गुजार रहे हैं। यहां एक चौका देने वाली बात यह भी सामने आ रही है कि बुजुर्गों ने पाई-पाई जोड़कर अपनी सन्तान को अपनी हैसियत से ज्यादा पर्याप्त शिक्षा, दिलाकर उसको रोजगार प्राप्त कर बड़ी मेहनत से अपने लाल का भविष्य सजाया-संवारा। अपने लाल को ऊंचे पायदान पर पहुंचते ही वयस्क हो जाने पर उसका पाणिग्रहण कराया। पाणिग्रहण हो जाने पर वह बेटा आज तक जो उसका था अब वो असली पिता से हटकर नकली पिता का रह गया है। अब बेटे की पत्नी के नामधारी पिता असली और असली पिता नकली हो गया है।
बेटा जो बूढ़े बाप की लाठी का सहारा था, अब अपनी पत्नी के भंवरजाल में है और पत्नी के पिता को ही असली पिता मान रहा है। अब बेटे की पत्नी का पिता अपने अधिकारीय रुतबे का इस्तेमाल कर अपनी पुत्री के द्वारा बेटे के बुजुर्ग पिता का उत्पीड़न कराकर उसे वृद्धाश्रम की ओर ढकेल रहा है। जो बृद्धाश्रम में नहीं जा रहे हैं उन्हें बेटे-बहू द्वारा अपमानित होकर घर में ही नारकीय जीवन जीना पड़ रहा है। ऐसे 30 प्रतिशत बुजुर्ग अपने बेटा-बहू के आतंक और उत्पीड़न का शिकार होकर नरकीय जिन्दगी जी रहे हैं। ऐसे बुजुर्गों के सामने परिवार में न चाहते हुए भी दुख भरी रूधती आवज मे पीड़ा व्यक्त कर कह रहे हैं, इस हाल में हम जाएं तो जाएं कहां? सर्वे में एक बात और उभर कर सामने आयी है कि बुजुर्गों की परिवार में दुर्व्यवहार एवं उत्पीड़न कराने की मुख्य भूमिका में बहू के माता-पिता की सुनियोजित चाल है। उत्पीड़न कराये जाने में बेटे के ससूरारी जनों का रुतबा काफी प्रभावी एवं कारगर साबित हो रहा है।

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