वृद्धाश्रम में रहने वाले संत गुलाबदास विश्वकर्मा ने देहदान व नेत्रदान का लिया संकल्प

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सतना। चित्रकूट के वृद्धावस्था आश्रम में रहने वाले संत गुलाबदास विश्वकर्मा ने देहदान व नेत्रदान का संकल्प लिया है। उन्होंने मोतीराम आश्रम के माध्यम से आवेदन कर कहा कि मृत्यु के बाद शरीर राख हो जाना है, इससे अच्छा है कि मौत के बाद भी यह शरीर किसी के काम आ जाए। चिकित्सीय पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी देहदान के बाद शोध करेंगे। हो सकता है विद्यार्थियों का यह शोध किसी को नया जीवन दे जाए। अन्य लोगों से भी इसके लिए आग्रह किया।
संत गुलाबदास विश्वकर्मा जिगनाहट के थे। कुछ वर्ष से वे चित्रकूट स्थित वृद्धाश्रम में रहते हैं। बताया कि देहदान का विचार उनके मन में अरसे से था, लेकिन जानकारी नहीं थी। संत गुलाबदास ने बताया कि मार्च महीने में प्रकाशित एक खबर पढ़कर मैंने मोतीराम आश्रम से संपर्क साधा और इसके लिए संकल्प पत्र भरा। मेडिकल कॉलेज में हर साल 10 से 12 मानव शरीर की जरूरत पड़ती है। मेडिकल स्टूडेण्ट इन पर अध्ययन करते हैं। जिले में 30 से ज्यादा लोगों ने देहदान के लिए पंजीयन कराया है। इनमें अतुल दुबे, डॉ0 रामकुमार शुक्ला, किशोर कुमार, लक्ष्मीकांत शुक्ला, डॉ0 पुष्पेंद्र सिंह, सुमन सिंह, सुरेंद्र मिश्रा, जयराम तिवारी, डॉ0 हेमंत पांडेय, बाबूलाल राजबली सिंह, यूपी पांडेय, बृजभान सिंह, विद्या देवी कापड़ी, राणाप्रताप सिंह, शांति सिंह, नारायणदास बसानी, राजकुमारी बसानी हीरालाल बसानी शामिल हैं।
पंजीयन नि:शुल्क, सरल हुई प्रक्रिया—
संत मोतीराम स्वास्थ्य सेवा केंद्र के अतुल दुबे ने बताया, देहदान के लिए पंजीयन की प्रक्रिया जटिल थी। लोगों को पंजीयन कराने में ही महीनों लग जाते थे। एेसे में कोई बुजुर्ग चाहे भी तो पंजीयन नहीं करा सकता था। लोगों की ललक को देखते हुए सेवा केंद्र पंजीयन का बीड़ा उठाया। देहदानियों को केंद्र द्वारा पंजीयन की निशुल्क सेवा प्रदान की जा रही है।
देना होता है दो गवाह—
देहदान पंजीयन के लिए यह जरूरी- आप भी चाहें तो देहदान के लिए संत मोतीराम आश्रम खेरमाई रोड पुष्पराज कॉलोनी में पंजीयन करा सकते हैं। डोनर को आधार कार्ड, बर्थ सर्टिफिकेट, दो फोटो, खून के निकटतम सम्बन्धियों की दो फोटो, शपथ पत्र, दो गवाह देना होता है।

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