रिक्शा चलाया, मजदूरी की, अब सीए बनकर दूसरों को संदेश दे रहे मुकेश विश्वकर्मा
भोपाल। जिसने परेशानियां देखी हों उसे ही मुश्किलों का अहसास होता है। राजधानी के एक चार्टर्ड एकाउंटेंट ने मजदूरी और कई मुश्किलों का सामना मुकाम हासिल किया, अब दूसरों का सहारा बने हैं। स्लम से लेकर बड़े शहरों तक इन्होंने मुहिम शुरू की। इसमें अब तक सैकड़ों बच्चों को इसका फायदा मिला। मुकेश विश्वकर्मा सीए हैं। ये अपने काम के साथ बच्चों को ट्रेनिंग और गाइडेंस दे रहे हैं।
इनका यह सफर केवल राजधानी तक सीमित नहीं। प्रदेश के बाहर कई शहरों में इन्होंने कई ट्रेनिंग सेशन आयोजित किए। इन्होंने बताया कि हायर एजुकेशन में अगर सही दिशा मिले तो कॅरियर बेहतर होगा। ऐसे कई बच्चे मिले जो वर्तमान में बेहतर मुकाम पर पहुंच गए।
अब तक सैकड़ों बच्चों का गाइडेंस भोपाल के अलावा दिल्ली, लखनऊ, बरेली, नैनागिरी, सुल्तानपुर के कई बड़े इंस्टीट्यूट के सैकड़ों बच्चों को गाइडेंस मिला। अब स्लम के बच्चों को शिक्षा की तरफ लाने का बीड़ा उठाया है। इस कड़ी में सबरी नगर में कई बच्चों को कॅरियर गाइडेंस दिया गया है।
मजदूरी कर भरी फीस—
मुकेश बताते हैं 2010 में सीए बना। इससे पहले का सफर बहुत संघर्ष भरा रहा। मजदूरी की, रिक्शा चलाया। कई बार असफलता भी हाथ लगी मगर हार नहीं मानी। इस दौरान कई हादसे भी हुए। इसके बाद जाकर इस मुकाम पर पहुंच सका। इस पर सीए पास एक किताब लिखी है।
पोस्टमैन के बच्चे को दी सीए की ट्रेनिंग—
बच्चों को मोटीवेट करने का यह सिलसिला केवल सेमीनार तक सीमित नहीं। पोस्टमैन और काम करने वाले आने वाली बाई के बच्चों को भी इन्होंने अपने दफ्तर में ट्रेनिंग दी है। मुकेश के मुताबिक शिक्षा ही स्टेटस सुधार सकती है। ऐसे कई और बच्चे हैं जो सीए की ट्रेनिंग ले रहे हैं।
अब सीए मुकेश विश्वकर्मा पर बनेगी फिल्म—
भोपाल के चार्टर्ड अकाउंटेंट मुकेश विश्वकर्मा के संघर्ष की कहानी जल्द ही सिल्वर स्क्रीन पर नजर आएगी। इसे पर्दे पर उतारने की तैयारी हो गई है। मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस ने इसमें दिलचस्पी दिखाते हुए काम की शुरुआत की है। इस फिल्म में काम करने वाली स्टार कास्ट की जल्द ही घोषणा की जानी है।
हमीदिया रोड पर रहने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं मुकेश विश्वकर्मा अपने काम के साथ उस संघर्ष के लिए भी पहचाने जाते हैं जो इन्होंने सीए बनने तक किया। स्कूली शिक्षा के दौरान मजदूरी की। रिक्शा चलाकर हायर एजुकेशन की पढ़ाई की।
उन्होंने असफल होने के बाद भी कोशिश नहीं छोड़ी, जिसके चलते वर्तमान में एक सफल सीए हैं। अपने इस संघर्ष पर इन्होंने सीए पास एक किताब लिखी है। साथ ही बच्चों को मोटिवेट करने का काम कर रहे हैं। इसके तहत शहर ही नहीं बल्कि कई राज्यों में भी इनके आयोजन हो चुके हैं। अब इनकी स्टोरी के आधार पर देव फिल्म-7 प्रोडक्शन फिल्म बनाने जा रहा है। इसमें फिरोज साबरी म्यूजिक डायरेक्टर होंगे। जबकि देव कुमार पटेल डायरेक्टर रहेंगे। देव धड़कन, इंडियन जैसी फिल्म में सहायक लेखक रह चुके हैं। फिल्म में चेतना पाठक एक्ट्रेस और प्रोड्यूसर हैं।
रिपोर्ट— मुकेश विश्वकर्मा