नमस्ते करो या प्रणाम, जवाब सिर्फ “जय विश्वकर्मा भगवान की” नहीं रहे ऐसे मोहन प्रसाद वर्मा
जौनपुर। एक ऐसे समाजसेवी जो अभिवादन में सिर्फ “जय विश्वकर्मा भगवान की” बोला करते थे, आज वह हम सभी को अकेला छोड़ गये। कोई नमस्ते करे या प्रणाम, जवाब सिर्फ जय विश्वकर्मा भगवान की हुआ करता था। उनका लक्ष्य विश्वकर्मा वंश के पांचो पुत्रों को एक सूत्र में पिरोना था। जौनपुर जिले के वर्तमान जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा के पिता वरिष्ठ समाजसेवी मोहन प्रसाद वर्मा का निधन हो गया। वह काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। अस्वस्थता के बावजूद भी स्थानीय सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लिया करते थे।
उनकी व्यवहार कुशलता के सभी कायल थे। उनके निधन से सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश के कोने-कोने में उनके चाहने वाले विश्वकर्मा वंशियों में शोक व्याप्त है। किसी को आभास नहीं था कि वह इतनी जल्दी हम सभी का साथ छोड़ देंगे। मूलतः कुशीनगर के निवासी मोहन प्रसाद वर्मा ने विश्वकर्मावंश के पांचो पुत्रों को हमेशा बराबरी का दर्जा और सम्मान दिया। कभी भी किसी प्रकार का भेद नहीं रखा।
यदि किसी कार्यक्रम में पांचो पुत्रों की भागीदारी नहीं होती थी तो उन्हें कष्ट होता था। स्वर्णकार होते हुये भी पांचों पुत्रों के बीच रोटी-बेटी के रिश्ते के लिये वह हमेशा ही कोशिश करते रहते थे। यही कारण था कि उन्होंने अपने आईएएस पुत्र मनीष कुमार वर्मा का विवाह लौहकार राजकुमार विश्वकर्मा की पुत्री अंकिता राज के साथ करने में तत्परता दिखाई।
कभी जिलाधिकारी कार्यालय में बाबू पद की नौकरी करने वाले मोहन प्रसाद वर्मा को अपने पुत्र मनीष कुमार वर्मा को जिलाधिकारी के रूप में देखकर जो खुशी मिली वह हमेशा व्यक्त करते रहे। उन्होंने समाज के लोगों से बच्चों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान देने का आवाहन करते रहते थे।
ऐसे दूरदर्शी समाजसेवी को “विश्वकर्मा किरण” पत्रिका परिवार की तरफ से विनम्र श्रद्धांजलि।
अत्यन्त दुःखद…
विनम्र श्रद्धांजलि????