सर्वोत्कृष्ट शोध प्रकाशन के लिए अंकित विश्वकर्मा को महायोगी गुरु गोरक्षनाथ स्मृति स्वर्ण पदक
गोरखपुर। डीडीयू में वर्ष 2019 के सर्वोत्कृष्ट शोधार्थी अंकित कुमार विश्वकर्मा हैं। वातावरण में जहरीली गैसों की पहचान करने वाला संवेदक तलाशने वाले अंकित विश्वकर्मा को विश्वविद्यालय के सर्वोत्कृष्ट शोध प्रकाशन के लिए पुरस्कृत किया गया है। दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय ने अंकित विश्वकर्मा को गुरु गोरक्षनाथ स्मृति स्वर्ण पदक प्रदान किया है। अंकित को सम्मानित होते देखने पहुंचे किसान पिता रामनयन विश्वकर्मा की आंखों में खुशी के आंसू थे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में भौतिक विज्ञान में परास्नातक टॉप कर बेटे अंकित ने स्वर्ण पदक जीता था और अब महत्वपूर्ण शोध पर उसे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने स्वर्ण पदक प्रदान किया है। बेटे की यह सफलता उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
अंकित विश्वकर्मा ने बताया कि वातावरण में बेंजीन, टालुइन, मेथेनाल, एथेनाल, एलपीजी आदि विषैली गैसों को पकड़ने के लिए उन्होंने थिन फिल्म गैस सेंसर बनाया है। जहरीली गैसों की पहचान करने वाले सेंसर में कैडमियम सल्फाइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड का प्रयोग किया गया है।
अंकित ने बनाई है गैस सेंसर मशीन—
भौतिकी के शोधार्थी अंकित कुमार विश्वकर्मा ने प्रोफेसर लल्लन यादव के निर्देशन में शोध करते हुए गैस सेंसर मशीन तैयार की है जो रूम टेंपरेचर पर भी एलपीजी, बेंजीन, मेथेनॉल आदि जहरीली गैसों की लीकेज सेकंड से तेज समय में पकड़कर अलर्ट कर देती है। दुनिया भर में ऐसे तमाम सेंसर उपकरण बनाए गए हैं मगर अंकित के शोध में पहली बार कैडमियम सल्फाइड में टाइटेनियम डाइऑक्साइड मिलाकर ऐसा सेंसर तैयार किया गया है। अंकित के इससे संबंधित 10 शोधपत्र अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं।
वर्ष 2014 में टॉपर का मिला था गोल्ड मेडल—
जिले के सिलहटा बिशुनपुरा गांव निवासी अंकित विश्वकर्मा ने ने एमएससी की पढ़ाई भी डीडीयू से ही पूरी की है। वर्ष 2014 में डीडीयू से उन्हें एमएससी में टॉपर का गोल्ड मेडल हासिल हुआ है। वर्ष 2015 से उन्होंने अपना रिसर्च प्रारम्भ किया और प्रोफेसर लल्लन यादव की देखरेख में सफलतापूर्वक निष्कर्ष पर पहुंचे। इस समय उन्हें एसआरएफ ग्राण्ट मिल रही है। उन्होंने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय विभाग के समस्त गाइड प्रोफेसर लाल्लन यादव सहित सभी गुरूजन व पिता रामनयन विश्वकर्मा को दिया है।